Roopkunwar: रूपकंवर
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- Synopsis
- “रूपकंवर” इस उपन्यास में मैंने देश भर में व्याप्त उस परिदृश्य और हमारे समाज के जाने माने लोगों के मध्य जिस प्रकार के आचार-व्यवहार देखने को मिलता है उसे आप तक लाने का प्रयास किया है। साहित्य के दस रूपक और अठ्ठारह उपरूपकों का इस्तेमाल इस उपन्यास में नहीं किया जा सकता था क्योंकि यह उस प्रकार की कृति नहीं है लेकिन यह रचना एक कलात्मक रचना है ऐसा भीं नहीं कहा जा सकता है। लेकिन जिस प्रकार की कथावस्तु इसमें है उससे पाठक आनंद जरूर उठा सकते हैं और जो संदेश मैं समाज को देना चाहता हूं उसे देने में सफल हो सकता हूं। आप इस उपन्यास को पढ़ते हुए चरित्रों की विशेषताओं का जरा गौर से निरीक्षण करना और फिर आप देखेंगे कि चित्र किस तरह आपके मस्तिष्क में उभर कर आते हैं।
- Copyright:
- 2022
Book Details
- Book Quality:
- Excellent
- Book Size:
- 216 Pages
- Publisher:
- Satya Vardhan Dobriyal
- Date of Addition:
- 05/29/24
- Copyrighted By:
- Satya Vardhan Dobriyal
- Adult content:
- No
- Language:
- Hindi
- Has Image Descriptions:
- Yes
- Categories:
- Literature and Fiction
- Submitted By:
- Bookshare Staff
- Usage Restrictions:
- This is a copyrighted book.