Aptavani Shreni 12 (Purvadh): आप्तवाणी श्रेणी १२ (पूर्वार्ध)
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- Synopsis
- अक्रम विज्ञानी परम पूज्य दादाश्री ने जगह-जगह महात्माओं की व्यवहारिक उलझनें, आज्ञा में रहने में आने वाली मुश्किलें और सूक्ष्म जागृति में कैसे रहें, इनके खुलासे किए हैं। जागृति में ‘मैं चंदूलाल हूँ’ (वाचक को अपना नाम समझना है) की मान्यता में से इस मान्यता में आना है कि ‘मैं शुद्धात्मा ही हूँ’, ‘अकर्ता ही हूँ’, ‘केवल ज्ञाता-दृष्टा ही हूँ’, बाकी सब पिछले जन्म में किए गए ‘चार्ज’ का ‘डिस्चार्ज’ ही है, भरा हुआ माल ही निकलता है, किसी भी संयोग में उसमें से नये ‘कॉज़ेज़’ (कारण) उत्पन्न ही नहीं होते, आप सिर्फ ‘इफेक्ट’ को ही ‘देखते’ हो वगैरह। आत्मजागृति ही मोक्ष की ओर ले जाती है। इस पुस्तक में दादाश्री की हृदयस्पर्शी वाणी संकलित हुई है, जिसमें उन्होंने जागृति में रहने के अलग-अलग तरीकों का वर्णन किया है, जो आत्मकल्याण के लिए सब से महत्वपूर्ण हैं। जागृति प्राप्त करने के लिए और उसे बढ़ाने के लिए परम पूज्य दादाश्री अपने आप से जुदापन, अपने आप से बातचीत के प्रयोग द्वारा ‘ज्ञाता-दृष्टा’ पद में रहना, कर्म के चार्ज और डिस्चार्ज के सिद्धांत को समझकर उनका उपयोग करना वगैरह का दर्शन स्पष्ट किया है। महात्माओं की आत्मजागृति को बढ़ाने में यह पुस्तक बहुत सहायक होगी।
- Copyright:
- 2016
Book Details
- Book Quality:
- Excellent
- Book Size:
- 560 Pages
- ISBN-13:
- 9789390664627
- Publisher:
- Dada Bhagwan Vignan Foundation
- Date of Addition:
- 10/26/21
- Copyrighted By:
- Dada Bhagwan Foundation
- Adult content:
- No
- Language:
- Hindi
- Has Image Descriptions:
- Yes
- Categories:
- Nonfiction, Self-Help, Religion and Spirituality
- Submitted By:
- Bookshare Staff
- Usage Restrictions:
- This is a copyrighted book.