पुस्तक एक रणनीतिक और नीति-उन्मुख दृष्टिकोण से भारत की वर्तमान और बढ़ती विदेशी नीति चुनौतियों की जांच करती है। यह देश के विदेश नीति निर्माण को निर्धारित करने वाले दीर्घकालिक कारकों और रुझानों का विश्लेषण करता है। यदि यह जटिल और तेजी से विकसित होने वाली 21 वीं सदी की दुनिया में एक प्रमुख खिलाड़ी बनना है, तो लेखक भारत के दृष्टिकोण का पुन: मूल्यांकन करने का आग्रह करता है।