- Table View
- List View
MHI01 Arambhik Manav Samaj - IGNOU
by IgnouMHI01 Arambhik Manav Samaj (1) Pathyakram Parichaya. Chapter 1-Shikar aur Sangrahan. Chapter 2-Pashupalak Khanabadoshi. Chapter 3-Krishi ki Ore Sankraman. Chapter 4-Navpashan Kranti. Chapter 5-Duniya Par Asar. Shabdavali. Iss Khand Ke Liye Kuch Upyogi Pustaken.
MHI01 Madhyayugin Sansar me Vyapar aur Vanijya - IGNOU
by IgnouMHI01 Madhyayugin Sansar me Vyapar aur Vanijya (7) Chapter 24-Samudri Vyapar Chapter 25-Vyapari Samuday Chapter 26- Vanijyik Prathayen Chapter 27-Shilp Utapadan Shabdavali Iss khand ke liye kuch upyogi pustaken
Mrutyu Samay Pahle Aur Pashchat: मृत्यु समय, पहले और पश्चात
by Dada Bhagwanमृत्यु- हमारे जीवन का अविभाज्य अंग है| हर व्यक्ति को अपने जीवन में किसी ना किसी रूप में मृत्यु का सामना करना पड़ता है| किसी अपने परिवारजन या पड़ौसी की मृत्यु देखकर वह भयभीत हो जाता है और मृत्यु से संबंधीत तरह तरह की कल्पनाएँ करने लगता है| कई तरह के प्रश्न जैसे – मृत्यु के बाद इंसान कहा जाता है, क्या उसका पुनर्जनम संभव है, वह किस रूप में पुनः जन्म लेता है इत्यादि उसे भ्रमित कर देते है और मृत्यु का खौफ पैदा करते है| परम पूज्य दादा भगवान को हुए आत्मज्ञान द्वारा उन्होंने इस रहस्य से संबंधित अनेक प्रश्नों का जवाब दिया है| जन्म और मृत्यु का चक्र, पुनर्जनम, जन्म-मृत्यु से मुक्ति, मोक्ष की प्राप्ति आदि प्रश्नों के सटीक जवाब हमें उनकी पुस्तक ‘मृत्यु के रहस्य’ में मिलती है| दादाश्री हमें मृत्यु से संबंधित सारी गलत मान्यताओं की सही समझ देकर हमे यह बताते है कि आखिर हमारे जीवन का मुख्य उद्देश्य क्या है और हम किस प्रकार इस चक्कर से हमेशा के लिए मुक्त हो सकते है|
Mujhse Bura Koi Nahi: मुझसे बरा कोई नहीं
by Surender Mohan PathakA notorious underworld don-turned-politician is critically injured in a blast that almost destroys his empire. His family and aides will now leave no stone unturned in finding and killing the men behind the gruesome attack. Jeet Singh was the last person to be seen in the room where the bomb was planted even though he had no inkling of the danger zone he was entering. Caught in the vicious circle of assault and revenge, will Jeet Singh be able to prove his innocence?
Musafir Cafe: मुसाफ़िर कॅफे
by Divya Prakash Dubeyहम सभी के जीवन में एक या दूसरी सूचियाँ होती हैं। मुसाफिर कैफे जीवन और इन सभी सूचियों के बारे में है। यह जीवन में एक ठहराव की तरह है, जब हम कोशिश करते हैं और अपने आप को धीमा करते हैं कि हम कहाँ हैं, और हम यहाँ से कहाँ जाना चाहते हैं? मुसाफिर कैफे दो युवा और आधुनिक व्यक्तियों, सुधा और चंदर की कहानी है। सुधा जो पेशे से वकील है और व्यक्ति में एक मजबूत मुक्त उत्साही लड़की है। वह देश की शीर्ष वकील बनना चाहती है जबकि चंदर एक भ्रमित सॉफ्टवेयर इंजीनियर है। हालाँकि उन दोनों को यकीन है कि वे शादी नहीं करना चाहते हैं और किसी के साथ घर बसाना चाहते हैं, लेकिन वे माता-पिता की खातिर हर सप्ताहांत इस मीटिंग गेम को खेलते हैं। घटनाएँ उन्हें एक सप्ताह के लिए एक साथ रहने के लिए प्रेरित करती हैं, लेकिन वे एक-दूसरे की उपस्थिति और जीवन में हस्तक्षेप करने के लिए अभ्यस्त हो जाते हैं, यह एक अनियोजित लिव-इन संबंध बन जाता है। मुसाफिर कैफे केवल सुधा और चंदर की कहानी नहीं है, यह हम सभी की कहानी है, जो बकेट लिस्ट पर टिकने की कोशिश कर रहे हैं और एक आदर्श जीवन की तलाश कर रहे हैं।
Nana-Nani
by Ghanshyam Tiwariनाना-नानी दो बच्चो की कहानी है। मध्य प्रदेश में गुजराती और मालवी भाषा का प्रभाव है वहाँ नाना-नानी का अर्थ लड़का-लड़की है। इस कहानी में दोनो बच्चे एक दुसरे से ऊँचा बनने की होड़ करते हुये तरह-तरह की कल्पना करते है।Nana-Nani is the story of two children. Due to effect of Gujrati and Malvi languages in Madhya Pradesh, Nana-Nani means a girl and a boy. In this story, two children are competing with each other to be elevated as elders.
NES-101- Praathamik Vidyaalay Ka Baalak - Ek Adhyayan- 3 - IGNOU
by Indira Gandhi Rashtriya Mukta VishvavidyalayaNES- 101 प्राथमिक विद्यालय का बालक – एक अध्ययन खंड 3 इनमें शारीरिक एवं गामक विकास, संज्ञानात्मक एवं भाषा विकास तथा सामाजिक, संवेगात्मक एवं नैतिक विकास पर चर्चा की गई है। इकाई 6 शारीरिक एवं गामक विकास पर है, इसमें शारीरक विकास की विशेषताओं के बारे में अध्ययन किया गया है। संज्ञानात्मक और भाषा विकास से संबंधित इकाई 7 में विकास की अवस्थाओं के बारे में पियाजे ने जिन आधारभूत मान्यताओं की स्थापना की थी, उन पर विचार करने का प्रयास किया गया है। इकाई 8 में बच्चों के सामाजिक, संवेगात्मक एवं नैतिक विकास पर विचार किया गया है। यह दृष्टान्तों के प्रस्तुतीकरण द्वारा उनमें अन्तर्सम्बन्धों पर प्रकाश डालता है। प्रस्तुत किए गए दृष्टान्त के विश्लेषण से बच्चों में सामाजिक, संवेगात्मक एवं नैतिक विकास के लक्षणों को समझने के लिए रोचक सहायता मिलती है। इन क्षेत्रों में विकास के प्रतिमान पर विस्तृत विचार किया गया है।
NES-103 - Adhigam Ke Lie Maargadarshan-2 -IGNOU
by Indira Gandhi Rashtriya Mukta VishvavidyalayaNES- 103 अधिगम के लिए मार्गदर्शन खंड 2 में चार इकाई दि गई है, अधिगम प्रक्रिया सुगम बनाना अभिभावकों एवं शिक्षकों का इसमें महत्वपूर्ण कार्य है। अधिगम की क्षमता मूलतः तीन महत्वपूर्ण कारकों पर निर्भर करती है: खुद सीखने वाला, अधिगम-सामग्री तथा अधिगम विधियाँ। यह आवश्यक है कि हम सीखने वालों की अभिवृत्तियों तथा योग्यताओं, क्षमताओं तथा अक्षमताओं की पहचान करें। इस खंड में छात्रों की अधिगम संबंधी कुछ समस्याओं जैसे, अवधान, अभिप्रेरणा और अभिरुचि आदि की चर्चा करने का प्रयास किया गया है। इसके अतिरिक्त इसमें बच्चों की योग्यताओं तथा आवश्यकताओं को पहचानने एवं उनका मूल्यांकन करने तथा अधिगम की स्थितियों को अनुकूल बनाने के लिए सुझाव दिए गए हैं।
NES-104 Bachchon Ke Samajik-Sanvegatmak Vikas me Margadarshan-1 - IGNOU
by Indira Gandhi Rashtriya Mukta Vishvavidyalayaएन ई एस – 104 संवृद्धी एवं विकास को सुगम बनाना खंड 1 इस पाठ्यक्रम में बच्चों की विशेष समस्याओं, जैसे बच्चों को प्यार, दुलार, स्नेह, मान्यता की आवश्यकता होती है। इन आवश्कताओं की पूर्ति बच्चों में सुरक्षा एवं आत्मविश्वास की भावना विकसित करती है। जब इन आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं होती है तो बच्चों में असुरक्षा की भावना जागृत होती हैं एवं बच्चा परिवेश से समायोजन करने के कौशल नहीं सीख पाता है। इस खंड में हम बच्चों की सामान्य आवश्यकताओं एवं विभिन्न संवेगात्मक एवं आचरण संबंधी समस्याओं के बारे में अध्ययन करेंगे।
NES-104 Bachchon Ke Samajik-Sanvegatmak Vikas me Margadarshan-2 - IGNOU
by Indira Gandhi Rashtriya Mukta Vishvavidyalayaएन ई एस – 104 संवृद्धी एवं विकास को सुगम बनाना खंड 2 इस पाठ्यक्रम में ‘बच्चो के सामाजिक-संवेगात्मक विकास में मार्गदर्शन’ में बच्चों की विशेष समस्याओं, जैसे वाक् दोष, अनुसूचित जनजाति के बच्चे एवं लड़कियों की सामाजिक और संवेगात्मक समस्याएँ आदी के बारे में जानकारी दि गई है। बच्चों के सामाजिक एवं संवेगात्मक समस्याओं का विश्लेषण, उनकी आत्मधारणा, अभिभावकों की प्रवृत्ति और सामाजिक पूर्वाग्रह का अध्ययन भी किया गया है।
Nijdosh Darshan se Nirdosh!: निजदोष दर्शन से... निर्दोष!
by Dada Bhagwanपरम पूज्य दादाश्री का ज्ञान लेने के बाद, आप अपने भीतर की सभी क्रियाओं को देख सकेंगे और विश्लेषण कर सकेंगे। यह समझ, पूर्ण ज्ञान अवस्था में पहुँचने की शुरूआत है। ज्ञान के प्रकाश में आप बिना राग द्वेष के, अपने अच्छे व बुरे विचारों के प्रवाह को देख पाएँगे। आपको अच्छा या बुरा देखने की ज़रूरत नहीं है क्योंकि विचार परसत्ता है। तो सवाल यह है कि ज्ञानी दुनिया को किस रूप में देखतें हैं ? ज्ञानी जगत् को निर्दोष देखते हैं। ज्ञानी यह जानते हैं कि जगत की सभी क्रियाएँ पहले के किए हुए चार्ज का डिस्चार्ज हैं। वे यह जानते हैं कि जगत निर्दोष है। नौकरी में सेठ के साथ कोई झगड़ा या अपमान, केवल आपके पूर्व चार्ज का डिस्चार्ज ही है। सेठ तो केवल निमित्त है। पूरा जगत् निर्दोष है। जो कुछ परेशानियाँ हमें होती हैं, वह मूलतः हमारी ही गलतियों के परिणाम स्वरूप होती हैं। वे हमारे ही ब्लंडर्स व मिस्टेक्स हैं। ज्ञानी की कृपा से सभी भूलें मिट जाती हैं। आत्म ज्ञान रहित मनुष्य को अपनी भूले न दिखकर केवल औरों की ही गलतियाँ दिखतीं हैं। निजदोष दर्शन पर परम पूज्य दादाश्री की समझ, तरीके, और उसे जीवन में उतारने की चाबियाँ इस किताब में संकलित की गई हैं। ज्ञान लेने के बाद आप अपनी मन, वचन, काया का पक्ष लेना बंद कर देते हैं और निष्पक्षता से अपनी गलतियाँ खुद को ही दिखने लगती हैं, तथा आंतरिक शांति की शुरूआत हो जाती है।
One Indian Girl: वन इंडियन गर्ल
by Chetan Bhagatहाय, मैं राधिका मेहता हूँ और इसी हफ्ते मेरी शादी होने जा रही है। मैं एक इंवेस्टमेंट बैंक गोल्डमान साक्स के लिए काम करती हूँ। मेरी कहानी पढ़ने के लिए शुक्रिया। बहरहाल, मैं आपको एक बात बता देना चाहती हूँ। शायद आप मुझे बहुत ज़्यादा पसंद ना करें। क्योंकि: एक, मैं बहुत पैसा कमाती हूँ। दो, दुनिया की हर चीज़ को लेकर मेरे अपने विचार हैं। और तीन, इससे पहले मेरा एक बॉयफ्रेंड रह चुका है। ओके, एक नहीं शायद दो! अगर मैं लड़का होती तो आपको इन तमाम बातों से कोई तकलीफ नहीं होती। लेकिन चूँकि मैं लड़की हूँ, इसलिए ये तमाम बातें मुझे बहुत हरदिल अज़ीज़ तो नहीं ही बनाती होंगी, है ना? चेतन भगत लेखक की कलम से निकली एक शानदार कहानी, जो आधुनिक भारत की एक लड़की के नज़रिये से हमें बताती है कि आज प्यार, सपनों, कैरियर और फेमिनिज्म के क्या मायने हैं।
Paap Punya: पाप पुण्य
by Dada Bhagwanपाप या पुण्य, जीवन में किये गए किसी भी कार्य का फल माना जाता है| इस पुस्तक में दादाश्री हमें बहुत ही गहराई से इन दोनों का मतलब समझाते हुए यह बताते है कि, कोई भी काम जिससे दूसरों को आनंद मिले और उनका भला हो, उससे पुण्य बंधता है और जिससे किसीको तकलीफ हो उससे पाप बंधता है| हमारे देश में बच्चा छोटा होता है तभीसे माता-पिता उसे पाप और पुण्य का भेद समझाने में जुट जाते है पर क्या वह खुद पाप-पुण्य से संबंधित सवालों के जवाब जानते है? आमतौर पर खड़े होने वाले प्रश्न जैसे- पाप और पुण्य का बंधन कैसे होता है? इसका फल क्या होता है?क्या इसमें से कभी भी मुक्ति मिल सकती है?यह मोक्ष के लिए हमें किस प्रकार बाधारूप हो सकता है? पाप बांधने से कैसे बचे और पुण्य किस तरह से बांधे?|||इत्यादि सवालों के जवाब हमें इस पुस्तक में मिलते है| इसके अलावा, दादाजी हमें प्रतिक्रमण द्वारा पाप बंधनों में से मुक्त होने का रास्ता भी बताते है| अगर हम अपनी भूलो का प्रतिक्रमण या पश्चाताप करते है, तो हम इससे छूट सकते है| अपनी पाप –पुण्य से संबंधित गलत मान्यताओं को दूर करने और आध्यात्मिक मार्ग में प्रगति करने हेतु, इस किताब को ज़रूर पढ़े और मोक्ष मार्ग में आगे बढ़े|
Paiso Ka Vyavhaar (Granth): पैसों का व्यवहार (ग्रंथ)
by Dada Bhagwanहमारे जीवन में पैसों का अपना महत्व है। यह संसार पैसों और जायदाद को सबसे महत्वपूर्ण चीज मानता है। कुछ भी करने के लिए पैसा ज़रूरी है इसलिए लोगों को पैसों के प्रति अधिक प्रेम है। इसी कारण दुनिया में चारों और नैतिक या अनैतिक तरीके से अधिक से अधिक पैसा प्राप्त करने की लड़ाइयाँ हो रही हैं। पैसों और जायदाद के असमान बंटवारे को लेकर लोग परेशान हैं। इस भयंकर कलयुग में पैसों के बारे में नैतिक और ईमानदार रहना बहुत मुश्किल है ज्ञानी पुरुष परम पूज्य दादा भगवान ने पैसों की दुनिया को जैसा देखा है, वैसी दुनिया से संबंधित पैसे दान और पैसों के उपयोग से संबंधित खुद के विचार रखे हैं। उनके बताए अनुसार पैसे पिछले जन्मों के पुण्य का फल है जब आप औरों की मदद करते हैं तब आपके पास धन संपत्ति आती है, उसके बिना नहीं। जिन्हें दूसरों के साथ बांटने की इच्छा है उन्हें धन संपत्ति प्राप्त होती है। चार प्रकार के दान हैं - अन्न दान औषध दान, ज्ञान दान और अभय दान। पैसों के विज्ञान का विज्ञान नहीं समझने के कारण पैसों के लिए लोभ उत्पन्न हुआ है जिसके कारण जन्म के बाद जन्म होते रहते हैं। अतः इस पुस्तक को पढ़ें समझें और पैसों से संबंधित आध्यात्मिक विचार ग्रहण करें।
Paiso Ka Vyvahaar (Sanxipt): पैसों का व्यवहार (संक्षिप्त)
by Dada Bhagwanएक सुखी और अच्छा जीवन बिताने हेतु, पैसा हमारा जीवन का बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा है| पर क्या कभी आपने यह सोचा है कि, ‘ क्यों किसी के पास बहुत सारा पैसा होता है और किसी के पास बिल्कुल नहीं?’ परम पूज्य दादाजी का हमेशा से यही मानना था कि, पैसों के व्यवहार में नैतिकता बहुत ही ज़रूरी है| अपने अनुभवों के आधार पर और ज्ञान की मदद से वह पैसों के आवन-जावन, नफा-नुक्सान, लेन-देन आदि के बारे में बहुत ही विगतवार जानते थे| वह कहते थे कि मन की शान्ति और समाधान के लिए किसी भी व्यापार में सच्चाई और ईमानदारी के साथ नैतिक मूल्यों का होना भी बहुत ही ज़रूरी है| जिसके बिना भले ही आपके पास बुहत सारा धन हो पर अंदर से सदैव चिंता और व्याकुलता ही रहेगी| अपनी वाणी के द्वारा दादाजी ने हमें पैसों के मामले में खड़े होने वाले संघर्षों से कैसे मुक्त हो और किस प्रकार बिना किसी मनमुटाव के और ईमानदारी से, अपना पैसों से संबंधित व्यवहार पूरा करे इसका वर्णन किया है जो हम इस किताब में पढ़ सकते है|
Pariyavaran Adhyayan class 5 - RBSE: परियावरन अधयन कक्षा 5 - आरबीएसई
by Rajasthan State Textbook BoardParyavaran Adhyayan (EVS) Textbook for Class 5
Pariyavaran Adhyayan class 5 - RBSE Board: पर्यावरण अध्ययन कक्षा 5 - आरबीएसई बोर्ड
by Rajsthan Rajya Pathyapustak Mandal Jaipurप्रस्तुत पुस्तक का निर्माण एन.सी.एफ. 2005 के मार्गदर्शक सिद्धान्त, एन.सी.ई.आर.टी एवं अन्य राज्यों के पाठ्यक्रम व पाठ्यपुस्तकों का अध्ययन कर किया गया है। इसके अनुसार विद्यार्थी में ज्ञान निर्माण हेतु अनुभवों के विश्लेषण करने, स्वयं करके सीखने, समझने, व्याख्या करने, सूचनाएँ एकत्र कर स्वयं से संवाद स्थापित करने में सक्षम बन सकेगा।। शिक्षक का दायित्व होगा कि वह यह समझे कि विद्यार्थियों को कब, कहाँ और क्या मार्गदर्शन देना है। शिक्षक सुविधादाता/सहयोगकर्ता के रूप में अपनी भूमिका पुख्ता करें ताकि बच्चों को सोचने, समझने, और स्वयं निष्कर्ष तक पहुँचने में सहायता मिल सके। समाज में जिन मूल्यों को महत्त्व दिया जा रहा है, उन मूल्यों को वे आत्मसात कर अपने व्यवहार में ला सकें। इस कार्य हेतु पर्यावरण अध्ययन की पुस्तक "अपना परिवेश" के शिक्षण में शिक्षकों को निम्नांकित बिंदुओं पर अपना ध्यान केंद्रित करना चाहिए क्योंकि इन्हीं बातों का पुस्तक लेखन में भी ध्यान रखा गया है।
Pashchatya Darshan ka Sameekshatmak Itihas - Competitive Exam
by Y. Masihइस पुस्तक में दर्शन को वैचारिक कला माना गया है। इसी दृष्टिकोण दार्शनिकों ने पाश्चात्य दर्शन में तीन भागों में अलग -अलग विषय को स्पष्ट किया है। भाग-1 में यूनानी दर्शन का स्वरूप, पढ़ने की आवश्यकता उनका आरम्भ और विशेषताएँ बतायी गयी है। प्रकृतिवादी यूनानी दर्शन मानव केन्दित दर्शन उनके विचार, दर्शन का तंत्र का युग का स्पष्टीकरण किया है पाश्चात्य दर्शन के दार्शनिकों में सुकरात, प्लेटो और अरस्तु के दर्शन विषय का महत्व मुख्य है। भाग-2 के मध्ययुगीन दर्शन में जौन स्कोटस एरिजिना, संत अगास्टिन का ईसाई वचन, ज्ञान मीमांसा, ईश्वर ज्ञान ईश्वर का स्वरूप और अशुभ की समस्या, मानव विचार, आधुनिक दर्शन की ओर धर्म मीमांसा संकल्प और बुद्धि आदि विषयों का विस्तार से स्पष्टीकरण किया है। भाग-3 में आधुनिक दर्शन की विशेषताएँ, दार्शनिक बुद्धिवाद, ज्ञान मीमांसीय बुद्धिवाद, जाति दोष या भ्रम चलती भाषा से उत्पन्न दोष आदि विषय बताये गये है। इसके अतिरिक्त रेने दकार्त, ग्रेटफ्रिड विल्हेल्म लाइबनित्स, जौन लॉक, जार्ज बर्कले, डेविस ह्यूम और इमानुएल काण्ट आदि दार्शनिकों ने अलग अलग विषय पर समीक्षात्मक विचार प्रस्तुत किये है। जिसको पढ़कर छात्रों को बहुत सी नयी जानकारी मिलती है और अपने जीवन को सफल बना सकते है।
Pati Patni ka Divya Vyavhar (Sanxipt): पति पत्नी का दिव्य व्यवहार (संक्षिप्त)
by Dada Bhagwanपति और पत्नी यह दोनों एक ही गाड़ी के दो पहिये है जिसका साथ में चलना बहुत ही अनिवार्य है| हर घर में पति-पत्नी के बीच किसी ना किसी बात पर संघर्ष और मनमुटाव चलते ही रहता है जिसके कारण घर का वातावरण भी तनावपूर्ण हो जाता है| इसका प्रभाव घर में रहने वाले अन्य सदस्यों पर भी पड़ता है और खासकर बच्चे भी इससे बहुत ही प्रभावीत होते है| पूज्य दादा भगवान खुद भी विवाहित थे पर अपने सम्पूर्ण आयुष्यकाल में उनका अपनी पत्नी के साथ कभी भी किसी भी बात को लेकर विवाद खड़ा नहीं हुआ| अपनी किताब, ‘पति पत्नी का दिव्य व्यवहार’ में दादाजी हमें अपने विवाह जीवन को आदर्श किस तरह बनाये, इससे संबंधित बहुत सारी चाबियाँ देते है|अपने अनुभवों और ज्ञान के साथ, लोगो द्वारा पूछे गए प्रश्नों के जवाब में दादाजी ने बहुत सारी अच्छी बाते कही है, जिसका पालन करने से पति और पत्नी एक दूसरे के साथ सामजस्य के साथ प्रेमपूर्वक व्यवहार कर सकेंगे|
Praathamik Vidyaalay Ka Baalak - Ek Adhyayan- 1 NES-101 - IGNOU
by Indira Gandhi Rashtriya Mukta Vishvavidyalayaएन ई एस – 101 प्राथमिक विद्यालय का बालक - एक अध्ययन खंड 1 इस पाठ्यक्रम में प्राथमिक विद्यालय के बच्चो के शारीरिक, स्वास्थ्य, सामाजिक एवं संवेगात्मक पहलुओं से संबंधित आवश्यताओं और समस्याओं को शिक्षक तथा अभिभावक को समझने की आवश्यताओं का विवेचन किया गया है। इसमें शैक्षिक निर्देशन संबंधित अनेक उन किर्याकलापों की चर्चा भी की गई है। जो बच्चो को घर तथा स्कूल में समायोजन के अवसर प्रदान करते है।
Praathamik Vidyaalay Ka Baalak - Ek Adhyayan- 2 NES-101 - IGNOU
by Indira Gandhi Rashtriya Mukta VishvavidyalayaNES- 101 प्राथमिक विद्यालय का बालक – एक अध्ययन खंड 2 बच्चे के विकास के सिद्धान्त एवं कारक पाठ्यक्रम में प्राथमिक विद्यालय के बालक की सामान्य तस्वीर प्रस्तुत करती है तथा विकास के विभिन्न पक्षों, यथा- संज्ञानात्मक, सामाजिक, संवेगात्मक, भाषिक, शारीरिक एवं गतिक विकास पर प्रकाश डालती है। इस खंड में मानव जीवन से सम्बधीत विकास की अवधारणा का भी संक्षिप्त विवेचन किया गया है।
Prabhodhini class 9 - RBSE Board: प्रबोधिनी 9वीं कक्षा - आरबीएसई बोर्ड
by Madhyamik Shiksha Board Rajasthan Ajmer'प्रबोधिनी' माध्यमिक शिक्षा बोर्ड राजस्थान हेतु कक्षा नवमी के हिन्दी विषय हेतु निर्धारित पाठ्यक्रम के अनुरूप तैयार की गई है। 'हिन्दी भाषा' अपने सामर्थ्य में वृद्धि करते हुए विश्व में सम्पर्क भाषा के रूप मे तीव्रता से प्रसारित हो रही है। ऐसी स्थिति में स्वाभाविक है कि अपने प्रदेश के विद्यालयों के विद्यार्थी हिन्दी भाषा के व्यवहार में विशेष दक्षता अर्जित करें। भाषा के साथ पुस्तक में संकलित विषय-वस्तु के माध्यम से विद्यार्थियों में आत्मबल, त्याग, बलिदान, निःस्वार्थ सेवा, जीव दया के साथ राष्ट्र भक्ति की भावना पुष्ट करने का प्रयास किया गया है ।