Bodh ke Vividh Rang: बोध के विविध रंग
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- Synopsis
- कुसुमलता मलिकजी ने अपने जीवन के लंबे रंगानुभव को 'बोध के विविध रंग' के रूप में पाठकों के हाथों में सौंपा है। नाटक अपने समय और समाज का होता है। समय की तीव्र गति समाज के ठहराव में हलचल पैदा करती है। इस हलचल से जो संबंध बनते-बिगड़ते हैं, नाटक में ही नहीं वरन् साहित्य की प्रत्येक विधा में उन्हीं की छवि प्रतिभासित होती है। आभास और प्रत्याभास से संयुक्त अहसास को प्रस्तुत पुस्तक में रखने की कोशिश की है। जिस तरह नाटक में साहित्य की समस्त विधाएँ अपना रूपाकार खोकर नाटक से एकात्म अर्थात् एकाकार हो जाती हैं, ठीक वैसे ही पाठकों को कृति सौंपकर कृतिकार भी स्वयं को खो देता है। खोने के इस आनंद का अनुभव समय-समय पर आगत पाठकों की प्रतिक्रियाओं से होता है।
- Copyright:
- 2010
Book Details
- Book Quality:
- Excellent
- Book Size:
- 195 Pages
- ISBN-13:
- 9789380246116
- Publisher:
- Sky Books International
- Date of Addition:
- 01/13/22
- Copyrighted By:
- Kusumlata Malik
- Adult content:
- No
- Language:
- Hindi
- Has Image Descriptions:
- Yes
- Categories:
- Literature and Fiction
- Submitted By:
- Bookshare Staff
- Usage Restrictions:
- This is a copyrighted book.