Ve Din: वे दिन
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- Synopsis
- इतिहास निर्मल वर्मा के कथा-शिल्प में उसी तरह मौजूद रहता है, जैसे हमारे जीवन में लगातार मौजूद लेकिन अदृश्य। उससे हमारे दुख और सुख तय होते हैं, वैसे ही जैसे उनके कथा-पात्रों के। कहानी का विस्तार उसमें बस यह करता है कि इतिहास के उन मूक और भीड़ में अनचीन्हे ‘विषयों’ को आलोक-वृत्त से घेरकर नुमायाँ कर देता है, ताकि वे दिखने लगें, ताकि उनकी पीड़ा की सूचना एक जवाबी सन्देश की तरह इतिहास और उसकी नियन्ता शक्तियों तक पहुँच सके। इस उपन्यास के पात्र, निर्मल जी के अन्य कथा-चरित्रों की तरह सबसे पहले व्यक्ति हैं, लेकिन मनुष्य के तौर पर वे कहीं भी कम नहीं हैं, बल्कि बढ़कर हैं, किसी भी मानवीय समाज के लिए उनकी मौजूदगी अपेक्षित मानी जाएगी। उनकी पीड़ा और उस पीड़ा को पहचानने, अंगीकार करने की उनकी इच्छा और क्षमता उन्हें हमारे मौजूदा असहिष्णु समाज के लिए मूल्यवान बनाती है। वह चाहे रायना हो, इंदी हो, फ्रांज हो या मारिया, उनमें से कोई भी अपने दुख का हिसाब हर किसी से नहीं माँगता फिरता।
- Copyright:
- 2017
Book Details
- Book Quality:
- Excellent
- Book Size:
- 168 Pages
- ISBN-13:
- 9789387155503
- Publisher:
- Vani Prakashan
- Date of Addition:
- 08/29/22
- Copyrighted By:
- Gagan Gill
- Adult content:
- No
- Language:
- Hindi
- Has Image Descriptions:
- Yes
- Categories:
- Literature and Fiction
- Submitted By:
- Bookshare Staff
- Usage Restrictions:
- This is a copyrighted book.