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Prachin Bharat

by Dvijendranarayan Jha

Prachin Bharat: This book is an unmatched description of Ancient India. It gives us a clear view of the systems prevailing in ancient India. The books has descriptions of life and times of Harappan civilisation. vedic civilisation and origin of buddhism has been given equal importance. The description of Mauryas and guptas is unmatched one and the book augurs well for students preparing for civil service exams in India.

Prachin Bharat Ka Itihas - Delhi University: प्राचीन भारत का इतिहास - दिल्ली यूनिवर्सिटी

by Dwijendranarayan Jha Krishnamohan Shrimali

हिंदी माध्यम कार्यान्वय निदेशालय की ओर से प्रो. द्विजेंद्रनारायण झा एवं प्रो. कृष्णमोहन श्रीमाली द्वारा संपादित पुस्तक प्राचीन भारत का इतिहास का 35वा पुनर्मुद्रण करवाया जा रहा है। इस पुस्तक में इतिहास की भौगोलिक पृष्ठभूमि, स्रोत, प्रागैतिहासिक, पुरातत्त्व, वैदिक साहित्य, ईसा पूर्व शताब्दी में धार्मिक आंदोलन, महाजन पदों के उदय व यूनानी आक्रमण, मौर्यकाल, गुप्तकाल, इत्यादि विषयों पर विस्तारपूर्वक लिखा गया है। इसमें न केवल पाठकों को ऐतिहासिक जानकारी उपलब्ध कराई गई है अपितु उसे उचित सामाजिक, आर्थिक व राजनीतिक परिवेश में भी संजोया गया है। लेखकों का प्रयास रहा है कि प्राचीन भारत के इतिहास का निष्पक्ष विश्लेषण कर सकें। इसके लिए उन्होंने तात्कालीन, सामाजिक, आर्थिक व राजनीतिक प्रणालियों का विश्लेषण तो किया ही है साथ ही उस समय के साहित्य का भी अवलोकन किया है ताकि कल्पना व तथ्य में समन्वय स्थापित किया जा सके ।

Prachin Evam Madhyakalin Bharat Ka Rajnitik Chintan - Delhi Vishvavidyalaya: प्राचीन एवं मध्यकालीन भारत का राजनीतिक चिंतन - दिल्ली विश्वविद्यालय

by Dr Ruchi Tyagi

डॉ. रुचि त्यागी द्वारा संपादित 'प्राचीन एवं मध्यकालीन भारतीय राजनीतिक चिंतन: प्रमुख परम्पराएं एवं चिंतक' पुस्तक को इस कड़ी कापहला महत्वपूर्ण प्रयास माना जा सकता है । इसमें नये पाठ्यक्रम के अनुसार 'ब्राह्मणवादी, श्रमणीय, इस्लामी व समन्यवादी परम्पराओं' पर विस्तारपूर्वक विश्लेषण प्रस्तुत किया गया है । साथ ही, वेदव्यास द्वारा प्रतिपादित राजधर्म, मनु द्वारा प्रतिपादित सामाजिक दण्ड संहिता, कौटिल्य का सप्तांग सिद्धांत, अगन्न सुत्त का राजत्व संबंधी सिद्धांत तथा संत कबीर के समन्वयवाद पर नए अध्याय जोड़ दिए गए हैं ।

Pratikraman (Granth): प्रतिक्रमण (ग्रंथ)

by Dada Bhagwan

इंसान हर कदम पर कोई ना कोई गलती करता है जिससे दूसरों को बहुत दुःख होता है| जिसे मोक्ष प्राप्त करना है, उसे यह सभी राग-द्वेष के हिसाबो से मुक्त होना होगा| इसका सबसे आसान तरीका है अपने द्वारा किये गए पापों का प्रायश्चित करना या माफ़ी माँगना| ऐसा करने के लिए तीर्थंकरों ने हमें बहुत ही शक्तिशाली हथियार दिया है जिसका नाम है ‘प्रतिक्रमण’| प्रतिक्रमण मतलब, हमारे द्वारा किये गए अतिक्रमण को धो डालना| ज्ञानी पुरुष दादा भगवान ने हमें आलोचना-प्रतिक्रमण-प्रत्याख्यान की चाबी दी है जिससे हम अतिक्रमण से मुक्त हो सकते है| आलोचना का अर्थ होता है- अपनी गलती का स्वीकार करना, प्रतिक्रमण मतलब उस गलती के लिए माफ़ी माँगना और प्रत्याख्यान करने का अर्थ है- दृढ़ निश्चय करना कि ऐसी गलती दोबारा ना हो| इस पुस्तक में हमें हमारे द्वारा किये गए हर प्रकार के अतिक्रमण से कैसे मुक्त हो सके इसका रास्ता मिलता है|

Pratikraman (Sanxipt): प्रतिक्रमण (संक्षिप्त)

by Dada Bhagwan

इंसान हर कदम पर कोई ना कोई गलती करता है जिससे दूसरों को बहुत दुःख होता है| जिसे मोक्ष प्राप्त करना है, उसे यह सभी राग-द्वेष के हिसाबो से मुक्त होना होगा| इसका सबसे आसान तरीका है अपने द्वारा किये गए पापों का प्रायश्चित करना या माफ़ी माँगना| ऐसा करने के लिए तीर्थंकरों ने हमें बहुत ही शक्तिशाली हथियार दिया है जिसका नाम है ‘प्रतिक्रमण’|प्रतिक्रमण मतलब, हमारे द्वारा किये गए अतिक्रमण को धो डालना| ज्ञानी पुरुष दादा भगवान ने हमें आलोचना-प्रतिक्रमण-प्रत्याख्यान की चाबी दी है जिससे हम अतिक्रमण से मुक्त हो सकते है| आलोचना का अर्थ होता है- अपनी गलती का स्वीकार करना, प्रतिक्रमण मतलब उस गलती के लिए माफ़ी माँगना और प्रत्याख्यान करने का अर्थ है- दृढ़ निश्चय करना कि ऐसी गलती दोबारा ना हो| इस पुस्तक में हमें हमारे द्वारा किये गए हर प्रकार के अतिक्रमण से कैसे मुक्त हो सके इसका रास्ता मिलता है|

Prem: प्रेम

by Dada Bhagwan

सच्चा प्रेम हम किसे कहते है? सच्चा प्रेम तो वह होता है जो कभी भी कम या ज़्यादा ना हो और हमेशा एक जैसा बना रहे| हमें लगता है कि हमें हमारे आसपास के सभी लोगो पर बहुत प्रेम है पर जब भी वह हमारे कहे अनुसार कुछ नहीं करते तो हम तुरंत ही बहुत गुस्सा हो जाते है| पूज्य दादाभगवान इसे प्रेम नहीं कहते| वह कहते है कि यह सब तो सिर्फ एक भ्रान्ति ही है| सच्चा प्रेम तो वह होता है जिसमें किसी भी प्रकार कि अपेक्षा नहीं होती और जो सबके साथ हर समय और हर परिस्तिथि में एक जैसा बना रहता है| ऐसा सच्चा प्रेम तो बस एक ज्ञानी ही कर सकते है जिन्हें लोगो में कोई भी भेदभाव मालूम नहीं होता और इसलिए उनका व्यवहार सबके साथ बहुत ही स्नेहपूर्ण होता है| फिर भी हम थोड़ी कोशिश करे तो, ऐसा प्रेम कुछ अंश तक हमारे अंदर भी जगा सकते है| यह सब कैसे संभव है, यह जानने के लिए अवश्य पढ़े यह किताब और अपने जीवन को ‘प्रेममय’बनाइये|

Puss in Boots - Boot wala Bilota

by BPI India Pvt Ltd

The tale opens with the third and youngest son of a miller receiving his inheritance—a cat. At first, the youngest son laments, as the eldest brother gains the mill, and the middle brother gets the mules. The feline is no ordinary cat, however, but one who requests and receives a pair of boots.

Pyari Nooni Ki Meethi-Meethi Kahaniyan: प्यारी नूनी की मीठी-मीठी कहानियाँ

by Sudha Murti

"प्यारी नूनी की मीठी-मीठी कहानियाँ" एक अज्ञात लेखक द्वारा लिखी गई मीठी और प्यारी कहानियों का संग्रह है। यह किताब प्यार, खुशी और बचपन की मासूमियत से भरी कई तरह की दिल छू लेने वाली कहानियों को एक साथ लाती है। प्रत्येक कहानी केंद्रीय पात्र नूनी के इर्द-गिर्द घूमती है, जो एक आकर्षक और प्यारा व्यक्ति है जो अपने आनंदमय कारनामों और अनुभवों से पाठकों के दिलों पर कब्जा कर लेता है। नूनी की यात्रा के माध्यम से, पुस्तक दोस्ती, परिवार, दयालुता और जीवन की सरल खुशियों को संजोने के महत्व की पड़ताल करती है। हृदयस्पर्शी क्षणों से लेकर मूल्यवान जीवन पाठों तक, इस संग्रह की कहानियाँ पाठकों को नूनी की जादुई दुनिया की एक झलक प्रदान करती हैं, जहाँ कल्पना और मासूमियत प्रचुर मात्रा में है। अपनी रमणीय कथाओं और संबंधित पात्रों के साथ, "प्यारी नूनी की मीठी-मीठी कहानियाँ" निश्चित रूप से सभी उम्र के पाठकों को मंत्रमुग्ध कर देगी और उन्हें एक गर्म और उदासीन एहसास के साथ छोड़ देगी।

Raja Bhoj Ki Kahaniyan

by Harikrishna Devsare

इस पुस्तक डॉ हरिकृष्ण देवसरे ने उज्जयिनी के राजा और कवि भोज की जीवन को विभिन्न आकर्षक कहानियों के माध्यम से प्रस्तुत किया है। In this book Dr Hari Krishna devsare presented the biography of the king and poet Bhoj, of Ujjayini through different attractive stories.

Rajniti Siddhant Ki Rooprekha-An Introduction To Political Theory

by O. P. Gauba

“राजनीति-सिद्धांत की रूपरेखा’ के सप्तम संस्करण के अंतर्गत जगह-जगह नए संशोधन-परिवर्धन किए गए हैं, और अद्यतन सामग्री का समावेश किया गया है। विवेच्य विषय के निरंतर विस्तारशील स्वरूप को ध्यान रखते हुए इसमें कई नए, महत्त्वपूर्ण प्रकरण जोड़े गए हैं। ‘विचारधारा की संकल्पना’ के अंतर्गत ‘नारीवाद’ (Feminism) का संक्षिप्त परिचय जोड़ा गया है। ‘राज्य का स्वरूप: विविध परिप्रेक्ष्य’ के अंतर्गत दो नए, विस्तृत प्रकरण जोड़े गए हैं: ‘नारीवादी परिप्रेक्ष्य’ (Feminist Perspective) और ‘बहुलवादी परिप्रेक्ष्य’ (Pluralist Perspective) फिर, ‘लोकतंत्र के समकालीन सिद्धांत’ के अंतर्गत यहां दो नए प्रकरण यथास्थान जोड़ दिए गए हैं: ‘विचारणात्मक लोकतंत्र का सिद्धांत’ (Theory of Deliberative Democracy) और ‘लोकतंत्र का विरोधाभास’ (Paradox of Democracy)। ‘न्याय की संकल्पना’ के अंतर्गत ‘समुदायवादी दृष्टिकोण’ (Communitarian View) से जुड़े प्रकरण का प्रचुर विस्तार किया गया है। इसमें समुदायवाद (Communitarianism) के मुख्य-मुख्य उन्नायकों के योगदान की चर्चा करते हुए ‘जॉन सल्स के न्याय-सिद्धांत की समुदायवादी समालोचना’ (Communitarian Critique of John Rawls’s Theory of Justice) पर विस्तृत प्रकाश डाला गया है।

Red Riding Hood

by BPI India Pvt Ltd

The story of a little girl visiting her grandmother.

RPWD Act - Hindi-2016: आरपीडब्ल्यूडी ॲक्ट - हिंदी-2016

by Rpwd Act

दिव्यांगजनों के अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र अभिसमय और उससे संबंधित या उसके आनुषंगिक विषयों को प्रभावी बनाने के लिए अधिनियम दिए गए है। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने, 13 दिसम्बर, 2006 को दिव्यांगजनों के अधिकारों पर उसके अभिसमय को अंगीकृत किया था, और पूर्वोक्त अभिसमय दिव्यांगजनों के सशक्तिकरण के लिए सिद्धांत अधिकथित करता है।

Rusi Aur Pusi

by V. Suteyev

“रूसी और पूसी”दो दोस्‍त एक छोटी लड़की (रूसी) और बिल्‍ली (पूसी) की कहानी है। एक दिन रूसी ने पूसी के लिए एक घर की तस्‍वीर बनाई। पूसी उसमें अपनी पसन्‍दीदा चीज़ें बनवाती गई। आखिर में उसके घर की रखवाली के लिए कुत्‍ते का चित्र देखकर पूसी नाराज हो जाती है और उस घर में रहने को मना कर देती है।‘Rusi and Pusi’ is the story of two friends girl (Rusi) and Cat (Pusi). One day the Rusi built the picture of a house for the Pusi. Pusi built its own favorite things. After seeing the picture of the dog to guard his house Pusi got angry and refused to live in that house.

Sabhi Ke Liye Yoga

by B. K. S. Iyengar

Yoga, meditation and worship renowned Yogacharya. The first book on the subject published in Hindi by Iyengar yoga. It is no exaggeration to say that yoga is different from the traditions, the book written on the subject, such as wide. The yoga purely for their Suddhacrn, their bits, according to the body's deficiencies and disease-related issues, etc. In relation to the selection of yoga elaborated intuitive guidance, as is simple and understandable. Microscopic analysis of yoga and yoga, which is useful for readers of all age groups.

Safaai Pasand Aman

by Reena Batra

मूल्य शिक्षा के आधार पर कहानियाँ

Sahajta: सहजता

by Dada Bhagwan

मोक्ष किसे कहते हैं? खुद के शुद्धात्मा पद को प्राप्त करना | जो कुदरती रूप से स्वाभाविक हैं, जो सहज हैं| क्योंकि कि कर्मबंधन और अज्ञानता के कारण हमें अपने शुद्ध स्वरुप का ज्ञान नहीं हैं जो स्वाभाव से ही सहज हैं, शुद्धात्मा हैं | तो सहजता किस प्रकार प्राप्त करनी चाहिए ? ज्ञानीपुरुष के पास उसका उपाय हैं और ऐसे महान ज्ञानीपुरुष, दादाश्री ने हमें सहजता प्राप्त करने की चाबियाँ दी हैं | उन्होंने हमें अपने शुद्ध स्वरुप का परिचय कराया(आत्मज्ञान दिया) | मूल आत्मा तो सहज ही हैं, शुद्ध ही हैं | लोग इमोशनल (असहज) हो जाते हैं, क्योंकि उनके विचार, वाणी और वर्तन (मन-वचन-काया) के साथ तन्मयाकार हो जाते हैं | उसे अलग रखने से और उसका ज्ञाता-द्रष्टा रहने से आप सहजता प्राप्त कर सकेंगे | एक बार ज्ञान प्राप्त करने (ज्ञानविधि द्वारा) के बाद खुद का शुद्धात्मा (जो सहज हैं और रहेंगा) जागृत हो जाता हैं फिर, मन-बुद्धि-अहंकार शरीर की सहज स्थिती प्राप्त करने के लिए दादाश्री ने पाँच आज्ञाएँ दी हैं | प्रस्तुत संकलन में दादाश्रीने सहजता का अर्थ, सहज स्थिति में विक्षेप के कारणों, हम ज्ञाता-द्रष्टा रहकर सहजता किस प्रकार प्राप्त करें इन सभी का संपूर्ण विज्ञान दिया हैं | इस पुस्तक का पठन हमें अवश्य ही सहज स्वरुप बनाएगा और शांतिपूर्ण जीवन के तरफ ले जाएगा |

Samaj se prapat Brahmcharya (Purvardh): समझ से प्राप्त ब्रह्मचर्य (पूर्वार्ध)

by Dada Bhagwan

प्रत्येक मनुष्य में आत्मा को पहचानकर अपना आत्यंतिक कल्याण (मोक्ष प्राप्ति) करने की शक्ति होती है| लेकिन, इस मार्ग में विषय सब से बड़ा बाधक कारण बन सकता है| सिर्फ प्रत्यक्ष ज्ञानीपुरुष ही विषय आकर्षण के पीछे रहे विज्ञान को समझाकर उसमें से निकलने में हमारी सहायता कर सकते हैं| प्रस्तुत पुस्तक में पूज्य दादाश्री ने विपरीत लिंग के प्रति होते आकर्षण के इफेक्ट और कॉज़ का वर्णन किया हैं | उन्होंने यह बताया है कि विषय–विकार किस प्रकार से जोखमी हैं - वे मन और शरीर पर किस तरह विपरित असर डालते हैं और कर्म बंधन करवाते हैं| प्रस्तुत पुस्तक के खंड-१ में मूल रूप से आकर्षण- विकर्षण के सिद्धांत का वर्णन किया गया है और साथ ही यह आत्मानुभव में किस प्रकार से बाधक है और ब्रम्हचर्य के माहात्मय के प्रति समर्पित है| प्रस्तुत पुस्तक खंड- २ में ब्रम्हचर्य पालन करनेवाले निश्चयी के लिए सत्संग संकलित हुआ है | ज्ञानीपुरुष के श्रीमुख से ब्रम्हचर्य का परिणाम जानने के बाद उसके प्रति आफरीन हुए साधक में उस तरफ कदम बढ़ाने की हिम्मत आती है। ज्ञानी के संयोग से, सत्संग व सानिध्य प्राप्त करके, मन-वचन-काया से अखंड ब्रम्हचर्य में रहने का दृढ़- निश्चयी बनता है| ब्रम्हचर्य पथ पर प्रयाण करने हेतु और विषय के वट-वृक्ष को जड़-मूल से उखाड़कर निर्मूल करने हेतु इस मार्ग में बिछे हुए पत्थरों से लेकर पहाड़ जैसे विघ्नों के सामने, डगमगाते हुए निश्चय से लेकर ब्रम्हचर्य व्रत से च्युत होने के बावजूद ज्ञानीपुरुष उसे जागृति की सर्वोत्कृत श्रेणियाँ पार करवाकर निर्ग्रंथाता की प्राप्ति करवाए, उस हद तक की विज्ञान- दृष्टी खोल देते हैं और विकसित करते हैं| तो यह पुस्तक पढ़कर शुद्ध ब्रम्हचर्य किस तरह उपकारी है, ऐसी समझ प्राप्त करें|

Samaj se prapat Brahmcharya (Uttaradh): समझ से प्राप्त ब्रह्मचर्य (उत्तरार्ध)

by Dada Bhagwan

हर एक मनुष्य में अपने आत्मा को पहचानकर मोक्ष प्राप्त करने की शक्ति है। लेकिन मोक्ष मार्ग में विषय सबसे बड़ा बाधक बन जाता है। सिर्फ प्रत्यक्ष ज्ञानीपुरुष ही विषय आकर्षण के पीछे का विज्ञान समझाकर उसमें से बाहर निकलने में मदद कर सकते हैं। ज्ञानीपुरुष दादाश्री ने मोक्ष मार्ग में ब्रह्मचर्य की महत्वता और विवाहित लोग भी वह किस प्रकार प्राप्त कर सकते हैं, वह बताया है। विषय का वैराग्यमय स्वरुप, उसकी इस जन्म की और अगले जन्म की जोखिमदारियाँ बताई है| ब्रह्मचर्य से होनेवाले फायदे उसकी वैज्ञानिक एक्ज़ेक्टनेस के साथ बताए हैं। ब्रह्मचर्य की भूलरहित समझ, विषयबीज को निर्मूल कर के जड़-मूल से उखाड़ने का तरीका बताया है। खंड १ में पूज्य दादाश्री ने विवाहितों को बिना हक़ के विषय के सामने चेतावनी दी है वैसे ही उसकी जोखिमदारी और किस तरह से सूक्ष्मातिसूक्ष्म आकर्षण/ दृष्टिदोष भी हमें मोक्षमार्ग से भटका देंगे वह समझाया है। खंड २ में ज्ञानीपुरुष ने कैसा विज्ञान देखा! वह हमारे लिए खुल्ला किया है जगत के लोगों ने मीठी मान्यता से विषय में सुख का आनंद लिया, किस तरह उनकी दृष्टि विकसित करने से उनकी विषय संबंधित सभी उल्टी मान्याताएँ छूट जाएँ और महामुक्तदशा के मूल कारण रूप, ऐसे 'भाव ब्रह्मचर्य' का वास्तविक स्वरूप, विषय मुक्ति हेतु कर्तापन की सारी भ्रांति टूट जाए, और ज्ञानीपुरुष ने खुद जो देखा है, जाना है और अनुभव किया है, उस 'वैज्ञानिक अक्रम मार्ग' का ब्रह्मचर्य संबंधित अदभुत रहस्य खुल्ला किया है। ऐसे दुषमकाल में कि जहाँ समग्र जगत में वातावरण ही विषयाग्निवाला फैल गया है, ऐसे संयोगों में ब्रह्मचर्य संबंधित 'प्रकट विज्ञान' को स्पर्श करके निकली हुई 'ज्ञानीपुरुष' की अदभुत वाणी विषय-मोह में से छूटकर ब्रह्मचर्य की साधना में रहकर, सुज्ञ वाचक को अखंड शुद्ध ब्रह्मचर्य को समझ के साथ स्थिर करता है।

Samaj Se Prapt Brahmacharya (Sanxipt): समज से प्राप्‍त ब्रह्मचर्य (संक्षिप्त)

by Dada Bhagwan

ब्रम्हचर्य व्रत, भगवान महावीर द्वारा दिये हुए ५ महाव्रतो का हिस्सा है| मोक्ष प्राप्त करने ब्रम्हचर्य व्रत का पालन करना चाहिए, यह समझ बहुत सारे लोगो में है पर विषय करना क्यों गलत है या उसमें से हम छुटकारा कैसे पा सकते है, यह सब कोई नहीं जानता| विषय यह हमारी पाँचो इन्द्रियों में से किसी भी इन्द्रिय को पसंद नहीं आता| आँखों को देखना अच्छा नहीं लगता, नाक को सूंघना पसंद नहीं, जीभ से चख ही नहीं सकते और ना ही हाथ से छू सकते है| पर फिर भी सच्चा ज्ञान नहीं होने के कारण लोग विषय में निरंतर लीन होते है क्योंकि उन्हें इसके जोख्मों के बारे में कोई जानकारी ही नहीं है| अपने हक्क के साथी के साथ भी विषय करने में अनगिनत सूक्ष्म जीवों का नाश होता है और अनहक्क के विषय का नतीजा तो नरकगति है| इस पुस्तक द्वारा आपको ब्रम्हचर्य क्या है,इसके क्या फायदे है, ब्रम्हचर्य का पालन कैसे करे वगैरह प्रश्नों के जवाब मिलेंगे|

Samajik Vigyan Class 6 - RBSE Board: सामाजिक विज्ञान 6वीं कक्षा - आरबीएसई बोर्ड

by Rajsthan Rajya Pathyapustak Mandal Jaipur

राजस्थान राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान, उदयपुर द्वारा सामाजिक विज्ञान शिक्षण हेतु तैयार की गई पाठ्यपुस्तक में उन सभी भौगोलिक, आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक तथा ऐतिहासिक तथ्यों एवं घटनाओं का समावेश किया गया है, जिनकी वर्तमान में विद्यार्थी के सर्वांगीण विकास के लिए महती आवश्यकता है । इससे बालक का सतत् एवं व्यापक मूल्यांकन किया जा सकेगा । पाठ्यपुस्तक को मुख्य रूप से तीन भागों में विभाजित किया गया है । भूगोल, सामाजिक एवं राजनीतिक जीवन तथा इतिहास । साथ ही शिक्षकों से अपेक्षा है कि अध्यायों को इकाई वार विभाजित कर क्रमानुसार सभी भागों को नियमित रूप से सम्मिलित करते हुए अध्ययन कार्य करावें । पाठ्यपुस्तक में सम्मिलित चित्रों, मानचित्रों, घटनाओं का भरपुर उपयोग करें, ताकि छात्रों की तार्किकता में वृद्धि हो सके । यथा संभव बालकों को शैक्षिक भ्रमण पर ले जावें और वहाँ की वस्तु स्थिति से अवगत करावें । भ्रमण के बाद विद्यालय में आकर समूह परिचर्चा करते हुए प्रतिवेदन तैयार करें । अध्याय में दी गई गतिविधियों को करवाते हुए छात्रों का भरपूर सहयोग लें तथा उन्हें सीखने का अवसर प्रदान करें । बालकों को रटने की प्रवृति की जगह अपने विवेक का प्रयोग करते हुए आगे बढने के अवसर प्रदान करें । अध्याय के अंत में दिए गए प्रश्नों के उत्तर भी वह अपने विवेकानुसार लिखने का प्रयास करें । छात्रों को ध्यान में रखते हुए बहुचयनात्मक, रिक्त स्थान पूर्ति, अतिलघुत्तरात्मक, निबंधात्मक प्रश्नों का समावेश किया गया है ।

Samajik Vigyan class 7 - RBSE Board: सामाजिक विज्ञान 7वीं कक्षा - आरबीएसई बोर्ड

by Rajsthan Rajya Pathyapustak Mandal Jaipur

राजस्थान राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान, उदयपुर द्वारा सामाजिक विज्ञान शिक्षण हेतु तैयार की गई पाठ्यपुस्तक में उन सभी भौगोलिक, आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक तथा ऐतिहासिक तथ्यों एवं घटनाओं का समावेश किया गया है, जिनकी वर्तमान में विद्यार्थी के सर्वांगीण विकास के लिए महती आवश्यकता है । इससे बालक का सतत् एवं व्यापक मूल्यांकन किया जा सकेगा । पाठ्यपुस्तक को मुख्य रूप से तीन भागों में विभाजित किया गया है । भूगोल, सामाजिक एवं राजनीतिक जीवन तथा इतिहास । साथ ही शिक्षकों से अपेक्षा है कि अध्यायों को इकाई वार विभाजित कर क्रमानुसार सभी भागों को नियमित रूप से सम्मिलित करते हुए अध्ययन कार्य करावें । पाठ्यपुस्तक में सम्मिलित चित्रों, मानचित्रों, घटनाओं का भरपुर उपयोग करें, ताकि छात्रों की तार्किकता में वृद्धि हो सके । यथा संभव बालकों को शैक्षिक भ्रमण पर ले जावें और वहाँ की वस्तु स्थिति से अवगत करावें । भ्रमण के बाद विद्यालय में आकर समूह परिचर्चा करते हुए प्रतिवेदन तैयार करें । अध्याय में दी गई गतिविधियों को करवाते हुए छात्रों का भरपूर सहयोग लें तथा उन्हें सीखने का अवसर प्रदान करें । बालकों को रटने की प्रवृति की जगह अपने विवेक का प्रयोग करते हुए आगे बढने के अवसर प्रदान करें । अध्याय के अंत में दिए गए प्रश्नों के उत्तर भी वह अपने विवेकानुसार लिखने का प्रयास करें । छात्रों को ध्यान में रखते हुए बहुचयनात्मक, रिक्त स्थान पूर्ति, अतिलघुत्तरात्मक, निबंधात्मक प्रश्नों का समावेश किया गया है ।

Samajik Vigyan class 8 - RBSE: सामाजिक विज्ञान कक्षा 8 - आरबीएसई

by Rajasthan State Textbook Board

Social Science Textbook for Class 8

Samajik Vigyan Class 8 - RBSE Board: सामाजिक विज्ञान 8वीं कक्षा - आरबीएसई बोर्ड

by Rajsthan Rajya Pathyapustak Mandal Jaipur

राजस्थान राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान, उदयपुर द्वारा सामाजिक विज्ञान शिक्षण हेतु तैयार की गई पाठ्यपुस्तक में उन सभी भौगोलिक, आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक तथा ऐतिहासिक तथ्यों एवं घटनाओं का समावेश किया गया है, जिनकी वर्तमान में विद्यार्थी के सर्वांगीण विकास के लिए महती आवश्यकता है । इससे बालक का सतत् एवं व्यापक मूल्यांकन किया जा सकेगा । पाठ्यपुस्तक को मुख्य रूप से तीन भागों में विभाजित किया गया है । भूगोल, सामाजिक एवं राजनीतिक जीवन तथा इतिहास । साथ ही शिक्षकों से अपेक्षा है कि अध्यायों को इकाई वार विभाजित कर क्रमानुसार सभी भागों को नियमित रूप से सम्मिलित करते हुए अध्ययन कार्य करावें । पाठ्यपुस्तक में सम्मिलित चित्रों, मानचित्रों, घटनाओं का भरपुर उपयोग करें, ताकि छात्रों की तार्किकता में वृद्धि हो सके । यथा संभव बालकों को शैक्षिक भ्रमण पर ले जावें और वहाँ की वस्तु स्थिति से अवगत करावें । भ्रमण के बाद विद्यालय में आकर समूह परिचर्चा करते हुए प्रतिवेदन तैयार करें । अध्याय में दी गई गतिविधियों को करवाते हुए छात्रों का भरपूर सहयोग लें तथा उन्हें सीखने का अवसर प्रदान करें । बालकों को रटने की प्रवृति की जगह अपने विवेक का प्रयोग करते हुए आगे बढने के अवसर प्रदान करें । अध्याय के अंत में दिए गए प्रश्नों के उत्तर भी वह अपने विवेकानुसार लिखने का प्रयास करें । छात्रों को ध्यान में रखते हुए बहुचयनात्मक, रिक्त स्थान पूर्ति, अतिलघुत्तरात्मक, निबंधात्मक प्रश्नों का समावेश किया गया है ।

Samajshastra Ka Parichay class 11 - RBSE Board: समाजशास्त्र का परिचय 11वीं कक्षा - आरबीएसई बोर्ड

by Madhyamik Shiksha Board Rajasthan Ajmer

समाजशास्त्र का परिचय कक्षा 11वीं यह पुस्तक माध्यमिक शिक्षा बोर्ड राजस्थान, अजमेर ने हिंदी भाषा में प्रकाशित किया गया है, प्रस्तुत पुस्तक राजस्थान शिक्षा मण्डल, अजमेर के प्राकृत भाषा एवं साहित्य के 11 वीं कक्षा के छात्र-छात्राओं के लिए तैयार की गई है, यह पाठ्यपुस्तक समाजशास्त्र के परिचय हेतु एक आमंत्रण है। यह समाजशास्त्र विषय का विस्तृत एवं बोझिल वर्णन नहीं है, अपितु यह हमें इसका बोध कराती है और साथ ही समाज को समझने एवं अपनी जिंदगी को बेहतर समझने में समाजशास्त्र किस तरह हमारी मदद करता है, उसका ज्ञान प्रदान करती है। यह पाठ्यपुस्तक विद्यार्थियों को समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण, उसकी संकल्पनाओं एवं अनुसंधान के साधनों से परिचित कराती है। यह पाठ्यपुस्तक दर्शाती है कि किस तरह समाजशास्त्र एक विषय की तरह इस तथ्य से संबंधित है कि हममें से प्रत्येक, समाज के सदस्य की तरह, समाज के बारे में सामान्य बौद्धिक विचार और समझ रखता है। समाजशास्त्र ज्ञान के एक निकाय के रुप में सामान्य बौद्धिक ज्ञान के निकाय से कैसे अलग है जोकि समाज में अवश्य पाया जाता है? क्या यह अपनी पद्धति और उपागम के कारण अलग है या यह इसलिए अलग है क्‍योंकि यह लगातार आलोचनात्मक प्रश्न पूछता है, क्योंकि यह किसी भी विचार को बिना विमर्श के स्वीकार नहीं करता? हम इस तरह के कई और प्रश्न जोड़ सकते हैं। समाजशास्त्र एक ऐसा विषय है जोकि हमें समाज, जिस तरह से कार्य करता है, वह क्यों और कैसे करता है, इसकी समझ देता है और इसके बारे में प्रश्न पूछने के लिए प्रशिक्षण देता है। इसीलिए समाजशास्त्र में प्रयुक्त शब्द एवं संकल्पनाएँ ज़रूरी हैं क्योंकि वही समाजशास्त्रीय समझ के हमारे साधन हैं।

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