Kamayani Mulyankan Aur Mulyankan: कामायनी [मूल्यांकन और मूल्यांकन]
By:
Sign Up Now!
Already a Member? Log In
You must be logged into Bookshare to access this title.
Learn about membership options,
or view our freely available titles.
- Synopsis
- प्रसाद सुख और दुख को तात्विक वस्तु मानने के विरोधी हैं । समस्त द्वैतों का परिहार इसी आनन्द के अन्तर्गत किया है। यह आख्यान इतना प्राचीन है कि इतिहास में रूपक का भी अद्भुत मिश्रण हो गया है। इसलिए मनु, श्रद्धा और इड़ा, इत्यादि अपना ऐतिहासिक अस्तित्व रखते हुए, सांकेतिक अर्थ की भी अभिव्यक्ति करें तो कोई आपत्ति नहीं। मनु अर्थात मन के दोनों पक्ष; हृदय और मस्तिष्क का सम्बन्ध क्रमशः श्रद्धा और इड़ा से भी सरलता से लग जाता है। इन्हीं सब के आधार पर कामायनी की कथा-सृष्टि हुई है ।
- Copyright:
- 1990
Book Details
- Book Quality:
- Excellent
- Book Size:
- 180 Pages
- Publisher:
- Nilabh Prakashan
- Date of Addition:
- 08/01/22
- Copyrighted By:
- Dr. Indranath Madan
- Adult content:
- No
- Language:
- Hindi
- Has Image Descriptions:
- Yes
- Categories:
- Nonfiction
- Submitted By:
- Bookshare Staff
- Usage Restrictions:
- This is a copyrighted book.