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Media Kanoon aur Aachaar Sanhita

by Shalini Joshi

Citizens’ rights and institutional autonomy are dependent on ethical journalism, but corporatisation, market controls, political pressures and favouritism have made it difficult for media professionals to follow ethical standards and practice socially responsible journalism. This is a reference book for academics working in media studies, media professionals and students of journalism and mass communication. It is also meant for people in positions of authority in media organisations, for whom an understanding of ethical guidelines and duties of the media as well as legal limitations are of vital importance. This book will be of help  both to academics and students and to journalists who face ethical dilemmas and experience the many challenges to fearless journalism.

Pratinidhi Kahaniyan-Shekhar Joshi

by Shekhar Joshi

शेखर जोशी की कहानियों में शिल्प और संवेदना के अंतर्संबंधो की सुरम्य रचना के साथ जीवन और समाज के सहज उन्नयन एवं परिवर्तनकारी दृष्टि के प्रति दायित्वबोध साफ़ दृष्टिगोचर होता है ! कथात्मक गठन में भाषा के सूक्ष्म उपयोग का उन जैसा आधुनिक बोध हिन्दी कहानी में अपरिचित है ! अत्यन्त सहज और ठंडी भाषा के माध्यम से ए कहानियाँ हमारे समक्ष जिस यथार्थ का उद्घाटन करती हैं, उसके पीछे समकालीन जन-जीवन की बहुविध विडम्बनाओं को महसूस किया जा सकता है ! सपनों की वास्तविकता से अपरिचित बच्चों की ख़ुशी हो या बिरादरी की दलदल में फँसे व्यक्ति की मनोदशा-लेखकीय दृष्टि उन्हें एक अर्थ-गाम्भीर्य से भर देती है ! उसके पास आदर्शवादी निर्णय हैं तो उनके सामने खड़ा कठोर और भयावह यथार्थ भी है ! वस्तुतः शेखर जोशी की ये कहानियाँ बिना किसी शोर-शराबे के हमारी सोच के विभिन्न स्तरों को स्पर्श और झंकृत करनेवाले रचनात्मक गुणों से परिपूर्ण हैं !

Makhanlal Chaturvedi

by Shrikant Joshi

Makhanlal Chaturvedi has written in all forms of literature. He has made the art of life an immortalized one. He has given new dimension to the expression and a sense of dedication to the literature. Srikant Joshi brings brings out the colours of life of Chaturvedi.

Seedha Raasta

by Jyotiprakash

Seedha Raasta is written for the youth of today. The story tells us how a rich boy changes his views about poor in the society. It serves as an inspiration to the youth.

Raghuvansh

by Kalidasa Deviratna Avasthi

This is the best among the poems of Kalidasa. In this poetry Kalidasa gives the history from King Dilip to Agnivarna.

Kitne Pakistan: कितने पाकिस्तान

by Kamleshwar

कमलेश्वर का यह उपन्यास मानवता के दरवाजे पर इतिहास और समय की एक दस्तक है इस उम्मीद के साथ कि भारत भर में एक के बाद दूसरे पाकिस्तान बनाने की लहू से लथपथ यह परम्परा अब खत्म हो। "कमलेश्वर ने उपन्यास के बने-बनाए ढाँचे को तोड़ दिया है और लेखकीय अभिव्यक्ति के लिए सब कुछ सम्भव बनाने का दुर्लभ द्वार खोल कर एक नया रास्ता दिखाया है।" "यह उपन्नास बीसवीं सदी की उपलब्धि है। अच्छी पुस्तकें हर काल में सामने आती हैं, आती रहेंगी, लेकिन यह पुस्तक जिस मुकाम पर पहुँची है, वहाँ हमेशा बनी रहेगी।"

Tumne Mera Anda To Nahin Dekha

by Eklavya Kanak

“तुमने मेरा अण्‍डा तो नही देखा?” मुर्गी और उसके अण्‍डे की कहानी है। मुर्गी का अण्‍डा सीढ़ि‍यों से लुढ़कर चूहे के बिल में चला जाता है। मुर्गी अपने अण्‍डे को खोजते हुए सबके पास जाती है। "Tumne Mera Anda To Nahin Dekha?" Is the story of the chicken and the egg. Hen's Egg slipped from stairs and goes in rat's hole. For looking her egg, chicken goes to different places.

Hindi Sahitya Pratishtha B.A. 3rd Year Sem - V (Core-11, 12, DSE - 1 & 2) - Ranchi University, N.P.U: हिन्दी साहित्य प्रतिष्ठा, बी.ए. तृतीय-वर्ष (पंचम-सेमेस्टर) कोर-11, कोर-12, DSE-1 एवं DSE-2 – रांची युनिवर्सिटी, एन.पि.यू.

by Kanhaiya Book Distributorss Ranchi

हिन्दी साहित्य प्रतिष्ठा, बी.ए. तृतीय-वर्ष (पंचम-सेमेस्टर) कोर-11, कोर-12, DSE-1 एवं DSE-2 – रांची युनिवर्सिटी, एन.पि.यू. ने पुस्तक हिन्दी भाषा में प्रकाशित किया गया है, इस पाठपुस्तक में कोर-11 में भारतीय काव्यशास्त्र, कोर-12 में पाश्चात्य काव्यशास्त्र, DSE-1 में सूरदास एवं तुलसीदास और DSE-2 में कबीर दास एवं सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' इन सभी मुद्दो को विस्तार में समजाया गया है ।

HIN 260 Kavita Swarup Aur Vivechan T.Y.B.A. Y.C.M.O.U.

by Chandrakant Kanhaiyalal

HIN 260 Kavita : Swarup Aur Vivechan text book for T.Y.B.A from Yashwantrao Chavan Maharashtra Open University, Nashik in Hindi.

Pattakhor: पत्ताखोर 

by Madhu Kankariya

स्वातंत्र्योत्तर भारतीय समाज में हमने जहाँ विकास और प्रगति की कई मंजिले तय की हैं वहीं अनेक व्याधियाँ भी अर्जित की हैं। अनेक समाजार्थिक कारणों से हम ऐसी कुछ बीमारियों से घिरे हैं। जिनका कोई सिरा पकड़ में नहीं आता।

Yog Vashishtha: योग वासिष्ठ

by Badrinath Kapoor

भारतीय मनीषा के प्रतीक ग्रंथों में एक ‘योग वासिष्ठ’ की तुलना विद्वत्जन ‘भगवद् गीता’ से करते हैं। गीता में स्वयं भगवान मनुष्य को उपदेश देते हैं जबकि ‘योग वासिष्ठ’ में नर (गुरु वशिष्ठ) नारायण (श्रीराम) को उपदेश देते हैं। विद्वत्जनों के अनुसार सुख और दुख, जरा और मृत्यु, जीवन और जगत, जड़ और चेतन, लोक और परलोक, बंधन और मोक्ष, ब्रह्म और जीव, आत्मा और परमात्मा, आत्मज्ञान और अज्ञान, सत् और असत्, मन और इंद्रियाँ, धारणा और वासना आदि विषयों पर कदाचित् ही कोई ग्रंथ हो जिसमें ‘योग वासिष्ठ’ की अपेक्षा अधिक गंभीर चिंतन तथा सूक्ष्म विश्लेषण हुआ हो। अनेक ऋषि-मुनियों के अनुभवों के साथ-साथ अनगिनत मनोहारी कथाओं के संयोजन से इस ग्रंथ का महत्त्व और भी बढ़ जाता है। स्वामी वेंकटेसानन्द जी का मत है कि इस ग्रंथ का थोड़ा-थोड़ा नियमित रूप से पाठ करना चाहिए। उन्होंने पाठकों के लिए 365 पाठों की माला बनाई है। प्रतिदिन एक पाठ पढ़ा जाए। पाँच मिनट से अधिक समय नहीं लगेगा। व्यस्तता तथा आपाधापी में उलझा व्यक्ति भी प्रतिदिन पाँच मिनट का समय इसके लिए निकाल सकता है। स्वामी जी का तो यहाँ तक कहना है कि बिना इस ग्रंथ के अभी या कभी कोई आत्मज्ञान प्राप्त नहीं कर सकता। स्वामी जी ने इस ग्रंथ का सार प्रस्तुत करते हुए कहा है कि बिना अपने को जाने मोक्ष प्राप्त नहीं हो सकता। मोक्ष प्राप्त करने का एक ही मार्ग है आत्मानुसंधान। आत्मानुसंधान में लगे अनेक संतों तथा महापुरुषों के क्रियाकलापों का विलक्षण वर्णन आपको इस ग्रंथ में मिलेगा। प्रस्तुत अनुवाद स्वामी वेंकटेसानन्द द्वारा किए गए ‘योग वासिष्ठ’ के अंग्रेजी अनुवाद ‘सुप्रीम योग’ का हिन्दी रूपांतरण है जिसे विख्यात भाषाविद् और विद्वान बदरीनाथ कपूर ने किया है। स्वामी जी का अंग्रेजी अनुवाद 1972 में पहली बार छपा था जो निश्चय ही चिंतन, अभिव्यक्ति और प्रस्तुति की दृष्टि से अनुपम है। लेकिन विदेश में छपने के कारण यह भारतीय पाठकों के समीप कम ही पहुँच पाया। आशा है, यह अनुवाद उस दूरी को कम करेगा, और हिन्दी पाठक इस महत्त्वपूर्ण पुस्तक का लाभ उठा पाएँगे।

Bhartiya Nari aur Muktee

by Brinda Karat

The book a compilation of articles from various newspapers and magazines, describes the pathetic condition of women in India in 21st century.

Hamara Samvidhan: हमारा संविधान

by Subhash Kashyap

हमारा संविधान यह पुस्तक हमारे संविधान के बारे में गहन अध्ययन और व्यावहारिक अनुभवों को परिणाम है। इसमें संविधान की उत्पत्ति, कार्यप्रणाली और न्यायिक व्याख्योओं द्वारा विकसित संवैधानिक नियमों का विश्लेषण तथा संविधान के प्रत्येक भाग, अध्याय और अनुच्छेद को टिप्पणियों द्वारा समाहित किया गया है। इसके उपसंहार पृष्ठ पर संवैधानिक पुनर्निर्माण के लिए सुझावों की समीक्षा भी की गई है। तथ्यपूर्ण, उद्देशपरक तथा विश्लेषणात्मक यह पुस्तक अत्यंत रोचक है। व्यापक और संक्षिप्त रुप से एक साथ, यह लंबे समय से अपेक्षित संविधान के अध्ययन पर किसी छोटी लेकीन प्रामाणिक पुस्तक की कमी को पूरा करती है। यह न केवल विद्यार्थियों और राजनीति विज्ञान व संवैधानिक नियमों के शोधार्थियों बल्कि अधिवक्ताओं, शिक्षकों और अन्य वे लोग जो अपने संविधान तथा जिस राजनैतिक व्यवस्था में वे रहते हैं, को समझना चाहते हैं, के लिए भी उपयोगी होगी।

Hamari Sansad

by Subhash Kashyap

Best book available in the Market to understand Indian Constitution. Kashyap has been the pioneer writer on Indian Constitution and topmost commentator on different aspects of constitutions. For a student in university or for an aspirant preparing for civil services exam. This is the most important book.

Political Science class 12 - NCERT Guidebook: राजनीति शस्त्र कक्ष 12 - एन सी ई आर टी गाइड

by Suman Kataria

Political science class 12 guide book is a very good guide book available for CBSE board students. After the students go through the text book this book serves as perfect companion to the final board exam. by studying this students are to be expected to be prepared in all aspect.

Antima: अंतिमा

by Manav Kaul

कभी लगता था कि लंबी यात्राओं के लिए मेरे पैरों को अभी कई और साल का संयम चाहिए। वह एक उम्र होगी जिसमें किसी लंबी यात्रा पर निकला जाएगा। इसलिए अब तक मैं छोटी यात्राओँ ही करता रहा था। यूँ किन्हीं छोटी यात्राओं के बीच मैं भटक गया था और मुझे लगने लगा था कि यह छोटी यात्रा मेरे भटकने की वजह से एक लंबी यात्रा में तब्दील हो सकती है। पर इस उत्सुकता के आते ही अगले मोड़ पर ही मुझे उस यात्रा के अंत का रास्ता मिल जाता और मैं फिर उपन्यास के बजाय एक कहानी लेकर घर आ जाता। हर कहानी, उपन्यास हो जाने का सपना अपने भीतर पाले रहती है। तभी इस महामारी ने सारे बाहर को रोक दिया और सारा भीतर बिखरने लगा। हम तैयार नहीं थे और किसी भी तरह की तैयारी काम नहीं आ रही थी। जब हमारे, एक तरीक़े के इंतज़ार ने दम तोड़ दिया और इस महामारी को हमने जीने का हिस्सा मान लिया तब मैंने ख़ुद को संयम के दरवाज़े के सामने खड़ा पाया। इस बार भटकने के सारे रास्ते बंद थे। इस बार छोटी यात्रा में लंबी यात्रा का छलावा भी नहीं था। इस बार भीतर घने जंगल का विस्तार था और उस जंगल में हिरन के दिखते रहने का सुख था। मैंने बिना झिझके संयम का दरवाज़ा खटखटाया और ‘अंतिमा’ ने अपने खंडहर का दरवाज़ा मेरे लिए खोल दिया।

द जंगल्स हैनट ए कास्टल

by Francois Keyser

The Junglies discover an empty castle in the jungle. They are eager to explore and too impatient to wait for Jungle Man to arrive. They begin to explore the castle and soon find themselves being haunted! Who will save them? A good story for Halloween!

Yaami: यामी

by Alok Singh Khalauri

महत्वाकांक्षा जब एक सीमा से आगे बढ़ जाती है, तो वो एक जिद, एक जुनून का रूप ले लेती है। ऐसी ही एक महत्वाकांक्षा की कहानी है- ईसा से 500 वर्ष पूर्व एक तांत्रिक तुफैल और उसकी शिष्या कूटनी माया की, जिन्होंने ईश्वरीय सृष्टि के समांतर एक सृष्टि निर्मित करने की महत्वाकांक्षा पाल ली थी। उनकी इस महत्वाकांक्षा में जाने अंजाने ही सहायक बन गई भोली भाली गंधर्व कन्या यामी। यामी-जो अपने प्रेम की तलाश में गंधर्व लोक से पृथ्वी पर आई थी। विधि के विधान ने माया, तुफैल और यामी को समय से 2500 साल आगे सन 2022 में ला फेंका। सन 2022 – जहाँ चाहे अनचाहे दो अन्य व्यक्ति भी माया, तुफैल और यामी के इस द्वंद का मोहरा बन गए- एक युवा आई. पी. एस. और दूसरे इस किताब के लेखक आलोक सिंह खुद। फिर क्या हुआ 2022 में? कौन जीता ये जंग? माया या यामी? क्या यामी अपनी मोहब्बत की तलाश कर पाई? तुफैल और माया समांतर सृष्टि की स्थापना के अपने उद्देश्य में कहाँ तक सफल हुए? ऐसे ही अनेक प्रश्नों का उत्तर है यामी।

Dohri Chaal: दोहरी चाल

by Amit Khan

दुश्मन के एक बेहद खतरनाक फौजी किले की कहानी। वाकई इस बार बड़ा अजीबोगरीब मामला था। इस बार वो मिशन था ही नहीं, जो बताया गया था। सब कुछ रहस्य के गहरे महासागर में छुपा था। आखिर असली मिशन क्या था? दिल की धड़कनों को थाम दे, भीषण प्रकम्पन्न पैदा कर दे- ऐसे विलक्षण मूड में ‘कमांडर करण सक्सेना’ का बेहद तेज़रफ़्तार उपन्यास।

Mera Desh Mere Log: मेरा देश मेरे लोग

by Amit Khan

डॉक्टर मानिक शाह ने बेपनाह दौलत कमाने के लिये चीन जाने का फैसला किया, लेकिन वह फैसला डॉक्टर मानिक शाह को हद से ज्यादा महंगा पड़ा। कैदी बनकर रह गया मानिक शाह चीन में। उसे अपना देश, अपने लोग याद आने लगे। वो हिन्दुस्तान पहुँचने के लिये त्राहि-त्राहि कर उठा। और तब उसे हिन्दुस्तान वापस लाने के लिये कमांडर करण सक्सेना चीन जा पहुँचा। फिर जो कुछ हुआ, वो दहला देने वाला था। एक के बाद एक दिमाग की नसों को झंझोड़ देने वाली ऐसी हैरतअंगेज योजनायें, जो आपने पहले कभी हिन्दी के जासूसी उपन्यासों में नहीं पढ़ी होंगी। देशभक्ति के ज़ज्बे से भरा एक ऐसा शानदार उपन्यास- जो सिर्फ कहानी नहीं है, सिर्फ काल्पनिक दास्तान नहीं है बल्कि एक चिंगारी है। ऐसी ज़बरदस्त चिंगारी, जो हर गैरतमंद और वतनपरस्त हिन्दुस्तानी के दिल में लगकर शोला बन जाना चाहती है।

Qaidi: कैदी

by Amit Khan

कमांडर करण सक्सेना ने इस बार चीन जाकर एक कैदी को आज़ाद कराना था। हिन्दुस्तानी कैदी को! वह बड़ा अजीबोगरीब वीआईपी कैदी था। कभी चीन वह खुद अपनी इच्छा से गया था। वह एक भारतीय डॉक्टर था। यह इस देश का दुर्भाग्य रहा है कि इस देश की मिट्टी ने बड़ी-बड़ी प्रतिभाओं को जन्म दिया, लेकिन उनमें से ज़्यादातर प्रतिभायें बेपनाह दौलत कमाने के लालच में इंग्लैण्ड, अमेरीका, चीन या रूस चली जाती हैं। जिन प्रतिभाओं की खुश्बू से इस देश की मिट्टी को महकना चाहिये था, उन प्रतिभाओं की खुश्बू से उन देशों की मिट्टी महकती है। उन देशों का सरबुलंद होता है। देशभक्ति के ज़ज्बे से भरा एक ऐसा शानदार उपन्यास- जो सिर्फ कहानी नहीं है, सिर्फ काल्पनिक दास्तान नहीं है बल्कि एक चिंगारी है। ऐसी ज़बरदस्त चिंगारी, जो हर गैरतमंद और वतनपरस्त हिन्दुस्तानी के दिल में लगकर शोला बन जाना चाहती है।

Yayati: ययाति

by Vishnu Sakharam Khandekar

ययाति एक उपन्यास है, इस उपन्यास में राजा ययाति की कहानी बताई गई है, जो चंद्रवंशी राजा नहुष के छह पुत्रों में से एक थे। जब ययाति अचानक बूढ़े हो जाते हैं, तो उनकी अधूरी इच्छाएं उन्हें परेशान करती हैं। वह अपने बेटों से अपनी जवानी उधार मांगते हैं और उनका बेटा पुरु उनकी मदद के लिए आता है। पुरु की जवानी स्वीकार करने के कुछ ही मिनटों के भीतर ययाति उसे लौटाने का संकल्प लेते हैं। इस घटना से ययाति को अपनी गलतियों का एहसास होता है और देवयानी का भी हृदय परिवर्तन होता है। उपन्यास के अंत में ययाति आशीर्वाद के साथ शासन की ज़िम्मेदारी पुरु को सौंप देते हैं और देवयानी और शर्मिष्ठा के साथ वन में जीवन व्यतीत करना चाहते हैं। इस तरह ययाति की आसक्ति से वैराग्य की यात्रा पूरी होती है।

Vrindavan Ka Bhikshuk: वृंदावन का भिक्षुक

by Sunil Khanduri

हिमालय की बर्फीली चोटियों के मध्य स्थित एक शांत और मनोरम गांव, जिसकी सुन्दर छटा के बीच एक साधक – देवदास, अपने उज्जवल भविष्य के स्वप्न संजोए है। वह स्वयं को भविष्य के एक श्रद्धेय, सम्मानित और गणमान्य साधु के रूप मे देखता है। एक प्रतिभाशाली विद्वान और आश्रम के सभी कार्यों में निपुण इस साधक की यात्रा के साथ कई ज़िन्दगियों का ताना बाना बुना हुआ है। देवदास के देखते-देखते, उससे भी अल्पज्ञानी और कनिष्ठ साधक अपने सपनों का भविष्य संजोने आश्रम छोड़कर जा चुके हैं जबकि ज्ञान से परिपूर्ण, और सक्षम होने के बाद भी आश्रम के संचालक उसकी भविष्य की योजनाओं की ओर घ्यान नहीं दे रहे हैं। यह देवदास को कुछ संदेहास्पद लग रहा है। उसकी समझ में नहीं आ रहा है कि उसे अपना भविष्य चुनने की स्वतंत्रता क्यों नहीं दी जा रही है? वह स्वयं को अलग-थलग एवं अकेला महसूस करता है। आश्रम छोड़ने के वर्षों बाद भी उसका जीवन केवल अव्यवस्थाओं से परिपूर्ण है और दिन-प्रतिदिन परिस्थितियां चुनौतिपूर्ण होती जा रही हैं। देवदास घोर आश्चर्य में है कि उसे बाहरी रूप से तो अपना जीवन सामान्य और सम्पन्न लग रहा है परन्तु अवचेतना में वह एक भयानक नरक से गुजर रहा है। जब कभी वह दुविधा में होता है तो उसके मस्तिष्क की अवचेतना की ध्वनि जीवन्त हो उठती है। वह ध्वनि उसके लिए परिस्थितियों को पहले से दुष्कर बना देती है। फलस्वरूप देवदास भी पहले से अधिक भ्रमित और भयाक्रांत हो जाता है। गुरूदेव उसे अपने निर्णयानुसार, अपने सपनों को मूर्त रूप देने की दिशा में आगे बढ़ने से क्यों रोक रहे थे? क्या देवदास अपनी नित्य-प्रति की परेशानियों का कारण जान पाएगा? भिक्षुक रचना त्रयी की पहली पुस्तक “वृंदावन का भिक्षुक” जीवन की यात्राओं को सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए आवश्यक, मूलभूत बातों पर प्रकाश ड़ालती है।

Chandrakanta

by Devki Nandan Khatri

A book which compelled and drove the imagination of a generation and brought Hindi to the forefront, Chandrakanta is first work of prose in modern Hindi language.

Bhartiy Itihaas Main Mahilayen M.A. SEM-II Ranchi University, N.P.U: भारतीय इतिहास में महिलाएँ एम.ए. सेमीस्टर-II राँची यूनिवर्सिटी, एन.पी.यू.

by K. L. Khurana S. S. Chauhan

प्रस्तुत पुस्तक भारतीय इतिहास में महिलाएँ, डॉ. के. एल. खुराना और डॉ. एस. एस. चौहान द्वारा लिखित है, जो लक्ष्मी नारायण अग्रवाल ने हिंदी भाषा में प्रकाशित किया गया है। इस पाठपुस्तक में बीस अध्याय दिये गये है, जिसमे हर अध्याय के विवरण कि व्याख्या कि गई है । पुरुषों की तुलना में भारत में महिलाओं की संख्या कदाचित् कम नहीं है, इस तथ्य को नकारा नहीं जा सकता कि एक स्वस्थ समाज के निर्माण में भी महिलाओंने महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह किया है । समाज व देश के आदर्शों और उच्चतम मूल्यों का संरक्षण भी उन्होंने अत्यन्त सफलतापूर्वक किया है । उनके ही उदार दृष्टिकोण के कारण सामाजिक परम्पराएँ एवं मान्यताएँ जीवित हैं । महिलाओं के त्याग, प्रयास और ज्ञान के कारण विद्वानों की यह मान्यता है, कि समाज की वस्तुस्थिति और उसके स्तर की जानकारी, समाज में रहने वाली महिलाओं की स्थिति से जानी व समझी जा सकती है। इस किताब में उन्हीं भारतीय महिलाओं के इतिहास बारे में बताया गया है।

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