भाषाकीय नये अभ्यासक्रम का एक उदेश्य यह है, कि इस स्तर के छात्र व्यवहारिक भाषा का उपयोग करने के साथ-साथ अपनी भाषा-अभिव्यक्ति को विशेष प्रभावशाली बनाएँ । साहित्यिक स्वरूप एवं सर्जनात्मक भाषा का परिचय के साथ-साथ हिन्दी भाषा की खुबियों को समझकर अपने स्व-लेखन में प्रयोग करना सिखें, इस लिए स्व-लेखन के लिए छात्रों को पूर्ण अवकाश दिया गया है । समझकर अपने स्व-लेखन में प्रयोग करना सिखें, इस लिए स्व-लेखन के लिए छात्रों को पूर्ण अवकाश दिया गया है ।
इस पाठ्यपुस्तक को रुचिकर, उपयोगी एवं क्षतिरहित बनाने का पूरा प्रयास मंडल द्वारा किया गया है, प्रस्तुत प्रार्थना मे 'सत्यं शिवं सुंदरम्' की भावना के साथ दीन-दुखियों की रक्षा करना, मानवता की उपासना करना, भेदभावों को दूर करना, बैरभाव से मुक्त हो कर विश्वबन्धुत्व की स्थापना करना-जैसे वैश्विक मूल्यों को हस्तान्तरण करने की प्रेरणा देनेवाली यह प्रार्थना मराठी से अनुदित है ।
प्रस्तुत निबंध में द्विवेदीजी ने यह समझाया है कि तत्कालीन भारतीय समाज में व्याप्त अनाचार केवल बाहरी स्तर पर है ; वास्तव में आज भी लोगो में मानवीय मूल्यो के प्रति आस्था कायम है । अपने जीवन में घटित कुछ घटनाओं के द्वारा बताया है कि हमें निराश नहीं होना चाहिए अपितु हमें जीवन के प्रति आस्थावान बने रहना चाहिए । प्रस्तुत पाठ्यपुस्तक में २४ प्रकरण है पूरक वांचन और स्वाध्याय भी दिये गे है.
Copyright:
2016
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Publisher:
Gujrat Rajya Sala Pathyapustak Mandal Gandhinagar
Date of Addition:
01/08/20
Copyrighted By:
byGujrat rajya sala pathyapustak mandal gandhinagar