Kahi Ankahi (Kahani Sangrah): कही अनकही (कहानी-संग्रह)
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- Synopsis
- 'कही-अनकही' मात्र एक कहानी संग्रह नहीं है। बल्कि एक व्यक्ति, एक समाज, एक जीवन, एक समय के सतत संघर्ष का दस्तावेज भी है। व्यक्ति जो समाज चाहता है किंतु, समाज उसे नहीं चाहता। समाज जो जीवन चाहता है परंतु, अपनी खोह में कैद होने के कारण जीवन से कहीं दूर छिटक गया है। जीवन जो समय में अपनी दखल चाहता है किंतु, विडंबना यह है कि दखल करके भी अपने को दर्ज नहीं करवा पाता। समय जो जीवन की ही तरह, सर्वत्र परिव्याप्त है परंतु, सर्वत्र होकर भी, सभी में एक समान मूर्त तथा गतिशील नहीं हो पाता। जबकि यह भी सच है कि वह सबके योग से ही बनता है। सीधे और साफ शब्दों में प्रस्तुत संग्रह सीलन और अंधकार से परिव्याप्त उन उपेक्षित कोनों के सन्नाटों को वाणी देने की कोशिश भर है जिनकी उपस्थिति हमारे आसपास सब कहीं है किंतु, वह उपस्थिति, अनुपस्थिति के बराबर होती है। इसे उपेक्षा की पराकाष्ठा ही कहा जा सकता है।
- Copyright:
- 2018
Book Details
- Book Quality:
- Excellent
- Book Size:
- 122 Pages
- ISBN-13:
- 9789383513321
- Publisher:
- Swaraj Prakashan
- Date of Addition:
- 01/11/22
- Copyrighted By:
- Kusumlata Malik
- Adult content:
- No
- Language:
- Hindi
- Has Image Descriptions:
- Yes
- Categories:
- Literature and Fiction
- Submitted By:
- Bookshare Staff
- Usage Restrictions:
- This is a copyrighted book.