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Devshakti Adbhut Divyastra: देवशक्ति अद्भुत दिव्यास्त्र
by Shivendra Suryavanshiशक्ति- एक ऐसा शब्द जिसे प्राप्त करने के लिये, मनुष्य, देवता, दैत्य ही नहीं अपितु अंतरिक्ष के जीव भी सदैव लालायित रहते हैं। शक्ति का पर्याय स्वामित्व से जुड़ता है, इसलिये ब्रह्मांड के सभी जीव शक्ति को प्राप्त कर, स्वयं को श्रेष्ठ दिखाना चाहते हैं। वन में मौजूद एक सिंह भी, अन्य वन्य प्राणियों के समक्ष अपनी शक्ति का प्रदर्शन करने से नहीं चूकता। ठीक उसी प्रकार कुछ देवता भी मनुष्यों के समक्ष, अपना शक्ति प्रदर्शन कर, उनमें भय की भावना उत्पन्न करते रहते हैं। जैसे देवराज इंद्र के द्वारा जलप्रलय लाना या सूर्यदेव के द्वारा सूखे की स्थिति उत्पन्न कर देना। यह सब भी शक्ति प्रदर्शन के अद्वितीय उदाहरण हैं। दैत्यों ने हमेशा त्रिदेवों से ही शक्ति प्राप्त कर, उनका प्रयोग देवताओं के ही विरुद्ध किया है। इन शक्तियों को प्राप्त करने के लिये, मनुष्यों ने भी घोर तप किये हैं। कुछ ऐसी ही देवशक्तियों को, पृथ्वी की सुरक्षा के लिये, देवताओं ने पृथ्वी के अलग-अलग भागों में छिपा दिया, जिससे समय आने पर कुछ दिव्य मानव, उन देव शक्तियों को धारण कर, पृथ्वी की सुरक्षा का भार उठा सकें। ऐसे ही देवशक्ति धारक कुछ विलक्षण मनुष्य बाद में ब्रह्मांड रक्षक कहलाये।
Kala Moti: काला मोती: ब्रह्मकण शक्ति
by Shivendra Suryavanshiहिमालय की गुफाओं से निकलकर, अटलांटिस की धरती के रहस्यों की परतों को खोलने वाली, देवताओं के द्वारा रची गयी ऐसी महागाथा, जिसे आप बार बार पढना चाहेंगे। यह कहानी है सन राइजिंग नामक एक ऐसे पानी के जहाज की जो किसी कारणवश रास्ता भटक कर बरमूडा ट्रायंगल के खतरनाक क्षेत्र में फंस जाता है। कहानी के कुछ पात्र भयानक मुसीबतों से जूझते हुए अटलांटिस की धरती पर पहुंच जाते हैं जहां पर उनका इंतजार कर रहा होता है इस ब्रम्हांड का सबसे बड़ा तिलिस्म। 28 दरवाजे वाले इस तिलिस्म में मौजूद हैं - सप्ततत्व, 12 राशियां, ग्रीक गॉड, रोमन योद्धा, ब्रह्मांड के सबसे खतरनाक जीव, अनोखे ग्रह, और विज्ञान की अनोखी दुनिया।
The Suicide Case - Safar Rahasyon Kaa: दि सुसाइड केस: सफ़र रहस्यों का
by Supriya Pravahहिमालय यात्रा से आने के सिर्फ तीन दिन बाद ही सुपरस्टार आरव की लाश रेल की पटरी पर मिलती है। आरव की संदेहास्पद मौत की जाँच करते हुए उसकी एक्स गर्लफ्रेंड एसीपी कलसी, उसका दोस्त दीपक व उसका वकील अरुणाचल पहुंचते है। नन्हे लामा और वकील के लापता होते ही एसीपी कलसी के शक की सुई वकील पर अटक जाती है। आखिर क्या है आरव की मौत का राज? मुंबई से अरुणाचल, नेपाल, तिब्बत, कैलाश और फिर मुंबई से इंदौर, रुड़की तक के इस रोमांचक रहस्यमई यात्रा में मर्डर मिस्ट्री के साथ दोस्ती, प्यार, व्यथा और भावुकता है। यह अद्भुत कहानी है एक मानव जीवन के संघर्ष, उसके जीने की इच्छा और आत्मदर्शन की।
Agnirathi Niyam aur Dand: अग्निरथी: नियम और दण्ड
by Akash Pathakअग्निरथी: नियम और दण्ड लेखक – आकाश पाठक नियमों के विरुद्ध मंत्र विद्या का प्रयोग करने के कारण कौस्तुभ को मिला है दंड। क्या एक अंतहीन मार्ग पर खड़ा कौस्तुभ अपने जीवन को एक नई दिशा दे पायेगा? वर्षाणों के आक्रमण से एक बार पुनः रक्तरंजित हो चुकी है उत्तराँचल की भूमि। अपने अतीत से जूझता अरिदमन क्या इन दुर्दांत हत्यारों को रोक पायेगा? विशाल मरुस्थल के गर्भ से निकला एक प्राचीन रहस्य जो एकद्वीप के वर्तमान और भविष्य पर है संकट। मरुभूमि में शिक्षा प्राप्त कर रहा शिखी किस प्रकार जुड़ा है इस रहस्य से? छल, क्रोध, माया, प्रेम और साहस से भरी अविस्मरणीय गाथा ‘सव्यसाची: छल और युद्ध’ का दूसरा भाग!
Main Maseeha Nahin: मैं मसीहा नहीं
by Sonu Sood Meena K. Iyerकभी-कभार ब्रह्मांड का कोई छोटा सा संकेत इंसान को उसके जीवन का उद्देश्य ढूँढ़ने में मदद कर देता है। अगर अभिनेता सोनू सूद एक मशहूर हस्ती के रूप में अपने शानो-शौकत से भरे जीवन को तवज्जो देते रहते और सिर्फ रिमोट कंट्रोल से अपनी उदारता दर्शाते, तो वह कभी भी भारत के प्रवासी मजदूरों के दर्द से रूबरू नहीं होते या कभी यह नहीं समझ पाते कि भोजन का महज़ एक पैकेट कभी भी किसी मजदूर को घर भेजे जाने के इंतज़ाम का विकल्प नहीं हो सकता। कोविड-19 महामारी के समय राष्ट्रव्यापी लॉकडॉन के दौरान जब गरीब मजदूरों के झुंड का झुंड अपने सुदूर गाँवों की तरफ रवाना हुआ, तो उनके माता-पिता का सिखाया हुआ सेवा का संस्कार सोनू सूद के अंदर जाग उठा और वे तुरंत हरकत में आ गए। उन्होंने सामने आकर मोर्चा संभाला और दुखी-पीड़ित लोगों के पास पहुँचे। उन्होंने समर्पित लोगों की टीम बनाई और देश और विदेश से भी लोगों को उनके घर लौटाने का इंतज़ाम किया। ऐसा करके उन्होंने हज़ारों असहाय और ज़रूरतमंद श्रमिकों की मदद की। इस तरह एक मानवतावादी मिशन के तौर पर उनका घर “भेजो अभियान” शुरू हुआ। इसके लिए उन्होंने चार्टर्ड फ्लाइट, बसों और ट्रेनों को सेनिटाइज़ करवाया और उसका ख़र्च वहन किया। दुनिया भर के लोगों से आ रही दुख भरी फोन कॉल्स को सुनने और जवाब देने का उन्होंने इंतज़ाम करवाया। जल्द ही वह अभियान नौकरी दिलवाने, चिकित्सा सुविधा मुहैया करवाने और श्रमिकों को शैक्षणिक सहायता मुहैया करवाने में तब्दील हो गया। फिल्मी पर्दे का वह खलनायक वास्तविक जीवन में लोगों के सामने एक कद्दावर नायक की तरह प्रकट हुआ। अपने संस्मरण मैं मसीहा नहीं (आई एम नो मसीहा का हिंदी अनुवाद) में सोनू सूद मोगा से मुंबई तक की अपनी असाधारण यात्रा अनुभवों को वरिष्ठ पत्रकार और लेखिका मीना के. अय्यर के शानदार लेखकीय कौशल के साथ प्रस्तुत कर रहे हैं। यह ईमानदार, प्रेरक और दिल को छूने वाली कहानी सोनू सूद की है और उन लोगों की है जिनके जीवन को वह लगातार परिवर्तित करने के अभियान में जुटे हुए हैं।
Code Kakori: कोड काकोरी
by Manoj Rajan Tripathiइस कहानी का बीज मेरे सामने बोया गया था और आज कहानी फसल बन कर लहलहा रही है, CODE काकोरी को दिल से मुबारकबाद - साजिद नाडियाडवाला। काकोरी अस्पताल के वॉर्ड में एक डेड बॉडी पड़ी है, जो पूरी तरह काली पड़ चुकी है। लाश पर सोने-चांदी के ब्रिटिश कॉइंस पड़े हैं। हर सिक्के पर क्वीन विक्टोरिया की तस्वीर छपी है। क़ातिल ने लाश के सीने पर पीतल की थंब पिन से एक ए फोर साइज़ का कागज़ टैग किया है, जिस पर लिखा है—हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन। आख़िर क़ातिल का इशारा क्या है? क्यों छोड़े हैं उसने ये सुराग़? पुलिस को क्यों चैलेंज कर रहा है ये क़ातिल? असल में ये वही विक्टोरियन कॉइंस हैं, जो 1925 के ‘काकोरी कांड’ में लूटे गए थे। ये वही हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन है जो 1924 में चंद्रशेखर आज़ाद ने बनाई थी। तब मक़सद था ब्रिटिश हुकूमत के ख़िलाफ़ बारूदी जंग छेड़ना, और बारूद उगलने वाले हथियार ख़रीदने के लिये 9 अगस्त 1925 को ट्रेन रोककर काकोरी में ही लूटा गया, अंग्रेज़ों का खज़ाना। लेकिन चौरानवे साल बाद अब क्या मक़सद है? अब क्या इरादा है? किसके ख़िलाफ़ है ये जंग? अब कौन है जिसने बनाया है ‘कोड काकोरी’? मनोज राजन त्रिपाठी के इस उपन्यास में थ्रिल है, सस्पेंस है, एक्शन है, कॉमेडी है, ड्रामा है; कहने का मतलब, एक पूरी फ़िल्म का मज़ा है।
Aptavani Shreni-14 (Bhaag-3): आप्तवाणी-श्रेणी-१४ (भाग -३)
by Dada Bhagwanआप्तवाणी -14 भाग -3 में प्रकाशित प्रश्नोतरी सत्संग में, परम पूज्य दादाश्री ने आत्मज्ञान से लेकर केवलज्ञान दशा तक पहुँचने के लिए सारी समझ खुली कर दी हैं। खंड-1 में आत्मा के स्वरूप रियली, रिलेटिवली, संसार व्यवहार में हर एक जगह पर, कर्म बाँधते समय, कर्मफल भुगतते समय और खुद मूल रूप से कौन है, उसी तरह अस्तित्व के स्वरूप जो ज्ञानी पुरुष के श्रीमुख से निकले हैं, उनका विस्तारपूर्वक स्पष्टीकरण प्राप्त होता है। प्रतिष्ठित आत्मा, व्यवहार आत्मा, पावर चेतन, मिश्रचेतन, निश्चेतन चेतन और मिकेनिकल चेतन की ज्ञानी की दृष्टि में जो यथार्थ समझ है, वह शब्दों के माध्यम से परम पूज्य दादाश्री की वाणी द्वारा प्राप्त होती है। खंड-2 में ज्ञान के स्वरूप की समझ, स्वरूप के अज्ञान से लेकर केवलज्ञान तक के सभी प्रकार उसके अलावा ज्ञान-दर्शन के विविध प्रकारो की विस्तृत समझ प्राप्त होती है। अज्ञान में कुमति, कुश्रुत, कुअवधि एवम ज्ञान में श्रुतज्ञान, मतिज्ञान, अवधिज्ञान, मनःपर्यव ज्ञान और केवलज्ञान, इस तरह पाँच भाग और दर्शन में चक्षु दर्शन, अचक्षु दर्शन, अवधि दर्शन और केवल दर्शन वगैरह का आध्यात्मिक स्पष्टीकरण प्राप्त होता है।
Mister Laapata: मिस्टर लापता
by Devendra Pandeyनरेश अचानक से बेरोजगार हो गया। वह सालों से अपने कंफर्ट ज़ोन में फंसा कुएँ का मेंढ़क बना हुआ था। अचानक उसे अपना अनिश्चित भविष्य दिखाई देने लगा। नई नौकरी मतलब फिर से शुरुआत जिसके लिए वह बिल्कुल भी तैयार नहीं था। ऐसे में हताशा और निराशा से घिरे नरेश को ना जाने क्यों अपना गाँव याद आया जिसे वह सालों पहले कहीं छोड़ आया था। गाँव उसका अतीत था तो शहर वर्तमान और भविष्य दोनों थे। दोबारा शुरुआत करने से पहले वह अपनी जड़ों को एक बार देखना चाहता था। लेकिन क्या गाँव वैसा ही था जैसा उसने सोचा था? सुकून की तलाश में बेचैनियों को मंजिल बना लेने वाले नरेश की कहानी। अपने भीतर समाए बेचैनियों के शहर में लापता, ज़ेहन में कहीं छिपे सुकून के गाँव को खोजते नरेश जैसे ना जाने कितनों की कहानी।
Bharatiya Kala Ka Parichay Bhag-2 class 12 - NCERT - 23: भारतीय कला का परिचय भाग-२ १२वीं कक्षा - एनसीईआरटी - २३
by Rashtriy Shaikshik Anusandhan Aur Prashikshan Parishadउन्नीसवीं शताब्दी में ब्रिटिश शासन के दौरान, भारतीय विद्वानों के सहयोग से कुछ ब्रिटिश औपनिवेशिक अधिकारियों ने भारत के अतीत का अध्ययन करने में सक्रिय रुचि ली। इसके साथ ही भारतीय उपमहाद्वीप में स्थापत्य स्मारकों, मूर्तियों और चित्रों का एक सुव्यवस्थित या क्रमवार अध्ययन शुरू हुआ। धार्मिक ग्रंथों के अध्ययन के साथ, धर्म के इतिहास का अध्ययन भी किया गया और मूर्तियों और चित्रों की पहचान शुरू की गई, जो प्रारंभिक छात्रवृत्ति का एक प्रमुख क्षेत्र बन गया। कक्षा 11 और 12 के लिए पाठ्यपुस्तकों की इस श्रृंखला में, कक्षा 11 की पाठ्यपुस्तक शुरुआत से मध्ययुगीन काल तक के विभिन्न दृश्य कला रूपों का परिचय देती है, जैसे- भित्ति चित्र, चित्रकला, मूर्तियाँ, वास्तुकला आदि। कक्षा 12 की इस पाठ्यपुस्तक में मध्ययुगीन और आधुनिक काल के दौरान भारत में चित्रकला परंपराओं के विकास पर अध्याय शामिल हैं। उच्चतर माध्यमिक स्तर की युवा पीढ़ी को ध्यान में रखते हुए, भारतीय कला में विकास की समझ विकसित करने के लिए पाठ्यपुस्तक कुछ उदाहरणों की रूपरेखा प्रस्तुत करती है। इस पाठ्यपुस्तक में आठ अध्याय हैं और प्रत्येक अध्याय एक विशेष शैली या चित्रकला के समयकाल और अन्य दृश्य कलाओं की चर्चा से संबंधित है।
Qaidi: कैदी
by Amit Khanकमांडर करण सक्सेना ने इस बार चीन जाकर एक कैदी को आज़ाद कराना था। हिन्दुस्तानी कैदी को! वह बड़ा अजीबोगरीब वीआईपी कैदी था। कभी चीन वह खुद अपनी इच्छा से गया था। वह एक भारतीय डॉक्टर था। यह इस देश का दुर्भाग्य रहा है कि इस देश की मिट्टी ने बड़ी-बड़ी प्रतिभाओं को जन्म दिया, लेकिन उनमें से ज़्यादातर प्रतिभायें बेपनाह दौलत कमाने के लालच में इंग्लैण्ड, अमेरीका, चीन या रूस चली जाती हैं। जिन प्रतिभाओं की खुश्बू से इस देश की मिट्टी को महकना चाहिये था, उन प्रतिभाओं की खुश्बू से उन देशों की मिट्टी महकती है। उन देशों का सरबुलंद होता है। देशभक्ति के ज़ज्बे से भरा एक ऐसा शानदार उपन्यास- जो सिर्फ कहानी नहीं है, सिर्फ काल्पनिक दास्तान नहीं है बल्कि एक चिंगारी है। ऐसी ज़बरदस्त चिंगारी, जो हर गैरतमंद और वतनपरस्त हिन्दुस्तानी के दिल में लगकर शोला बन जाना चाहती है।
Mera Desh Mere Log: मेरा देश मेरे लोग
by Amit Khanडॉक्टर मानिक शाह ने बेपनाह दौलत कमाने के लिये चीन जाने का फैसला किया, लेकिन वह फैसला डॉक्टर मानिक शाह को हद से ज्यादा महंगा पड़ा। कैदी बनकर रह गया मानिक शाह चीन में। उसे अपना देश, अपने लोग याद आने लगे। वो हिन्दुस्तान पहुँचने के लिये त्राहि-त्राहि कर उठा। और तब उसे हिन्दुस्तान वापस लाने के लिये कमांडर करण सक्सेना चीन जा पहुँचा। फिर जो कुछ हुआ, वो दहला देने वाला था। एक के बाद एक दिमाग की नसों को झंझोड़ देने वाली ऐसी हैरतअंगेज योजनायें, जो आपने पहले कभी हिन्दी के जासूसी उपन्यासों में नहीं पढ़ी होंगी। देशभक्ति के ज़ज्बे से भरा एक ऐसा शानदार उपन्यास- जो सिर्फ कहानी नहीं है, सिर्फ काल्पनिक दास्तान नहीं है बल्कि एक चिंगारी है। ऐसी ज़बरदस्त चिंगारी, जो हर गैरतमंद और वतनपरस्त हिन्दुस्तानी के दिल में लगकर शोला बन जाना चाहती है।
Astitva ki Asmita: अस्तित्व की अस्मिता
by Dr Ghanshyam Asudaniअस्तित्व की अस्मिता विभिन्न सामाजिक मुद्दों पर आधारित 18 हिंदी लघु कथाओं का संग्रह है। लेखक ने महिलाओं के विशेष संदर्भ में समाज के कमजोर वर्गों के शोषण को प्रदर्शित करने का प्रयास किया है। कहानियाँ विभिन्न सामाजिक मुद्दों को सबसे संवेदनशील तरीके से प्रस्तुत करती हैं।
Andheron Ka Aadhar: अंधेरों का आधार
by Dr Ghanshyam Asudani"अंधेरों का आधार" 15 हिंदी लघु कथाओं का संग्रह है। पुस्तक "विकलांगता प्रवचन" की उभरती हुई साहित्यिक शैली की आकाशगंगा में नवीनतम सितारा है। कहानियां पारिवारिक जीवन, प्रेम संबंध, रोजगार, समाज द्वारा उपेक्षा, आर्थिक समस्याओं आदि सहित जीवन के विभिन्न पहलुओं पर दृष्टिबाधित जीवन का गहराई से विश्लेषण करती हैं। लेखक ने वर्तमान परिदृश्य में दृष्टिबाधित व्यक्ति के जीवन का एक व्यापक चित्र प्रस्तुत किया है। उच्च साहित्यिक मूल्य होने के साथ-साथ यह पुस्तक "विकलांगता प्रवचन" शोध के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण और उपयोगी संसाधन है।
Samarshankh: समरशंख
by Namrata Singhमहाभारत युद्ध समाप्त हुए पाँच सौ वर्ष बीत चुके थे। धरती पर अन्याय, अशांति और अधर्म का वातावरण व्याप्त हो चुका था। सम्पूर्ण आर्यावर्त मनुष्यों के अधिकार में था। तक्षक नाग के वंशज आश्रयहीन हो चुके थे। पक्षीराज जटायु के वंशज गरुड़, कलियुग के प्रारम्भ में अत्यधिक शक्तिशाली हो गए और उन्होंने धरती पर बचे-खुचे नागों का संहार करना प्रारम्भ किर दिया। मनुष्यों और गरुड़ों के पास एक अपराजेय महायोद्धा था, जिसके नाम से असुर और नाग थर-थर कांपते थे। नागों को भी एक महावीर योद्धा की तलाश थी और एक दिन अचानक ऐसा एक योद्धा प्रकट हो जाता है। सम्पूर्ण भारतवर्ष उसे ‘नागपुत्र’ कहकर बुलाने लगता है। उस नागपुत्र के परिचय से समस्त गरुड़ जाति कांप उठती है। समरशंख फूँक दिया जाता है और एक भयानक और भीषण महायुद्ध का प्रारम्भ हो जाता है।
Santaptbhumi Berunda Rachna - Arnayam Ka Rakshak: संतप्तभूमि बेरुंडा रचना: एर्यनम का रक्षक
by Bhanupratap Yadav 'Shubharambh'रामायण काल की एक घटना जो इतिहास के पन्नों से मिट चुकी है, जिसने क्रूरता और षड्यंत्र की सारी सीमाएँ लांघकर रच दिया था एक रक्त रंजित इतिहास। यह कहानी है इतिहास के अंधकार में खो चुके एक विशाल साम्राज्य की। एक घटना और जिसके पीछे छिपा हुआ है भयावह रहस्य जो आने वाले समय में शापित भूमि एर्यनम को फिर से पुनर्जीवित कर देने वाला था। इस सन्तप्तभूमि के उद्धार हेतु अवतरित हुआ वह योद्धा, जो कहलाया एर्यनम का रक्षक। जागृत हो चुके हैं ग्यारह हज़ार वर्षों तक मृत पड़े दानवीय योद्धा। तो क्या प्रारंभ हो चुका है एक और विध्वंस? लेकिन सबसे बड़ा प्रश्न क्या एर्यनम का रक्षक कर पायेगा इन सभी दुष्टों का संहार और बचा पायेगा अपनी मातृभूमि को? एक महागाथा, संतप्तभूमि बेरुंडा रचना (चतुर्थांश) की पहली कड़ी- एर्यनम का रक्षक (विलुप्त एर्यनम साम्राज्य की महागाथा)
Kabila: कबीला
by Kasim Ansariउस व्यक्ति ने जब उस पेंटिंग मे बनी हुई उन बिल्लियों की काउंटिंग की, और इस सोसायटी के लोगो कि तस्वीरों की गिनती की, तो वो और ज़्यादा हैरत मे पढ़ गया उस ने देखा दोनों कि तादाद (गिनती) बिलकुल एक ही थी… उस ने देखा जो लोग झुण्ड कि तरह खडे हुए नीचे ज़मीन को देख रहे थे। उस ज़मीन पर एक सर्कल बना हुआ था जिस पर अजीब सी भाषा मे कुछ लिखा हुआ था और उस ज़मीन पर एक 8 या 9 साल का बच्चा आँखें बंद किये हुए लेटा हुआ था जो बेहोश था उस के गले मे एक लॉकेट था ये बिलकुल वैसा ही लॉकेट था।और उस लॉकेट मे एक प्रकाश निकल रहा था और वो प्रकाश ठीक उन बिल्लियों के चेहरे पर पड़ रहा था और ठीक उस बच्चे के बगल मे एक 7 या 8 फ़ीट कि चमगादड़ नुमा एक शख्स खड़ा हुआ उस बच्चे को खा जाने वाली आँखों से देख रहा था।
Mera Teesra Hindi Vyakran - ICSE: मेरा तीसरा हिंदी व्याकरण
by Dr Preeti 'Sagar'बेरी गार्डन द्वारा लिखित "मेरा तिसरा हिंदी व्याकरण" हिंदी व्याकरण के लिए एक व्यापक मार्गदर्शिका है, जो उन्नत अवधारणाओं पर केंद्रित है। पुस्तक चरण-दर-चरण दृष्टिकोण प्रदान करती है, जिसमें संज्ञा रूप, क्रिया संयुग्मन, वाक्य निर्माण, काल और आवाज़ जैसे विषयों को शामिल किया गया है। यह अभ्यास और प्रासंगिक बातचीत के माध्यम से व्यावहारिक अनुप्रयोग को प्रोत्साहित करता है। लेखक की आकर्षक लेखन शैली, स्मरणीय तकनीकों और चार्ट के साथ, समझने और याद रखने में सुविधा प्रदान करती है। चाहे आप शुरुआती या मध्यवर्ती शिक्षार्थी हों, यह पुस्तक हिंदी व्याकरण में आपकी दक्षता बढ़ाने के लिए आवश्यक उपकरण प्रदान करती है। यह हिंदी में महारत हासिल करने के लिए व्यावहारिक और व्यापक मार्गदर्शिका चाहने वाले छात्रों, शिक्षकों और भाषा प्रेमियों के लिए एक अमूल्य संसाधन है।
Urban Dhaba: अर्बन ढाबा
by Shaurya Bakshi2013 के एक वीकेंड, IT सिटी बैंगलोर में सॉफ्टवेयर इंजीनियर निरपेश अलग नाश्ता करने की तलब में अपने इंजीनियरिंग कॉलेज की करीबी दोस्त नेहा के बताए कैफ़े, अर्बन ढाबा जाता है जहाँ उसकी मुलाक़ात उसके वूदमत आकाश से होती है। यह मुलाक़ात एक दिलचस्प मोड़ लेती है जब निरपेश आकाश को अपनी कॉरपोरेट लाइफ और नेहा के प्यार में जूझती ज़िन्दगी से रूबरू कराता है। निरपेश मन ही मन नेहा से प्यार करता है पर उसे इज़हार करने और अपनी ज़िंदगी में अचानक खोने से डरता है। उसकी रोज़ाना एक जैसी चलने वाली ज़िन्दगी में एक दम से भूकंप आता है जब नेहा का colleague रोहित उसे एक शाम प्रोपोज़ कर देता है और फिर इन्ही हालातों में खूबसूरत लड़की वाणी उसकी लाइफ में एक एक्टिंग वर्कशॉप के दौरान एंट्री मारती है और मन ही मन उसे चाहने लगती है। आकाश जो एक शौकिया लेखक है और जिसे एक इंटरेस्टिंग कहानी की तालाश है, उसको वह कहानी इत्तेफ़ाक़ से निरपेश के लाइफ में चल रहे उतार चढ़ाव में मिलती है। रोहित और नेहा के पनपते रिश्ते और वाणी का उसके प्रति झुकाव की टेंशन को महसूस करते हुए निरपेश एक दिन वाणी को अर्बन ढाबा लेकर आता है ताकि उसके साथ वह एक्टिंग वर्कशॉप के अंत में होने वाले प्ले का प्लाट डिसकस कर सके। वहाँ वाणी की मुलाक़ात आकाश से होती है जिसके बाद आकाश वाणी की खूबसूरती से घायल हो जाता है। इस मुलाक़ात के बाद वह अपने गुज़रे हुए कल और निरपेश वाणी नेहा और रोहित के रोज़ाना बढ़ रहे आपसी रिश्तों के तनाव को और गहरा कर देता है। क्या आकाश की काबलियत वाणी को इम्प्रेस कर पाती है? क्या निरपेश रोहित की पर्सनालिटी के जादू से नेहा को वापस अपनी तरफ खींच पाता है? क्या अर्बन ढाबा की हवाएँ इन सभी के जीवन का सही रुख तय कर पाएंगी?
Rashtra Mukti: राष्ट्र मुक्ति
by Akhilesh Sharma‘राष्ट्र मुक्ति’ किसी आंदोलन का नाम प्रतीत होता है। वह आंदोलन जो ‘शायद’ एक या दो सदी पहले घटित हो गया। आज हम स्वतंत्रता का “अमृत महोत्सव” मना रहे हैं। ऐसे में यह नाम अप्रासंगिक लगता है। पर बात विधान की हो, न्याय की हो या कार्यपालन की, हर स्थान पर मध्यस्थता अनिवार्य है। न्याय के सर्वोच्च शिखर पर विदेशी भाषा अनिवार्य है। मुद्रास्फीति, विदेशी ऋण, विदेशी वस्त्र और शिष्टाचार सब कुछ अनिवार्य है। क्या इसी को स्वतंत्रता कहते हैं? राष्ट्र मुक्ति इन्हीं तत्वों का विवेचनात्मक अध्ययन है।