Har Haal Begane: हर हाल बेगाने
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- Synopsis
- "हर हाल बेगाने" मृदुला गर्ग द्वारा रचित प्रवासी भारतीयों की कहानियों का संग्रह है, जो विदेशों में बसे भारतीयों की भावनात्मक और सामाजिक जद्दोजहद को उजागर करता है। पुस्तक में शामिल कहानियाँ उन भारतीयों के अनुभवों को दर्शाती हैं, जो अपनी जड़ों से दूर, एक नए देश में नई पहचान बनाने की कोशिश करते हैं, लेकिन कहीं न कहीं अपने देश, समाज, और संस्कारों से जुड़े रहते हैं। इन कहानियों में मुख्य रूप से प्रवासी भारतीयों के भीतर पनप रहे मानसिक द्वंद्व, उनकी पहचान की तलाश, और नए परिवेश में सामंजस्य स्थापित करने की चुनौतियों को बहुत ही मार्मिक ढंग से प्रस्तुत किया गया है। मृदुला गर्ग की लेखनी की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि वह न केवल भावनाओं की गहराई में उतरती हैं, बल्कि उनके सामाजिक और सांस्कृतिक पहलुओं को भी बखूबी उकेरती हैं। इस संग्रह की कहानियाँ न सिर्फ प्रवासियों की व्यक्तिगत कहानियाँ हैं, बल्कि वे भारतीय समाज के एक बड़े हिस्से की भावनाओं और चुनौतियों की भी कहानी कहती हैं। संग्रह की हर कहानी मानवीय संबंधों, सामाजिक परिवर्तनों और नए परिवेश में सामंजस्य स्थापित करने के संघर्ष को उजागर करती है। विदेशी भूमि पर अपनी नई पहचान की खोज और अपनी जड़ों से जुड़े रहने की कोशिश के बीच फंसे भारतीयों की यह दुविधा मृदुला गर्ग की पैनी दृष्टि से बच नहीं पाती। "हर हाल बेगाने" न केवल प्रवासियों के दर्द को उजागर करता है, बल्कि यह यह सवाल भी उठाता है कि क्या अपनी जड़ों से कटकर एक नई पहचान बना पाना वास्तव में संभव है?
- Copyright:
- 2014
Book Details
- Book Quality:
- Excellent
- Book Size:
- 127 Pages
- ISBN-13:
- 9789350642498
- Publisher:
- Rajpal Prakashan
- Date of Addition:
- 10/29/24
- Copyrighted By:
- Mridula Garg
- Adult content:
- No
- Language:
- Hindi
- Has Image Descriptions:
- Yes
- Categories:
- Romance, Travel, Literature and Fiction
- Submitted By:
- Bookshare Staff
- Usage Restrictions:
- This is a copyrighted book.