Browse Results

Showing 1,801 through 1,825 of 1,962 results

Tulsidas: तुलसीदास

by Aacharya Shukla

तुलसीदास यह पुस्तक हिंदी भाषा में श्री प्रकाशन ने प्रकाशित किया गया है, इस पाठपुस्तक में गोस्वामीजी का जीवनचरित भी गौण रूप में सम्मिलित किया गया है। यह पुस्तक अपने विशुद्ध आलोचनात्मक रूप में पाठकों के सामने रखी जाती है। इस पुस्तक में गोस्वामीजी के महत्त्व के साक्षात्कार और उनकी विशेषताओं के प्रदर्शन का लघु प्रयत्न समझाया गया है। इस प्रयत्न में कहाँ तक सफलता हुई है, इसका निर्णय तो गोस्वामीजी की कृतियों से परिचित और प्रभावित सहृदय समाज ही कर सकता है। किताब में तुलसी की भक्तिपद्धति और काव्यपद्धति को समझाया है ।

Krishi Bhugol - Ranchi University, N.P.U: कृषि भूगोल - राँची यूनिवर्सिटी, एन.पी.यू.

by Ram Chandra Tiwari Brahmanand Singh

कृषि भूगोल इसमें पुस्तक की समूची सामग्री को न केवल संशोधित और परिवर्द्धित किया गया है वरन् कुछ नये विषयांगों, कृषि में कतिपय उदीयमान प्रवृत्तियों आदि को समाहित कर विश्वविद्यालय स्तर के छात्रों तथा प्रतियोगी परीक्षा में सम्मिलित होने वाले अभ्यर्थियों हेतु पुस्तक को अधिक उपयोगी बनाने का प्रयास किया गया है। पुस्तक के अन्त में दिये गये परिशिष्ट में उपलब्ध आँकड़ों के माध्यम से विश्व एवं भारत के स्तर पर विभिन्न कृषि उपजों के उत्पादन-स्तर और वितरण सम्बन्धी ज्ञान को प्राप्त करने में मदद मिलेगी। जिससे पुस्तक में सुधार और इसे अधिक उपयोगी बनाने में सहायता मिलती है।

Mitrata Banking Se: मित्रता बैंकिंग से

by Vandana Dharmadhikari

सौ वंदना धर्माधिकारी द्वारा लिखित "मित्रता बैंकिंग से" पुस्तक का यह पहला संस्करण 2014 में प्रकाशित हुआ है। आम जनता बैंकिंग के बारे में इस पुस्तक से सरल और आसान तरीके से सीखती है। बैंकिंग की तकनीकीताओं के बावजूद, यह पुस्तक पाठकों के लिए विशेष रूप से उपयोगी प्रतीत होती है। हालांकि बैंकिंग का कॉन्सेप्ट हर जगह एक जैसा है, लेकिन आज के ऑनलाइन सिस्टम ने बैंकिंग की पूरी परिभाषा ही बदल दी है। वास्तविक बैंकों में जाने की जरूरत नहीं रह गई है। ऐसे प्रतिस्पर्धी और परिष्कृत युग में, बैंकिंग की अवधारणा लगातार बदल रही है। इसलिए, विवरणों को समझकर जानकारी को अद्यतन रखने की आवश्यकता है। हालांकि बुनियादी बैंकिंग सभी प्रकार के बैंकों और सहकारी ऋण समितियों जैसे राष्ट्रीयकृत, निजी, सहकारी, विदेशी, लघु वित्त में समान है, प्रत्येक प्रकार के नियमों और लेनदेन में परिवर्तन को समझना आवश्यक है, और इसका विवरण इस पुस्तक में दिया गया है। बैंकिंग क्षेत्र में वर्तमान में बड़ी संख्या में नई भर्तियां हो रही हैं। यह पुस्तक ऐसे उम्मीदवारों के लिए भी एक उपयुक्त मार्गदर्शिका है जो बैंकिंग करियर का चयन कर रहे हैं। भारत के सभी प्रकार के बैंकों में हिंदी में कामकाज हो इस उद्देश्य से राजभाषा विभाग कार्यरत हैं। उनकी सहायता यह पुस्तक करेगी। इसलिए मेरी 'मित्रता बैंकिंग से' यह पुस्तक उन्हीं राजभाषा कक्षों को सविनय समर्पित किया गया है।

Jadu Bhari Ladki: जादू भरी लड़की

by Kishore Chaudhary

जादू भरी लड़की, ये नौ कहानियों का संकलन है। शीर्षक कहानी एक लड़की के अटूट धैर्य और सादगी का बयान है। जीवन के कठोर पठार पर जीते जाना ही असल में लड़की का जादू से भरा होना है। किशोर चौधरी की कहानियों की भाषा शालीनता से भरी होती है और जीवन की विद्रूपता को सरल बिंबों के माध्यम से कहना इनकी कहानियों की विशेषता है। इन कहानियों का कथ्य अवास्तविक जीवन और कल्पना की उड़ान नहीं भरता है। इस संग्रह में शामिल कहानियाँ स्त्री केन्द्रित न होते हुए भी उनके आस पास के दुरूह जीवन को चित्रित करती हैं। इन कहानियों में सरल प्रेम का जटिल पक्ष मुखरित है। इस संग्रह में शामिल नौ कहानियाँ अपने-आप से अलग हैं। ये कहानियाँ महानगरीय जीवन के अकेलेपन से लेकर कस्बाई तन्हाई को चित्रित करती हुई हैं। इन कहानियों को पढ़ते हुए पाठक अपने संसार और अतीत से खुद को जोड़ पाता है, ऐसा लगता है कि कहानीकार की जगह पाठक खुद को पढ़ रहा है।

Samanya Gyan

by Sunil Kumar Singh

This book has been prepared taking into consideration different types of questions being asked in the competitive exams. boon for students preparing for ssc, banking, railways etc. It covers topics from science, social science, current affairs, polity and economics. This is a must read book for all aspirants.

Main Samay Hoon: मैं समय हूँ

by Deep Trivedi

‘मैं समय हूँ’ यह पुस्तक बेस्टसेलर्स ‘मैं मन हूँ’, ‘मैं कृष्ण हूँ’ और ‘101 सदाबहार कहानियां’ के लेखक तथा स्पीरिच्युअल सायको-डाइनैमिक्स के पायनियर दीप त्रिवेदी ने लिखी है। मनुष्यजीवन को गहराई से समझने और समझाने वाले दीप त्रिवेदी ने विश्व की अंतिम और निर्णायक सत्ता समय के रहस्यों का अपनी किताब ‘मैं समय हूँ’ में रहस्योद्घाटन किया है। इस किताब में दीप त्रिवेदी ने घड़ी की सूइयों से परे समय के कई स्वरूपों का खुलासा किया है। यही नहीं, उन्होंने न सिर्फ इन सभी स्वरूपों की विस्तार से चर्चा की है, बल्कि उनके प्रभावों को भी समझाया है। इस किताब की सबसे विशेष बात यह कि लेखक ने इसमें इतनी सरल भाषा का उपयोग किया है जिससे कि एक सामान्य मनुष्य भी समय जैसी महासत्ता की पूरी कार्यप्रणाली आसानी से समझ सके। इस किताब में यह स्पष्ट होता है कि एक समय ही है जिस कारण न सिर्फ मनुष्य बल्कि यह पूरा ब्रह्मांड भी चलायमान है तथा मनुष्य के जीवन में घटने वाली तमाम ऊंच-नीच भी समय के ही अधीन है। अतः चाहे मनुष्यजीवन सरल बनाना हो या फिर ब्रह्मांड के गहरे रहस्य समझने हों, समय के गहरे स्वरूपों को समझे बिना इनमें से कुछ भी शक्य नहीं है। इसीलिए इस बात पर विशेष ध्यान देते हुए लेखक ने मनुष्यों को उनका बिगड़ा समय संवारने के कई सरल उपाय भी दिये हैं। यह बात तय है कि जो भी समय की ताल-से-ताल मिला लेगा, एक सुखी और सफल जीवन गुजारना उसका भाग्य हो जाएगा।

Bharat mein Lok Prashasan

by B. L. Fadia

This is an iconic book written on the subject of public administration in India. By nature India is a social welfare state and in the development processes we are growing in multiple direction. This book covers many of those areas topics like IAS, planning commission, NDC, Finance commission Panchayati Raj etc.

Kaun Ho Tum: कौन हो तुम

by Sangeeta Pandey

क्या होता है जब प्यार शादीशुदा ज़िंदगी में दस्तक देता है? अंजाम किस हद तक ले जाता है? बर्बादी या प्यार की एक ऐसी कहानी जिसकी मिसाल दिल को छू जाए। आसान नही थी मोहिनी के लिए मोहब्बत की डगर, पर न जाने ऐसी कौन सी ताकत थी प्यार में कि हर दरिया पार करती चली गई। पर ये सुख ज़िंदगी को मंज़ूर कहां था? एक ऐसा पड़ाव आया... जहां, जिस शख़्स के लिए बहुत ख़ास थी मोहिनी, उसी की नज़रों से उतर गई... जो उसकी पूरी ज़िंदगी है, उसका वह एक लम्हा भी नहीं। सवाल उसकी खुशी का था तो मोहिनी ने चुप्पी साध ली पर आनंद की चुप्पी डसने लगी उसे, उसके अतीत की परछाई ने सब छीन लिया उससे। चाहत प्यार की थी, बेशुमार ग़म भर गए झोली में। क्या आनंद मोहिनी की ख़ामोशी कभी समझ पाएगा? क्या मोहिनी को तमन्नाओं की उड़ान मिलेगी या बिरह की अग्नि में जल जाएगी मोहब्बत? सामाजिक बंधनों के बीच उपजा आनंद और मोहिनी का प्यार परवान तो चढ़ा लेकिन क्या समाज के नाम की बलि चढ़ जाएगा या उनके जज़्बात एक नया मोड़ लेंगे?

Jinni: जिन्नी

by Anuja Chauhan

इस उपन्यास में अनुजा चौहान ने भारतीय लोक सभा इलेक्शन के रोलरकोस्टर राइड का रोमांच दर्शाया है। किताब में बहुत ही होशियार और वास्तविक किरदार पेश किए गए हैं। अनुजा दिलचस्प किरदार और बोल्ड अंदाज़ से भारतीय संस्कारों का गिरेबान पकड़ के पन्ना दर पन्ना पाठकों को हंसाते हुए आखिर तक उन्हें मजबूती से थामे रखती हैं साथ ही वो भारत और इंडिया के बीच तेजी से उभरती नई भाषा को बहुत विश्वसनीय ढंग से रखते हुए इनके मज़ेदार संयोजन को रचती हैं।

Sanyasi Yoddha: संन्यासी योद्धा

by Kaustubh Anand Chandola

इस उपन्यास में गोलू आज उत्तराखण्ड में न्याय के देवता के रूप में स्थापित है। गोलू का चरित्र एक सामान्य निम्न कुल में बढ़े बालक के रूप में सम्मुख आता है। उसके पालक माता-पिता निम्न धीवर कुल के होने के कारण गोलू को गुरुकुल में शिक्षा प्राप्त करने से वंचित होना पड़ता है। जिस कारण भाना धीवर उसे गुरु गोरखनाथ के पास शिक्षार्थ भेजते हैं। गुरु गोरखनाथ उसे केवल शास्त्र सम्मत शिक्षा ही नहीं देते अपितु अस्त्र-शस्त्र की भी शिक्षा देते हैं। गोलू आगे चलकर इस शिक्षा का लाभ लेकर उसे सामाजिक भलाई के निमित्त प्रयुक्त करता है। वह हर ऐसे अहंकार, अंधशक्ति और बाहुबल के प्रतीक मसाणों, तात्रिकों को साधता है जो जन सामान्य की अंधभक्ति का फायदा उठाकर उन्हीं का शोषण करते हैं। अंतत: एक दलित सामान्य जन से उठकर अपने योगबल और बाहुबल से वह धूमाकोट का एक न्यायप्रिय, निष्पृह, साधु राजा के रूप में मान्यता प्राप्त करता है और सामाजिक विद्वेष तथा जाति मनोवृत्ति से ग्रस्त रूढ़िवादी समाज के सम्मुख समातावादी मनोवृत्ति एवं सामाजिकता की स्थापना का आदर्श प्रस्तुत करता है। लेखक ने एक दलित नायक के सिहांसनारूढ़ होने को गाथा से हटकर यथार्थ का जामा पहनाया है। साथ ही राजधर्म, साधुधर्म और वर्तमान विसंगतियों का उपन्यास में सटीक चित्रण किया है। राजतंत्र की विडम्बनाओं पर भी स्थान-स्थान पर कटु व्यंग्य किया गया है। वस्तुत: गोलू के चरित्र का नायकत्व समतावादी समाज के पोषक और गीता के कर्मवाक्य प्रस्थापक के रूप में हुआ है। कहीं जहाँ यथार्थ से हटकर चित्रण हुआ है वहाँ अतिमानवीय तत्वों का वर्णन आ गया है। गोलू के चरित्र को बल देने के लिए राजा गरूण और भागवती, गुरु गोरखनाथ, देवहरु, सैसज्यू, वीर कलुआ, सेनानायक उग्र भट्ट, महामंत्री नरोत्तम, चंपावत के राजा नागनाथ, धरमदास, सात रानियाँ हालूराय, सामण दैत्य आदि की कथाएं अवांतर के रूप में उपन्यास में आयी हैं।

Musafir Cafe: मुसाफ़िर कॅफे

by Divya Prakash Dubey

हम सभी के जीवन में एक या दूसरी सूचियाँ होती हैं। मुसाफिर कैफे जीवन और इन सभी सूचियों के बारे में है। यह जीवन में एक ठहराव की तरह है, जब हम कोशिश करते हैं और अपने आप को धीमा करते हैं कि हम कहाँ हैं, और हम यहाँ से कहाँ जाना चाहते हैं? मुसाफिर कैफे दो युवा और आधुनिक व्यक्तियों, सुधा और चंदर की कहानी है। सुधा जो पेशे से वकील है और व्यक्ति में एक मजबूत मुक्त उत्साही लड़की है। वह देश की शीर्ष वकील बनना चाहती है जबकि चंदर एक भ्रमित सॉफ्टवेयर इंजीनियर है। हालाँकि उन दोनों को यकीन है कि वे शादी नहीं करना चाहते हैं और किसी के साथ घर बसाना चाहते हैं, लेकिन वे माता-पिता की खातिर हर सप्ताहांत इस मीटिंग गेम को खेलते हैं। घटनाएँ उन्हें एक सप्ताह के लिए एक साथ रहने के लिए प्रेरित करती हैं, लेकिन वे एक-दूसरे की उपस्थिति और जीवन में हस्तक्षेप करने के लिए अभ्यस्त हो जाते हैं, यह एक अनियोजित लिव-इन संबंध बन जाता है। मुसाफिर कैफे केवल सुधा और चंदर की कहानी नहीं है, यह हम सभी की कहानी है, जो बकेट लिस्ट पर टिकने की कोशिश कर रहे हैं और एक आदर्श जीवन की तलाश कर रहे हैं।

Shivagami Katha - Khand 1: शिवगामी कथा - खंड १

by Anand Neelakantan

पांच वर्ष की अल्पायु में जब शिवगामी ने अपनी आंखों से देखा कि माहिष्मती के सम्राट ने उसके पिता को राजद्रोही घोषित कर मृत्यु का आदेश दिया है, तभी उसने प्रतिज्ञा कर ली कि एक दिन वह इस साम्राज्य का सर्वनाश कर देगी। इसी बीच, अपने कर्तव्यों पर आंख मूंदकर विश्वास करने वाला स्वाभिमानी एवं आदर्शवादी नौजवान कटप्पा स्वयं को एक विलासी राजकुमार की सेवा में पाता है। जैसे ही शिवगामी पैशाची भाषा में लिखी एक पांडुलिपि के रहस्य से पर्दा उठाने का प्रयास करती है, वह पाती है कि माहिष्मती का साम्राज्य षड्यंत्रकारियों, क्रांतिकारियों, भ्रष्ट अधिकारियों और राजमहल के भीतर साजिश रचने वालों से घिरा हुआ है। वहीं, तीन सौ वर्ष पूर्व पवित्र पर्वत से निष्कासित किये जाने से क्रुद्ध एक कबीला सम्राट के विरुद्ध युद्ध का उद्घोष करने की तैयारी में जुटा है। शिवगामी कथा विचलित कर देने वाले षड्यंत्रों और कभी न भूलने वाले किरदारों से भरी है।

Pyari Nooni Ki Meethi-Meethi Kahaniyan: प्यारी नूनी की मीठी-मीठी कहानियाँ

by Sudha Murti

"प्यारी नूनी की मीठी-मीठी कहानियाँ" एक अज्ञात लेखक द्वारा लिखी गई मीठी और प्यारी कहानियों का संग्रह है। यह किताब प्यार, खुशी और बचपन की मासूमियत से भरी कई तरह की दिल छू लेने वाली कहानियों को एक साथ लाती है। प्रत्येक कहानी केंद्रीय पात्र नूनी के इर्द-गिर्द घूमती है, जो एक आकर्षक और प्यारा व्यक्ति है जो अपने आनंदमय कारनामों और अनुभवों से पाठकों के दिलों पर कब्जा कर लेता है। नूनी की यात्रा के माध्यम से, पुस्तक दोस्ती, परिवार, दयालुता और जीवन की सरल खुशियों को संजोने के महत्व की पड़ताल करती है। हृदयस्पर्शी क्षणों से लेकर मूल्यवान जीवन पाठों तक, इस संग्रह की कहानियाँ पाठकों को नूनी की जादुई दुनिया की एक झलक प्रदान करती हैं, जहाँ कल्पना और मासूमियत प्रचुर मात्रा में है। अपनी रमणीय कथाओं और संबंधित पात्रों के साथ, "प्यारी नूनी की मीठी-मीठी कहानियाँ" निश्चित रूप से सभी उम्र के पाठकों को मंत्रमुग्ध कर देगी और उन्हें एक गर्म और उदासीन एहसास के साथ छोड़ देगी।

Aatam Shakshatkar: आत्मसाक्षात्कार

by Dada Bhagwan

जीवमात्र क्या ढूंढता है? आनंद ढूंढता है, लेकिन घड़ीभर भी आनंद नहीं मिल पाता | विवाह समारोह में जाएँ या नाटक में जाएँ, लेकिन वापिस फिर दुःख आ जाता है | जिस सुख के बाद दुःख आए, उसे सुख ही कैसे कहेंगे? वह तो मूर्छा का आनंद कहलाता है | सुख तो परमानेन्ट होता है | यह तो टेम्परेरी सुख हैं और बल्कि कल्पित हैं, माना हुआ है | हर एक आत्मा क्या ढूंढता है? हमेशा के लिए सुख, शाश्वत सुख ढूंढता है | वह ‘इसमें से मिलेगा, इसमें से मिलेगा | यह ले लूँ, ऐसा करूँ, बंगला बनाऊ तो सुख आएगा, गाड़ी ले लूँ तो सुख मिलेगा’, ऐसे करता रहता है | लेकिन कुछ भी नहीं मिलता | बल्कि और अधिक जंजालों में फँस जाता है | सुख खुद के अंदर ही है, आत्मा में ही है | अत: जब आत्मा प्राप्त करता है, तब ही सनातन (सुख) ही प्राप्त होगा |

Adjust Everywhere: ऐडजस्ट एवरीव्हेयर

by Dada Bhagwan

यदि एक सीवर में बदबू आए तो क्या हम सीवर से लड़ते हैं ? इसी प्रकार ये झगडालू दृष्टिकोणवाले मनुष्य भी दुर्गंध फैलाते हैं, तो क्या हम उनसे कुछ कहने जाएँ ? दुर्गंध फैलाए वे सभी सीवर कहलाएँ, तथा सुगंध फैलाए वे सभी बाग़ कहलाएँगे। जिस-जिस से दुर्गंध आती है, वे सभी कहते हैं, “आप हमसे वीतराग रहें” | हमने जीवन में अनेकों बार, परिस्थितियों के साथ समझौता किया है। उदाहरणत: बारिश में हम छाता लेकर जाते हैं। पढाई पसंद हो या न हो करनी ही पड़ती है। ये सभी एडजस्टमेन्ट लेने पड़ते हैं। फिर भी नकारात्मक लोगों से सामना होने पर हम टकराव में आ जाते हैं। ऐसा क्यों होता है ? परम पूज्य दादाश्री ने खुलासा किया है कि ‘एडजस्ट एवरीव्हेर’ वह ‘मास्टर की’ है जो आपके संसार को सुखमय बना देगी। यह सरल सूत्र आपके संसार को बदल देगा! और जानने के लिए आगे पढ़े

Ahinsa: अहिंसा

by Dada Bhagwan

इन छोटे-छोटे जीवों को मारना, वह द्रव्यहिंसा कहलाता है और किसी को मानसिक दुःख देना, किसी पर क्रोध करना, गुस्सा होना, वह सब भावहिंसा कहलाता है। लोग चाहे जितनी अहिंसा पाले, लेकिन अहिंसा इतनी आसानी से नहीं पाली जा सकती। और वास्तव में क्रोध-मान-माया-लोभ ही हिंसा हैं। द्रव्यहिंसा कुदरत के लिखे अनुसार ही चलती है। इसमें किसी का चले, ऐसा नहीं है। इसलिए भगवान ने तो क्या कहा है कि सबसे पहले, खुद को कषाय नहीं हो, ऐसा करना। क्योंकि ये क्रोध-मान-माया-लोभ, वे सबसे बड़ी हिंसा हैं। द्रव्यहिंसा हो तो भले हो, लेकिन भाव हिंसा नहीं होनी चाहिए। लेकिन लोग तो द्रव्यहिंसा रोकते हैं और भाव हिंसा तो चलती ही रहती है। इसलिए किसी ने निश्चित किया हो कि “मुझे तो मारने ही नहीं हैं” तो भाग्य में कोई मरने नहीं आता। अब वैसे तो उसने स्थूल हिंसा बंद कर दी, कि मुझे किसी जीव को मारना ही नहीं है। लेकिन बुद्धि से मारना, ऐसा निश्चित किया, तो उसका बाज़ार खुला ही रहता है। तब वहाँ कीट पतंगे टकराते रहते हैं। और वह भी हिंसा ही है न! अहिंसा के बारे में इस काल के ज्ञानी, परम पूज्य दादाश्री के श्रीमुख से निकली हुई वाणी, इस ग्रंथ में संकलित की गई है। इसमें हिंसा और अहिंसा – दोनों के तमाम रहस्यों से पर्दा हटाया है।

Antahkaran Ka Swaroop: अंतकरण का स्वरूप

by Dada Bhagwan

अंत: करण के चार अंग हैं : मन, बुद्धि, चित्त और अहंकार| हरेक का कार्य अलग अलग है| एक समय में उनमे से एक ही कार्यन्विंत होता है| मन क्या है? मन ग्रंथिओं का बना हुआ है| पिछले जन्म में अज्ञानता से जिसमे राग द्वेष किये, उनके परमाणु खींचे और उनका संग्रह होकर ग्रंथि हो गयी| वह ग्रंथि इस जन्म में फूटती है तो उसे विचार कहा जाता है| विचार डिस्चार्ज मन है| विचार आता है उस समय अहंकार उसमे तन्मयाकार हो जाता है| यदि वह तन्मयाकार नहीं हुआ हो तो डिस्चार्ज होकर मन खाली हो जाता है| जिसके ज्यादा विचार उसकी मनोग्रंथि बड़ी होती है| अंत: करण का दूसरा अंग है, चित्त | चित्त का स्वभाव भटकना है| मन कभी नहीं भटकता| चित्त सुख खोजने के लिए भटकता रहता है| किन्तु वह सारे भौतिक सुख विनाशी होने की वजह से उसकी खोज का अंत ही नहीं आता| इसलिए वह भटकता रहता है| जब आत्मसुख मिलता है तभी उसके भटकन का अंत आता है| चित्त ज्ञान दर्शन का बना हुआ है| अशुद्ध ज्ञान+ दर्शन यानी अशुद्ध चित्त, संसारी चित्त और शुद्ध ज्ञान+ दर्शन यानी शुद्ध चित्त, यानी शुद्ध आत्मा| बुद्धि, आत्मा की इनडायरेक्ट लाइट है और प्रज्ञा डायरेक्ट लाइट है| बुद्धि हमेशा संसारी मुनाफा नुक्सान बताती है और प्रज्ञा हमेशा मोक्ष का ही रास्ता बताती है| इन्द्रियों के ऊपर मन, मन के ऊपर बुद्धि, बुद्धि के ऊपर अहंकार और इन सबके ऊपर आत्मा है| बुद्धि,वह मन और चित्त दोनों में से एक का सुनकर निर्णय करती है और अहंकार अँधा होने से बुद्धि के कहे अनुसार हस्ताक्षर कर देता है| उसके हस्ताक्षर होते ही वह कार्य बाह्यकरण में होता है| अहंकार करने वाला भोक्ता होता है, वह स्वयं कुछ नहीं करता, वह सिर्फ मानता है कि मैंने किया| और वह उसी समय कर्त्ता हो जाता है| फिर उसे भोक्ता होना ही होता है| संयोग करता हैं, मैं नहीं, यह ज्ञान होते ही अकर्ता होता है, फिर उसके कर्म चार्ज नहीं होते| अंत: करण की सारी क्रियाएँ मैकेनिकल हैं| इसमें आत्मा को कुछ करना नहीं होता| आत्मा तो सिर्फ ज्ञाता द्रष्टा और परमानंदी है| केवल ज्ञानीपुरुष ही अपने अंत: करण से अलग रहते हैं| आत्मा में ही रह कर उसका यथार्थ वर्णन कर सकते हैं| ज्ञानीपुरुष संपूज्य श्री दादाश्री ने अंत: करण का बहुत ही सुन्दर और स्पष्ट वर्णन किया है|

Aptavani Shreni 1: आप्तवाणी श्रेणी १

by Dada Bhagwan

यह संसार किसने बनाया? क्या यह संसार आपके लिए परेशानी का कारण है? क्या आपको आश्चर्य होता है कि यहाँ सबकुछ कैसे होता है? कैसे हम अनगिनित जन्मों में भटक रहे हैं। यह सब करनेवाला कौन है? धर्म क्या है? मोक्ष क्या है? आध्यात्मिकता और धर्म में क्या फर्क है? शुद्ध आत्मा क्या है? मन, शरीर और वाणी के क्या कार्य हैं? लौकिक रिश्तों को कैसे निभाएँ? भाग्य और कर्म का अंतर कैसे समझें? अहंकार क्या है? क्रोध-लोभ-मोह, क्या वे अहंकार के कारण हैं? जिन्हें मोक्ष पाने की इच्छा है या जो मोक्ष चाहते हैं, उनकी ज़िंदगी में ऐसे अनेक प्रश्न व समस्याएँ होगीं। ‘स्वयं’का ज्ञान या ‘मैं कौन हूँ’यह सब का अंतिम लक्ष्य है। ‘मैं कौन हूँ’के ज्ञान बगैर मोक्ष नहीं मिल सकता। यह ज्ञान केवल ज्ञानीपुरुष से ही प्राप्त हो सकता है। इस पुस्तक में ज्ञानीपुरुष परम पूज्य दादाश्री द्वारा दिए गए बहुत सी समस्याओं के उत्तर संकलित हैं। इस दिव्य पुस्तक का ज्ञान उन लोगों के लिए हैं जिनकी वैज्ञानिक सोच है, जिन्हें आत्मिक शांति चाहिए और जो संसार की परेशानियों से मुक्त होना चाहते हैं।

Aptavani Shreni 13 (Purvadh): आप्तवाणी श्रेणी १३ (पूर्वार्ध)

by Dada Bhagwan

आत्मार्थियों ने आत्मा से संबंधित अनेक बातें अनेक बार सुनी होंगी, पढ़ी भी होंगी लेकिन उसकी अनुभूति, वह तो एक गुह्यत्तम चीज़ है! आत्मानुभूति के साथ-साथ पूर्णाहुति की प्राप्ति के लिए अनेक चीज़ों को जानना ज़रूरी है, जैसे कि प्रकृति का साइन्स, पुद्गल (जो पूरण और गलन होता है) को देखना-जानना, कर्मों का विज्ञान, प्रज्ञा का कार्य, राग-द्वेष, कषाय, आत्मा की निरालंब दशा, केवलज्ञान की दशा और आत्मा व इस स्थूल शरीर, सूक्ष्म शरीर और कारण शरीर के तमाम रहस्यों का खुलासा, जो मूल दशा तक पहुँचने के लिए माइल स्टोन के रूप में काम आते हैं। जब तक ये संपूर्ण रूप से, सर्वांग रूप से दृष्टि में, अनुभव में नहीं आ जाते, तब तक आत्मविज्ञान की पूर्णाहुति की प्राप्ति नहीं हो सकती। और इन तमाम रहस्यों का खुलासा संपूर्ण अनुभवी आत्म विज्ञानी के अलावा और कौन कर सकता है? पूर्वकाल के ज्ञानी जो कह गए हैं, वह शब्दों में रहा है, शास्त्रों में रहा है और उन्होंने उनके देशकाल के अधीन कहा था, जो आज के देशकाल के अधीन काफी कुछ समझ में और अनुभव में फिट नहीं हो पाता। इसलिए कुदरत के अद्भुत नज़राने के रूप में इस काल में आत्म विज्ञानी अक्रम ज्ञानी परम पूज्य दादाश्री में पूर्णरूप से प्रकट हुए ‘दादा भगवान’को स्पर्श करके पूर्ण अनुभव सिद्ध वाणी का फायदा हम सभी को मिला है।

Aptavani Shreni 2: आप्तवाणी श्रेणी २

by Dada Bhagwan

जिसे छूटना ही है उसे कोई बाँध नहीं सकता और जिसे बंधना ही है उसे कोई छुड़वा नहीं सकता! - परम पूज्य दादाश्री| यह ज्ञान ग्रंथ या धर्म ग्रंथ नहीं है, लेकिन विज्ञान ग्रंथ है| इसमें आंतरिक विज्ञान का, वीतराग विज्ञान का ज्ञानार्क जो कि परम पूज्य दादाश्री के श्रीमुख से प्रकट हुआ है, उसे प्रस्तुत करने का प्रयत्न किया गया है| यह ज्ञानग्रंथ तत्व चिंतकों, विचारकों तथा सच्चे जिज्ञासुओं के लिए अत्यंत उपयोगी रहेगा| भाषा सादी और एकदम सरल होने के कारण सामान्य जन को भी वह पूरा-पूरा फल दे सकेगी| सुज्ञ पाठक गहराई से इस महान ग्रंथ का चिंतन मनन करेंगे तो अवश्य समकित प्राप्त करेंगे|

Aptavani Shreni 3: आप्तवाणी श्रेणी ३

by Dada Bhagwan

ज़िंदगी में लोगों के बहुत से लक्ष्य और उद्देश होते हैं, लेकिन वे सबसे बुनियादी सवाल का जवाब नहीं दे पाते कि ‘मैं कौन हूँ’। बल्कि हममें से अधिकतर लोग यह नहीं जानते। अनंत समय से लोग संसार के भौतिक साधनों के पीछे भागते रहे हैं। सिर्फ ज्ञानीपुरुष ही आत्म साक्षात्कार करवा सकते हैं और आपको संसार के भौतिक बंधनों से मुक्ति दिलवा सकते हैं। प्रस्तुत पुस्तक में परम पूज्य दादाश्री ने आत्मा के गुणों और अन्य अनेकों विषयों जैसे ‘स्वयं’के ज्ञान, दर्शन तथा शक्तियों के बारे में बताया है। सुख, स्वसत्ता, परसत्ता, स्वपरिणाम, परपरिणाम, व्यवहार आत्मा, निश्चय आत्मा तथा अनेक विषयों के बारे मे भी बताया है। पुस्तक के दुसरे भाग में परम पूज्य दादाश्री ने ‘क्लेश रहित जीवन कैसे जीएँ’इसकी चाबी दी है तथा यह भी बताया है कि सही सोच से परिवार में बिना दुखी हुए कैसे व्यव्हार करें जैसे-बच्चों से व्यव्हार, दूसरों को सुधारने के बजाय खुद को सुधारना, दूसरों के साथ तालमेल बिठाना, सांसारिक संबंधों को कैसे निभाएँ, परिवार, मेहमान, बड़ों के साथ, अलग-अलग व्यक्तित्ववाले सदस्यों से कैसे व्यवहार करें, रिश्तों को सामान्य कैसे करें इत्यादि... इस पुस्तक का अध्ययन करके जीवन में उतारने से जीवन हमेशा के लिए शांति और आनंदमय हो जाएगा।

Aptavani Shreni 4: आप्तवाणी श्रेणी ४

by Dada Bhagwan

जो आप स्वयं हैं उसमे इतनी क्षमता है कि वह पूरी दुनिया को प्रकाशित कर सके। स्वयं में अनंत ऊर्जा है, फिर भी हम बहुत दुःख, कष्ट, मजबूरी और असुरक्षा का अनुभव करते हैं। यह बात कितनी विरोधाभासी हैं। हमें अपने स्वरूप की शक्ति और सत्ता का सही ज्ञान नहीं है। जब हम स्वयं जागृत हो जाते हैं तो हमें सारी सृष्टि के मालिक होने का एहसास होता है। आम तौर पर जिसे जागना कहा जाता है, ज्ञानी उसे निद्रा कहते हैं। सारा विश्व भावनिद्रा में डूबा हुआ है। जागृति या समझ की कमी की वजह से हम यह नहीं जान पाते कि इस दुनिया में और दूसरी दुनिया में हमारे लिए क्या लाभदायक है और क्या हानिकारक है। इस समय भावनिद्रा के कारण, अहंकार, मान, क्रोध, छलकपट, लोभ तथा अलग-अलग मान्यताओं और चिंता के कारण सब लोग मतभेद महसूस करते हैं। जिसे यह जागरूकता है कि ‘मैं जागृत हूँ’ और मन के विचार ‘स्व’से बिल्कुल अलग है, जिसे आत्मा के विज्ञान की अनुभूति हो गई, वह संसार में रहकर ही जीवन मुक्त हो जाता है। इस पुस्तक में ज्ञानीपुरुष परम पूज्य दादाश्री ने यह ज्ञान दिया है कि हम स्वयं के प्रति कैसे जागृत रहें, ध्यान, प्रारब्ध और स्वतंत्र इच्छा, घृणा तिरस्कार, अनादर स्वयं का सांसारिक धर्म, जीवनमुक्ति का लक्ष्य तथा कर्म का विज्ञान आदि के बारे में ज्ञान दिया है। जो लोग स्वयं का सही अर्थ जानने के उत्सुक हैं उन्हें यह पढ़ने से मुक्ति के पंथ पर आगे बढ़ने में मदद मिलेगी और यह पढ़ाई उनकी जागृति बढ़ाएगी।

Aptavani Shreni 5: आप्तवाणी श्रेणी ५

by Dada Bhagwan

व्यवस्थित शक्ति के द्वारा हमारे जीवन का समस्त सांसारिक व्यवहार डिस्चार्ज हो रहा है। हमारी पाँचों इन्द्रियाँ कर्म के अधीन हैं। कर्मों के बंधन का कारण क्या है? यह धारणा की कि ‘मैं चंदुलाल हूँ’ वह कर्म बंधन का मूल कारण है। सिर्फ सच (तथ्य) जानने की आवश्यकता है। यह एक विज्ञान है। इस पुस्तक में परम पूज्य दादाश्री ने पाँच ज्ञान इन्द्रियों तथा उनके कार्यों की प्रणाली के बारे में बताया है। मन-बुद्धि-चित्त-अहंकार, यह सब इन्द्रियों के अलग-अलग कार्य हैं। फिर अपना कार्य करने में कौन असफल रहा? ‘स्व’ रहा। ‘स्व’ का कार्य है जानना, देखना और हमेंशा आनंदमय स्थिति में रहना। हर इन्सान ज़िंदगी के बहाव के साथ आगे बह रहा है। यहाँ कोई भी कर्ता नहीं है। अगर कोई स्वतंत्र कर्ता होता तो वह हमेंशा बंधन में ही रहता। जो नैमित्तिक कर्ता है वह कभी भी बंधन में नहीं रहता। संसार प्राकृतिक परिस्थितियों के प्रभाव से उत्त्पन्न परिणाम पर ही चलता है। ऐसी परिस्थिति में ‘मैं कर्ता हूँ’ की गलत धारणा की उत्पत्ति होती है। इस कर्तापन की गलत धारणा की वजह से अगले जन्म के बीज बोए जाते हैं। इस संकलन में परम पूज्य दादाश्री ने कर्म के विज्ञान, कर्तापन, पाँच इन्द्रियों, अहंकार, मनुष्यों का स्वभाव, ज्ञानियों के प्रति विनय, पापों का प्रतिक्रमण, प्रायश्चित इत्यादि विषयों के बारे में बताया है। यह समझ साधकों को स्वयं के बारे में व संसार में दूसरों से कैसे शांतिपूर्वक व्यवहार करें, इस बारे में मदद करती है।

Aptavani Shreni 6: आप्तवाणी श्रेणी ६

by Dada Bhagwan

हममें से ज्यादातर लोग हमेशा एक समस्याका सामना कर रहें हैं | जिसमे एक तरफ व्यव्हारमें हरेक क्षण बाहरी प्रश्न खड़े होते हैं, और दूसरी तरफ अंदरूनी संघर्षमे भी फँसे हुए रहते हैं और अकेले हाथों से उनको हल करना होता है | हम जानते है की कभी - कभी हमारी वाणी के प्रश्न खड़े किये होते है, या हमको किसीने कुछ कहा इसलिए हम दुखी होते है, या तो हम दूसरेका बूरा सोचते है या फिर हमें लगता है हमारे साथ अन्याय हुआ है अथवा हम खुद ही अंदरसे शांतिका अनुभव नहीं कर सकते | सांसारिक जीवन व्यवहार वह समस्याओं का संग्रह्स्थान है | एक समस्या का हल आता है की पीछे और समस्या खड़ी हो जाती है | क्यूँ हमें ऐसी समस्याओंका सामना करना पड़ता है? क्यूँ हम अनंत जन्मोंसे भटकते रहते है? ‘अटकण’ की वजह से! हकीकतमे खुदके पास आत्माका परम आनंद था ही, परंतु खुद दैहिक सुखोंकी अटकणों में डूब गए थे | यह अटकण ज्ञानीपुरुषकी कृपा से और उसके बाद अपने पराक्रमसे टूट सकती है | एक बार आपको आत्मज्ञान होगा, तो जगत शांत हो जायेगा | यह जीवन दूसरों की व्यर्थ चर्चा मे व्यय करने के लिए नहीं है | यह जगत जैसा है वैसा है | उसमे आपको आपकी ‘खुद’की सेफ साइड ढूँढ निकालनी है | तो चलो, हम डूब की लगायें और जाने की यह अक्रम विज्ञान कैसे बंधन, कर्म, वाणी, प्रतिक्रमण, कुदरत के नियम ईत्यादि का विज्ञान समझने में उपयोगी है जिससे सर्व सांसारिक समस्याओं के तूफानो का डटकर सामना करना आसान हो जाए |

Aptavani Shreni 7: आप्तवाणी श्रेणी ७

by Dada Bhagwan

प्रस्तुत ग्रंथ आप्तवाणी-7 में परम पूज्य दादाश्री की जीवन-व्यवहार से संबंधित बातचीत और प्रश्नोतरी द्वारा की गई वाणी का संकलन किया गया है। ज्ञानीपुरुष जीवन के सामान्य से सामान्य घटनाओं को भी असाधारण दृष्टि और समझ से देखते हैं। ऐसी घटनाएँ सुज्ञ वाचक को जीवन-व्यवहार में एक नई ही दृष्टि और नई ही विचारश्रेणी देती है। अलग-अलग विषयों पर यहाँ वर्णन किया गया है उनमें से कई हमें विचलित कर दे ऐसे हैं, जैसे कि जंजाली जीवन में जागृति, लक्ष्मी का चिंतवन, उलझनों में किस तरह शांतिपूर्वक रह सकें, टालो कंटाला, चिंता से मुक्ति, भय पर कैसे विजय पाएँ, कढ़ापा-अजंपा, शिकायतें, जीवन की अंतिम पलों में क्या होता है, क्रोध कषाय, अति गंभीर बीमारी में किस तरह समता रखें, पाप-पुण्य की परिभाषा, व्यवसाय-ऑफिस में रोज़मर्रा की समस्याओं का और इस तरह की जीवन में आती हुई कई परेशानियों का किस तरह हल करें। प्रस्तुत ग्रंथ में प्रकट ज्ञानीपुरुष की हृदयस्पर्शी वाणी का संकलन किया गया है कि जिसमें ऐसी कुछ घटनाओं को विगतवार प्रकाशित किया गया है, ताकि प्रत्येक सुज्ञ वाचक को खुद के जीवन-व्यवहार में एक नई ही दृष्टि, नये ही दर्शन से(समझ से) वैसे ही विचारक दशा की नई ही कड़ियों को खुली होने में मददरूप होगी, ऐसा अंतर-आशय है।

Refine Search

Showing 1,801 through 1,825 of 1,962 results