Nach Ke Bahar: नाच के बाहर
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- Synopsis
- "नाच के बाहर" गौरीनाथ द्वारा रचित एक उपन्यास है जो भारतीय समाज के सांस्कृतिक और सामाजिक परिवेश को गहराई से छूता है। इस कहानी का केंद्रबिंदु नृत्य कला है, जो न केवल मनोरंजन का साधन है बल्कि समाज की विविधता और परंपराओं का प्रतीक भी है। उपन्यास में मुख्य पात्र एक नर्तक है, जो अपनी कला के माध्यम से जीवन के विभिन्न रंगों को प्रस्तुत करता है। कहानी नृत्य के माध्यम से समाज की कुरीतियों, संघर्षों, और बदलावों को दर्शाती है। यह न केवल एक नर्तक की व्यक्तिगत यात्रा को दिखाती है, बल्कि उसके माध्यम से समाज की सोच, उसके बदलाव और उसके प्रभावों को भी उजागर करती है। इस उपन्यास में नृत्य एक माध्यम है जिससे लेखक ने समाज की परतों को उकेरा है, जहां परंपराओं और आधुनिकता के बीच की खींचातानी को बड़े ही सुंदर और संवेदनशील तरीके से प्रस्तुत किया गया है। "नाच के बाहर" एक ऐसी कहानी है जो पाठकों को भारतीय संस्कृति और समाज के विभिन्न पहलुओं से रूबरू कराती है, और उन्हें सोचने पर मजबूर करती है कि कला केवल मनोरंजन का साधन नहीं, बल्कि समाज का एक महत्वपूर्ण अंग है।
- Copyright:
- 2007
Book Details
- Book Quality:
- Excellent
- Book Size:
- 121 Pages
- ISBN-13:
- 9788190514835
- Publisher:
- Antika Prakashan
- Date of Addition:
- 08/28/24
- Copyrighted By:
- Gouri Nath
- Adult content:
- No
- Language:
- Hindi
- Has Image Descriptions:
- Yes
- Categories:
- Literature and Fiction
- Submitted By:
- Bookshare Staff
- Usage Restrictions:
- This is a copyrighted book.