Pashchatya Darshan ka Sameekshatmak Itihas - Competitive Exam
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- Synopsis
- इस पुस्तक में दर्शन को वैचारिक कला माना गया है। इसी दृष्टिकोण दार्शनिकों ने पाश्चात्य दर्शन में तीन भागों में अलग -अलग विषय को स्पष्ट किया है। भाग-1 में यूनानी दर्शन का स्वरूप, पढ़ने की आवश्यकता उनका आरम्भ और विशेषताएँ बतायी गयी है। प्रकृतिवादी यूनानी दर्शन मानव केन्दित दर्शन उनके विचार, दर्शन का तंत्र का युग का स्पष्टीकरण किया है पाश्चात्य दर्शन के दार्शनिकों में सुकरात, प्लेटो और अरस्तु के दर्शन विषय का महत्व मुख्य है। भाग-2 के मध्ययुगीन दर्शन में जौन स्कोटस एरिजिना, संत अगास्टिन का ईसाई वचन, ज्ञान मीमांसा, ईश्वर ज्ञान ईश्वर का स्वरूप और अशुभ की समस्या, मानव विचार, आधुनिक दर्शन की ओर धर्म मीमांसा संकल्प और बुद्धि आदि विषयों का विस्तार से स्पष्टीकरण किया है। भाग-3 में आधुनिक दर्शन की विशेषताएँ, दार्शनिक बुद्धिवाद, ज्ञान मीमांसीय बुद्धिवाद, जाति दोष या भ्रम चलती भाषा से उत्पन्न दोष आदि विषय बताये गये है। इसके अतिरिक्त रेने दकार्त, ग्रेटफ्रिड विल्हेल्म लाइबनित्स, जौन लॉक, जार्ज बर्कले, डेविस ह्यूम और इमानुएल काण्ट आदि दार्शनिकों ने अलग अलग विषय पर समीक्षात्मक विचार प्रस्तुत किये है। जिसको पढ़कर छात्रों को बहुत सी नयी जानकारी मिलती है और अपने जीवन को सफल बना सकते है।
- Copyright:
- 2016
Book Details
- Book Quality:
- Publisher Quality
- ISBN-13:
- 9788120824706
- Publisher:
- Motilal Banarshidas
- Date of Addition:
- 02/28/20
- Copyrighted By:
- copyright Motilal Banarshidas
- Adult content:
- No
- Language:
- Hindi
- Has Image Descriptions:
- No
- Categories:
- Nonfiction
- Submitted By:
- Bookshare Staff
- Usage Restrictions:
- This is a copyrighted book.