Niyati Ko Chunauti: नियति को चुनौती
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- Synopsis
- जब नियति शिवाजी और उनकी मंज़िल के बीच आ कड़ी हुई भारतीय उपमहाद्वीप अंधकार से घिरा था। सत्रहवीं सदी निर्दयी युद्धों, निरंतर शोषण तथा धर्म के नाम पर आध्यात्मिक और शारीरिक प्रतारणा का युग रही। शिवाजी अपने समय से कहीं आगे की सोच रखने वाले योद्धा और विचारक थे। उनके उदय के साथ ही सवप्न ने भी जन्म लिया - मनुष्य के जीवन के लिए सम्मान और मर्यादा का स्वप्न, आर्थिक समानता और सशक्तिकरण का स्वपन। लेकिन नियति ने उनका साथ नहीं दिया, उनके लिए परिस्तिथियाँ प्रतिकूल थीं - उनके पास एक पतन की और बढ़ रही पराजित प्रजा के शिव कुछ न था। उन्हें मुग़ल साम्राज्य की शक्ति और पश्चिमी शक्तियों की नौसैनिक श्रेष्ठता से जूझना था। इस तरह, संघर्षरत विचारधाराओं और आपस में पूरी तरह से विपरीत नज़रियों का युद्ध छिड़ गया। सबसे प्राचीन सभ्यता का भविष्य दांव पर लगा था। आप उन महत्वपूर्ण घटनाओं के आरम्भ के साक्षी बनेंगे जिन्होंने सदियों को दहधा कर रख दिया, जिनकी गूँज आज भी इस उपमहाद्वीप को आक्रांत करती है।
- Copyright:
- 2018
Book Details
- Book Quality:
- Excellent
- Book Size:
- 201 Pages
- ISBN-13:
- 9789387383739
- Publisher:
- Manjul Publishing House
- Date of Addition:
- 10/29/24
- Copyrighted By:
- Medha Deshmukh Bhaskaran
- Adult content:
- No
- Language:
- Hindi
- Has Image Descriptions:
- Yes
- Categories:
- Biographies and Memoirs, Literature and Fiction
- Submitted By:
- Bookshare Staff
- Usage Restrictions:
- This is a copyrighted book.