श्रीरामचरितमानस : पंचम सोपान (सुन्दरकांड) इस किताब में सर्वप्रथम महर्षि वाल्मीकि ने सुन्दरकांड की रचना करके रामकथा के अन्तर्गत हनुमान को लक्ष्मण के साथ सह नायकत्व का स्थान प्रदान किया । तुलसी ने पूरी कथा के अन्तर्गत हनुमान के शौर्य, उनकी बुद्धिमत्ता एवं वाग्मिता के ऊपर श्रीराम के माहात्म्य को स्थापित करने की चेष्टा की है । हनुमान कथा के ही समानान्तर इस कांड में उन्होंने विभीषण के महनीय चरित्र की उद्भावना करके आश्रयविहीन शरणागत की पूर्णरक्षा के जिस संकल्प को यहाँ स्थापित किया है, इसी सम्पूर्ण सुन्दरकांड के विवेचन तथ्यों पर विशेष ध्यान दिया गया है ।