Antahkaran Ka Swaroop: अंतकरण का स्वरूप
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- Synopsis
- अंत: करण के चार अंग हैं : मन, बुद्धि, चित्त और अहंकार| हरेक का कार्य अलग अलग है| एक समय में उनमे से एक ही कार्यन्विंत होता है| मन क्या है? मन ग्रंथिओं का बना हुआ है| पिछले जन्म में अज्ञानता से जिसमे राग द्वेष किये, उनके परमाणु खींचे और उनका संग्रह होकर ग्रंथि हो गयी| वह ग्रंथि इस जन्म में फूटती है तो उसे विचार कहा जाता है| विचार डिस्चार्ज मन है| विचार आता है उस समय अहंकार उसमे तन्मयाकार हो जाता है| यदि वह तन्मयाकार नहीं हुआ हो तो डिस्चार्ज होकर मन खाली हो जाता है| जिसके ज्यादा विचार उसकी मनोग्रंथि बड़ी होती है| अंत: करण का दूसरा अंग है, चित्त | चित्त का स्वभाव भटकना है| मन कभी नहीं भटकता| चित्त सुख खोजने के लिए भटकता रहता है| किन्तु वह सारे भौतिक सुख विनाशी होने की वजह से उसकी खोज का अंत ही नहीं आता| इसलिए वह भटकता रहता है| जब आत्मसुख मिलता है तभी उसके भटकन का अंत आता है| चित्त ज्ञान दर्शन का बना हुआ है| अशुद्ध ज्ञान+ दर्शन यानी अशुद्ध चित्त, संसारी चित्त और शुद्ध ज्ञान+ दर्शन यानी शुद्ध चित्त, यानी शुद्ध आत्मा| बुद्धि, आत्मा की इनडायरेक्ट लाइट है और प्रज्ञा डायरेक्ट लाइट है| बुद्धि हमेशा संसारी मुनाफा नुक्सान बताती है और प्रज्ञा हमेशा मोक्ष का ही रास्ता बताती है| इन्द्रियों के ऊपर मन, मन के ऊपर बुद्धि, बुद्धि के ऊपर अहंकार और इन सबके ऊपर आत्मा है| बुद्धि,वह मन और चित्त दोनों में से एक का सुनकर निर्णय करती है और अहंकार अँधा होने से बुद्धि के कहे अनुसार हस्ताक्षर कर देता है| उसके हस्ताक्षर होते ही वह कार्य बाह्यकरण में होता है| अहंकार करने वाला भोक्ता होता है, वह स्वयं कुछ नहीं करता, वह सिर्फ मानता है कि मैंने किया| और वह उसी समय कर्त्ता हो जाता है| फिर उसे भोक्ता होना ही होता है| संयोग करता हैं, मैं नहीं, यह ज्ञान होते ही अकर्ता होता है, फिर उसके कर्म चार्ज नहीं होते| अंत: करण की सारी क्रियाएँ मैकेनिकल हैं| इसमें आत्मा को कुछ करना नहीं होता| आत्मा तो सिर्फ ज्ञाता द्रष्टा और परमानंदी है| केवल ज्ञानीपुरुष ही अपने अंत: करण से अलग रहते हैं| आत्मा में ही रह कर उसका यथार्थ वर्णन कर सकते हैं| ज्ञानीपुरुष संपूज्य श्री दादाश्री ने अंत: करण का बहुत ही सुन्दर और स्पष्ट वर्णन किया है|
- Copyright:
- 2016
Book Details
- Book Quality:
- Excellent
- Book Size:
- 52 Pages
- ISBN-13:
- 9789386289308
- Publisher:
- Dada Bhagwan Vignan Foundation
- Date of Addition:
- 09/28/21
- Copyrighted By:
- Dada Bhagwan Foundation
- Adult content:
- No
- Language:
- Hindi
- Has Image Descriptions:
- Yes
- Categories:
- Nonfiction, Self-Help, Religion and Spirituality
- Submitted By:
- Bookshare Staff
- Usage Restrictions:
- This is a copyrighted book.