Sangram: संग्राम
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- Synopsis
- "संग्राम" प्रेमचंद की एक प्रमुख कृति है, जो भारतीय समाज में व्याप्त सामाजिक और आर्थिक असमानताओं को उजागर करती है। इस उपन्यास में प्रेमचंद ने भारतीय समाज के निम्न वर्ग के संघर्षों और उनके जीवन की कठिनाइयों का संवेदनशील चित्रण किया है। कहानी उन गरीब और दबे-कुचले लोगों के इर्द-गिर्द घूमती है, जो समाज में सम्मान और समानता की खोज में संघर्षरत हैं। प्रेमचंद ने इस उपन्यास के माध्यम से जाति व्यवस्था और शोषण के कुप्रभावों को बारीकी से दर्शाया है, जहां उच्च वर्ग के लोग अपने स्वार्थ और सत्ता के बल पर निम्न वर्ग का शोषण करते हैं। उपन्यास के पात्र सामाजिक अन्याय और आर्थिक शोषण के खिलाफ संघर्ष करते हुए दिखाए गए हैं, जो अपने अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ते हैं। "संग्राम" में प्रेमचंद ने समाज में व्याप्त असमानताओं और जातिगत भेदभाव पर करारी चोट की है, और यह संदेश दिया है कि समाज में न्याय और समानता की स्थापना के बिना विकास संभव नहीं है। प्रेमचंद का यह उपन्यास सामाजिक सुधार की आवश्यकता और समाज के सभी वर्गों के लिए समान अवसरों और सम्मान की अनिवार्यता पर बल देता है। "संग्राम" न केवल सामाजिक और राजनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह प्रेमचंद की लेखनी की गहराई और उनकी समाज के प्रति प्रतिबद्धता का भी प्रतीक है। यह उपन्यास पाठकों को सामाजिक न्याय और समानता के संघर्ष के प्रति जागरूक करता है और उन्हें समाज में बदलाव लाने के लिए प्रेरित करता है।
- Copyright:
- 2018
Book Details
- Book Quality:
- Excellent
- Book Size:
- 132 Pages
- ISBN-13:
- 9789384344047
- Publisher:
- Prabhat Prakashan
- Date of Addition:
- 08/28/24
- Copyrighted By:
- Premchand
- Adult content:
- No
- Language:
- Hindi
- Has Image Descriptions:
- Yes
- Categories:
- Drama, Plays and Theater
- Submitted By:
- Bookshare Staff
- Usage Restrictions:
- This is a copyrighted book.