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Mansarovar Bhag 6: मानसरोवर भाग ६

by Premchand

प्रेमचंद ने 300 से अधिक कहानियाँ लिखीं। उन्होंने अपनी सम्पूर्ण कहानियों को 'मानसरोवर' में संजोकर प्रस्तुत किया है। इनमें से अनेक कहानियाँ देश-भर के पाठ्यक्रमों में समाविष्ट हुई हैं, कई पर नाटक व फ़िल्में बनी हैं जब कि कई का भारतीय व विश्व की अनेक भाषाओं में अनुवाद हुआ है। अपने समय और समाज का ऐतिहासिक संदर्भ तो जैसे प्रेमचंद की कहानियों को समस्त भारतीय साहित्य में अमर बना देता है। उनकी कहानियों में अनेक मनोवैज्ञानिक बारीक़ियाँ भी देखने को मिलती हैं। विषय को विस्तार देना व पात्रों के बीच में संवाद उनकी पकड़ को दर्शाते हैं। ये कहानियाँ न केवल पाठकों का मनोरंजन करती हैं बल्कि उत्कृष्ट साहित्य समझने की दृष्टि भी प्रदान करती हैं।

Bharat Ki Aantarik Suraksha Evam Aapda Prabandhan: भारत की आंतरिक सुरक्षा एवं आपदा प्रबंधन

by Aman Kumar Ips Udaybhan Singh

प्रस्तुत पुस्तक ‘भारत की आंतरिक सुरक्षा एवं आपदा प्रबंधन’ संघ लोक सेवा आयोग की मुख्य परीक्षा हेतु लिखी गई है। यह पुस्तक भारत की आंतरिक सुरक्षा एवं आपदा प्रबंधन से संबद्ध समस्त अवधारणाओं का निष्पक्षत व सरल भाषा में विवरण प्रस्तुत करती है। इसमें संगाठित अपराध, आतंकवाद, नक्सलवाद, साइबर अपराध, कालाधन, मनी लांड्रिंग, हवाला कारोबार, कश्मीर समस्या, सांप्रदायिकता इत्यादि ज्वलंत विषयों पर विश्लेषणात्मक सामग्री प्रस्तुत की गई है। प्रमुख विशेषताएँ भारत की आंतरिक सुरक्षा के विभिन्न पक्षों पर सटीक व विश्लेषणात्मक सामग्री आपदा प्रबंधन पर एक समग्र अवलोकन। मानचित्रों के द्वारा तथ्यों का सरल प्रस्तुतीकरण।

Dohri Chaal: दोहरी चाल

by Amit Khan

दुश्मन के एक बेहद खतरनाक फौजी किले की कहानी। वाकई इस बार बड़ा अजीबोगरीब मामला था। इस बार वो मिशन था ही नहीं, जो बताया गया था। सब कुछ रहस्य के गहरे महासागर में छुपा था। आखिर असली मिशन क्या था? दिल की धड़कनों को थाम दे, भीषण प्रकम्पन्न पैदा कर दे- ऐसे विलक्षण मूड में ‘कमांडर करण सक्सेना’ का बेहद तेज़रफ़्तार उपन्यास।

Post Box Number 203 Nala Sopara: पोस्ट बॉक्स नं. 203 नाला सोपारा

by Chitra Mudgal

हिन्दी साहित्य जगत में अपनी अप्रतिम जगह बना चुकी वरिष्ठ कथाकार चित्रा मुद्गल का यह उपन्यास विनोद उर्फ बिन्नी उर्फ बिमली के बहाने हमारे समाज में लम्बे समय से चली आ रही उस मानसिकता का विरोध हैजो मनुष्य को मनुष्य समझने से बचती रही है। जी नहींयह अमीरगरीब का पुराना टोटका नहींमहज शारीरिक कमी के चलते किसी इंसान को असामाजिक बना देने की क्रूर विडम्बना है। अपने ही घर से निकाल दिए गए विनोद की मर्मांतक पीड़ा उसके अपनी बा को लिखे पत्रों में इतनी गहराई से उजागर हुई है कि पाठक खुद यह सोचने पर विवश हो जाता है कि क्या शब्द बदल देने भर से अवमानना समाप्त हो सकती है गलियों की गाली हिजड़ाको किन्नरकह देने भर से क्या देह के नासूर छिटक सकते हैं। परिवार के बीच से छिटककर नारकीय जीवन जीने को विवश किए जाने वाले ये बीच के लोगआखिर मनुष्य क्यों नहीं माने जाते। आजजबकि ऐसे असंख्य लोगों को समाज में स्वीकृति मिलने लगी हैहमारी संसद भी इस संदर्भ में पुरातनपंथी नहीं रही हैक्या यह उम्मीद नहीं की जानी चाहिए कि परिवार व समाज अपनी सोच के मकड़जाल से बाहर निकल आएंगेठीक उसी तरह जैसे इस उपन्यास के मुख्य चरित्र की मां वंदना बेन शाह अपने बेटे से घर वापसी की अपील करते हुए एक विस्तृत माफीनामा अखबारों में छपवाती है। यह अपील एक व्यक्ति भर की न रहकरसमूचे समाज की बन जाएयही वस्तुत: कथाकार की मूल मंशा है। एक एक्टिविस्ट रचनाकारकैसे अपनी रचना में मूल सरोकार के प्रति समर्पित हो सकता हैयह इस अनोखे और पठनीय उपन्यास की भाषा बताती है। यहां समाज की हर सतह उघड़ती है और एक नयी रचनात्मक सतह बनने को आतुर है।

Personality Plus: पर्सनैलिटी प्लस

by Florence Littauer

पर्सनैलिटी प्लस में फ़्लोरेंस लिटार आपको ऐसी बहुमूल्य जानकारी देती हैं, जिससे आप अपने अनूठे व्यक्तित्व को आसानी से पहचान सकते हैं। इस पुस्तक में एक पर्सनैलिटी प्रोफ़ाइल टेस्ट भी दिया गया है। यह टेस्ट आपके गुणों के उस अनूठे सम्मिश्रण के बारे में बताएगा, जो आपकी भावनाओं, काम करने की क्षमता और संबंधों को प्रभावित करता है। मज़ेदार क़िस्सों और सटीक सुझावों के माध्यम से पर्सनैलिटी प्लस आपकी शक्तियों को बढ़ाने तथा कमजोरियों को सुधारने का मार्गदर्शन देती है। इस रोचक पुस्तक में आपके आस-पास के लोगों को समझने का तरीक़ा भी बताया गया है। आप यह जान जाएँगे कि किन गुणों के कारण हर व्यक्ति भिन्न होता है। पर्सनैलिटी प्लस को पढ़ने के बाद आपका जीवन निश्चित रूप से बेहतर और अधिक आनंददायक बन सकता है।

Mansarovar Bhag 8: मानसरोवर भाग ८

by Premchand

प्रेमचंद ने 14 उपन्यास व 300 से अधिक कहानियाँ लिखीं। उन्होंने अपनी सम्पूर्ण कहानियों को 'मानसरोवर' में संजोकर प्रस्तुत किया है। इनमें से अनेक कहानियाँ देश-भर के पाठ्यक्रमों में समाविष्ट हुई हैं, कई पर नाटक व फ़िल्में बनी हैं जब कि कई का भारतीय व विश्व की अनेक भाषाओं में अनुवाद हुआ है। अपने समय और समाज का ऐतिहासिक संदर्भ तो जैसे प्रेमचंद की कहानियों को समस्त भारतीय साहित्य में अमर बना देता है। उनकी कहानियों में अनेक मनोवैज्ञानिक बारीक़ियाँ भी देखने को मिलती हैं। विषय को विस्तार देना व पात्रों के बीच में संवाद उनकी पकड़ को दर्शाते हैं। ये कहानियाँ न केवल पाठकों का मनोरंजन करती हैं बल्कि उत्कृष्ट साहित्य समझने की दृष्टि भी प्रदान करती हैं।

Deep Work: डीप वर्क

by Cal Newport

'जिस तरह स्वचालन (ऑटोमेशन) और बाहरी स्रोत (आउटसोर्सिंग) हमारे कार्यक्षेत्र को एक नया रूप दे रही हैं, ऐसे में वे कौन से नए कौशल हैं, जिनकी हमें ज़रूरत हैं? कैल न्यूपोर्ट की यह दिलचस्प किताब न सिर्फ एक विचलन-रहित वातावरण में गहन एकाग्रता से हमारा परिचय कराती है बल्कि हमें उस तक पहुँचने का मार्ग भी दिखाती है। इस गहन एकाग्रता के परिणामस्वरूप हमारे सीखने की गति तेज हो जाती है और हमारा प्रदर्शन सशक्त हो जाता है। इसे अपने मस्तिष्क के व्यायाम के रूप में देखें और आज से ही यह व्यायाम शुरू करें।' 'यह किताब गहन एकाग्रता की क्षमता विकसित करने के पक्ष में ठोस तर्क देती है और इसके लिए ऐसे कदम सुझाती है, जो फौरन उठाए जा सकते हैं।' 'कैल न्यूपोर्ट भारी शोरगुल के बीच एक स्पष्ट सुनाई देने वाली आवाज हैं, जिनके काम में विज्ञान और जोश, दोनों का संगम है। हमें और अधिक क्लिक्स व इमोजीस (वेब पेजों में उपयोग किए जानेवाले स्माइली) की ज़रूरत नहीं है। हमें बहादुरी भरे काम की ज़रूरत है। ऐसा काम तभी संभव होता है, जब हम सच्चाई को नज़रअंदाज करने से इंकार कर देते हैं।' 'इंसान की मानसिक शक्तियों को दोबारा सक्रिय करने के लिए कैल न्यूपोर्ट जितने व्यावहारिक, दक्ष और जानकारियों से भरपूर सुझाव देते हैं, मैंने उतने कारगर सुझाव देते हुए किसी और को नहीं देखा।' 'अगर आपको लगता है कि आप यह सब पहले से जानते हैं, तो गहन कार्य अपनी अनूठी और उपयोगी अंतदृष्टियों से आपको आश्चर्यचकित कर देगी। दरअसल इस किताब की उपयोगिता सिद्ध करने के लिए इसमें प्रस्तुत नियम-3 ही काफी है, जो कोई भी लाभ काफी है दृष्टिकोण पर चर्चा करता है।'

Dhan-Sampatti Ka Manovigyan: धन-संपत्ति का मनोविज्ञान

by Morgan Housel

धन का प्रबंधन, निवेश और उद्यम संबंधी निर्णय लेना ऐसे विषय माने जाते हैं जिनमें आमतौर पर काफी गणितीय हिसाब किताब होता है, जहाँ डेटा और फ़ॉर्मूले हमें बताते हैं कि आखिर क्या करना है। लेकिन वास्तविक संसार में, लोग वित्तीय निर्णय स्प्रेडशीट पर नहीं लेते। वे खाने की मेज पर या किसी सभाकक्ष में उन्हें बनाते हैं, जहाँ व्यक्तिगत इतिहास, संसार के प्रति आपका अद्वितीय दृष्टिकोण, अहंकार, अभिमान, मार्केटिंग, और विचित्र प्रेरक साथ में उलझे होते हैं। धन-संपत्ति के मनोविज्ञान में लेखक ने 19 लघु कहानियाँ प्रस्तुत की हैं, जो धन के बारे में लोगों की विचित्र सोच का समन्वेषण करती है, और साथ ही आपको सिखाती हैं कि आप किस प्रकार जीवन के इस सवाधिक महत्वपूर्ण पहलू को बेहतर रूप से समझ सकते हैं।

80-20 Siddhant - Kam Se Jyada Hasil Karne Ka Rahasya: ८०-२० सिद्धांत: कम से ज़्यादा हासिल करने का रहस्य

by Richard Koch

कम से ज़्यादा हासिल करें: अपने पहले प्रकाशन के बीस वर्षों बाद, 80/20 सिद्धांत दुनिया की सर्वाधिक बिकनेवाली पुस्तकों में शामिल है, जिसे पूरे विश्व में फैले लाखों प्रभावी लोग प़ढते हैं। अब यह पहले से कहीं अधिक प्रभावशाली और अनिवार्य हो गई है। पहले इसे जिसने भी प़ढा और इस्तेमाल किया, उसे इसका फायदा मिला। भविष्य में, यह उन सभी के लिए एक अनिवार्य साधन बन जाएगी जो सफल होना चाहते हैं। और यह प्रभावशाली है। सहज ज्ञान के विपरीत लेकिन इस व्यापक सच्चाई पर आधारित होने के कारण कि 80% परिणाम 20% कारणों से मिलते हैं, 80/20 सिद्धांत यह दिखाता है कि महज 20% सबसे ज़रूरी बातों पर ध्यान देकर आप बहुत कम समय और प्रयास के साथ बहुत कुछ हासिल कर सकते हैं। इस विस्तृत नए संस्करण में चार ताज़ातरीन अध्याय हैं जो आपको बताते हैं कि कैसे: १. ब़ढते नेटवर्क का इस्तेमाल आप अपने फायदे के लिए कर सकते हैं। २. इस सिद्धांत के अत्यधिक फायदेमंद 90/10 और 99/1 रूपों का लाभ उठा सकते हैं। ३. अपने अवचेतन मन की मदद से अपने जीवन पर एक परम-प्रभावी और चमत्कारिक रूप से अनुकूल प्रभाव डाल सकते हैं। ४. पाँच परम नियमों को अपनाकर और अधिक सफलता प्राप्त कर सकते हैं।

Paryavaran Shikshan: पर्यावरण शिक्षण: भारत में रुझान एवं प्रयोग

by Chong Shimray

यह पुस्तक पर्यावरण शिक्षा में बुनियादी समझ के साथ-साथ स्कूली पाठ्यक्रम में इसे शामिल करने के लिए मूल्यवान दिशानिर्देश भी प्रदान करती है। पर्यावरण शिक्षा शिक्षण: भारत में रुझान और प्रथाएं अध्ययन के सैद्धांतिक और व्यावहारिक पहलुओं को समझाने और भारतीय स्कूल पाठ्यक्रम में पर्यावरण शिक्षा को शामिल करने के लिए एक संतुलित दृष्टिकोण अपनाता है। यह स्कूली पाठ्यक्रम में एक आवश्यक घटक के रूप में पर्यावरण शिक्षा के महत्व को स्थापित करता है और नीतियों और रणनीतियों के सफल विकास और कार्यान्वयन के लिए महत्वपूर्ण रोड मैप का सुझाव देता है। ऐसा करने में, पुस्तक पर्यावरण शिक्षा, पर्यावरण विज्ञान और पर्यावरण अध्ययन के बीच महत्वपूर्ण संबंधों को भी स्पष्ट करती है और शिक्षा कैसे सतत विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

Sadguru: सद्गुरु

by Arundhathi Subramaniam

यह पुस्तक सद्गुरु की प्रेरणागाथा है- वह असाधारण दिव्यपुरुष; जो युवावस्था में ही ईश्वर को जानने के लिए तत्पर हो उठे; मोटरसाइकिलों का शौकीन; जो जीवन के रहस्य खोजने के लिए उद्यत हो उठे; संशयवादी होने के बावजूद आध्यात्मिक सत्पुरुष बन गए। बाल्यकाल में जग्गी वासुदेव (जो अब सद्गुरु के नाम से वियात हैं) उच्छृंखल स्वभाव के थे; कक्षा छोड़कर भाग जाना; हुड़दंग करना; चुहलबाजी करना उनकी प्रकृति में था; बाद में उन्हें मोटरसाइकिल और रेसिंग गाडि़यों का शौक हो गया। उनकी आध्यात्मिक यात्रा में इस तेजी और तत्परता को सहज ही अनुभव किया जा सकता है। ऐतिहासिक ‘ध्यानलिंग’ की स्थापना किसी जिद्दी; हठधर्मी व्यति के द्वारा ही किया जाना संभव था; और सद्गुरु ने वह कर दिखाया। सद्गुरु का विश्वास है कि आस्था; आध्यात्मिकता और विज्ञान एक-दूसरे से जुडे़ हैं। इनके समन्वय मात्र से ही मानव का कल्याण होगा; सद्गुणों के विकास के लिए प्रत्येक व्यति को सतत सक्रिय होना होगा। सद्गुरु के साथ लंबी बातचीत और उनके अनुयायियों तथा शिष्यों के साथ साक्षात्कारों के आधार पर अरुंधती सुब्रह्मण्यम द्वारा तैयार की गई यह पुस्तक एक जीवंत किंवदंती ‘सद्गुरु’ का जीवनवृ प्रस्तुत करती है। सद्गुरु की त्वरित मेधा; अद्भुत वाक्पटुता और आधुनिक शद-संपदा से सज्जित यह पुस्तक आपके आध्यात्मिक उन्नयन का मार्ग प्रशस्त करेगी और आपके जीवन की दिशा बदल देगी।

Mansarovar Bhag 7: मानसरोवर भाग ७

by Premchand

प्रेमचंद ने 14 उपन्यास व 300 से अधिक कहानियाँ लिखीं। उन्होंने अपनी सम्पूर्ण कहानियों को 'मानसरोवर' में संजोकर प्रस्तुत किया है। इनमें से अनेक कहानियाँ देश-भर के पाठ्यक्रमों में समाविष्ट हुई हैं, कई पर नाटक व फ़िल्में बनी हैं जब कि कई का भारतीय व विश्व की अनेक भाषाओं में अनुवाद हुआ है। अपने समय और समाज का ऐतिहासिक संदर्भ तो जैसे प्रेमचंद की कहानियों को समस्त भारतीय साहित्य में अमर बना देता है। उनकी कहानियों में अनेक मनोवैज्ञानिक बारीक़ियाँ भी देखने को मिलती हैं। विषय को विस्तार देना व पात्रों के बीच में संवाद उनकी पकड़ को दर्शाते हैं। ये कहानियाँ न केवल पाठकों का मनोरंजन करती हैं बल्कि उत्कृष्ट साहित्य समझने की दृष्टि भी प्रदान करती हैं।

Agnirathi Niyam aur Dand: अग्निरथी: नियम और दण्ड

by Akash Pathak

अग्निरथी: नियम और दण्ड लेखक – आकाश पाठक नियमों के विरुद्ध मंत्र विद्या का प्रयोग करने के कारण कौस्तुभ को मिला है दंड। क्या एक अंतहीन मार्ग पर खड़ा कौस्तुभ अपने जीवन को एक नई दिशा दे पायेगा? वर्षाणों के आक्रमण से एक बार पुनः रक्तरंजित हो चुकी है उत्तराँचल की भूमि। अपने अतीत से जूझता अरिदमन क्या इन दुर्दांत हत्यारों को रोक पायेगा? विशाल मरुस्थल के गर्भ से निकला एक प्राचीन रहस्य जो एकद्वीप के वर्तमान और भविष्य पर है संकट। मरुभूमि में शिक्षा प्राप्त कर रहा शिखी किस प्रकार जुड़ा है इस रहस्य से? छल, क्रोध, माया, प्रेम और साहस से भरी अविस्मरणीय गाथा ‘सव्यसाची: छल और युद्ध’ का दूसरा भाग!

Zindaginama: ज़िन्दगीनामा

by Krishna Sobti

लेखन को जीवन का पर्याय माननेवाली कृष्णा सोबती की कलम से उतरा एक ऐसा उपन्यास जो सचमुच ज़िन्दगी का पर्याय है—ज़िन्दगीनामा। ज़िन्दगीनामा—जिसमें न कोई नायक। न कोई खलनायक। सिर्फ लोग और लोग और लोग। ज़िन्दादिल। जाँबाज़। लोग जो हिन्दुस्तान की ड्योढ़ी पंचनद पर जमे, सदियों गाज़ी मरदों के लश्करों से भिड़ते रहे। फिर भी फसलें उगाते रहे। जी लेने की सोंधी ललक पर ज़िन्दगियाँ लुटाते रहे। ज़िन्दगीनामा का कालखंड इस शताब्दी के पहले मोड़ पर खुलता है। पीछे इतिहास की बेहिसाब तहें। बेशुमार ताकतें। ज़मीन जो खेतिहर की है और नहीं है, वही ज़मीन शाहों की नहीं है मगर उनके हाथों में है। ज़मीन की मालिकी किसकी है ? ज़मीन में खेती कौन करता है ? ज़मीन का मामला कौन भरता है ? मुजारे आसामियाँ। इन्हें जकडऩों में जकड़े हुए शोषण के वे कानून जो लोगों को लोगों से अलग करते हैं। लोगों को लोगों में विभाजित करते हैं। ज़िन्दगीनामा का कथानक खेतों की तरह फैला, सीधा-सादा और धरती से जुड़ा हुआ। ज़िन्दगीनामा की मजलिसें भारतीय गाँव की उस जीवन्त परम्परा में हैं जहाँ भारतीय मानस का जीवन-दर्शन अपनी समग्रता में जीता चला जाता है। ज़िन्दगीनामा—कथ्य और शिल्प का नया प्रतिमान, जिसमें कथ्य और शिल्प हथियार डालकर ज़िन्दगी को आँकने की कोशिश करते हैं। ज़िन्दगीनामा के पन्नों में आपको बादशाह और फकीर, शहंशाह, दरवेश और किसान एक साथ खेतों की मुँडेरों पर खड़े मिलेंगे। सर्वसाधारण की वह भीड़ भी जो हर काल में, हर गाँव में, हर पीढ़ी को सजाए रखती है।

Mera Desh Mere Log: मेरा देश मेरे लोग

by Amit Khan

डॉक्टर मानिक शाह ने बेपनाह दौलत कमाने के लिये चीन जाने का फैसला किया, लेकिन वह फैसला डॉक्टर मानिक शाह को हद से ज्यादा महंगा पड़ा। कैदी बनकर रह गया मानिक शाह चीन में। उसे अपना देश, अपने लोग याद आने लगे। वो हिन्दुस्तान पहुँचने के लिये त्राहि-त्राहि कर उठा। और तब उसे हिन्दुस्तान वापस लाने के लिये कमांडर करण सक्सेना चीन जा पहुँचा। फिर जो कुछ हुआ, वो दहला देने वाला था। एक के बाद एक दिमाग की नसों को झंझोड़ देने वाली ऐसी हैरतअंगेज योजनायें, जो आपने पहले कभी हिन्दी के जासूसी उपन्यासों में नहीं पढ़ी होंगी। देशभक्ति के ज़ज्बे से भरा एक ऐसा शानदार उपन्यास- जो सिर्फ कहानी नहीं है, सिर्फ काल्पनिक दास्तान नहीं है बल्कि एक चिंगारी है। ऐसी ज़बरदस्त चिंगारी, जो हर गैरतमंद और वतनपरस्त हिन्दुस्तानी के दिल में लगकर शोला बन जाना चाहती है।

Bhagat Singh Aur Unke Sathiyon Ke Dastavez: भगतसिंह और उनके साथियों के दस्तावेज

by Jagmohan Singh Chaman Lal

भगत सिंह की विचारधारा और उनकी क्रान्तिकारिता के ज्वलन्त प्रमाण जिन लेखों और दस्तावेजों में दर्ज हैं, वे आज भी पूर्ववत् प्रासंगिक हैं, क्योंकि 'इस' आजादी के बाद भी भारतीय समाज उस आजादी से वंचित है, जिसके लिए उन्होंने और उनके असंख्य साथियों ने बलिदान दिया था। हिन्दी में पहली बार प्रकाशित यह कृति भगत सिंह के भावनाशील पत्रों, विचारोत्तेजक लेखों, ऐतिहासिक दस्तावेजों, वक्तव्यों तथा उनके साथियों और पूर्ववर्ती शहीदों की कलम से निकले महत्वपूर्ण विचारों की ऐसी प्रस्तुति है जो वर्तमान सामाजिक, राजनीतिक स्थितियों की बुनियादी पड़ताल करने में हमारी दूर तक मदद करती है। यह पुस्तक भगत सिंह की विचारधारात्मक भूमिका की समग्रतः हमारे सामने रखती है।

English Class Notes (Bilingual) - Neetu Singh - Competitive Exam

by Neetu Singh

A full course book of English notes for those who want to appear general exams - in English with explanations in Hindi - for English language learners. There are 34 chapters with illustrated examples and previous years questions from main general examinations for different posts.

Main Maseeha Nahin: मैं मसीहा नहीं

by Sonu Sood Meena K. Iyer

कभी-कभार ब्रह्मांड का कोई छोटा सा संकेत इंसान को उसके जीवन का उद्देश्य ढूँढ़ने में मदद कर देता है। अगर अभिनेता सोनू सूद एक मशहूर हस्ती के रूप में अपने शानो-शौकत से भरे जीवन को तवज्जो देते रहते और सिर्फ रिमोट कंट्रोल से अपनी उदारता दर्शाते, तो वह कभी भी भारत के प्रवासी मजदूरों के दर्द से रूबरू नहीं होते या कभी यह नहीं समझ पाते कि भोजन का महज़ एक पैकेट कभी भी किसी मजदूर को घर भेजे जाने के इंतज़ाम का विकल्प नहीं हो सकता। कोविड-19 महामारी के समय राष्ट्रव्यापी लॉकडॉन के दौरान जब गरीब मजदूरों के झुंड का झुंड अपने सुदूर गाँवों की तरफ रवाना हुआ, तो उनके माता-पिता का सिखाया हुआ सेवा का संस्कार सोनू सूद के अंदर जाग उठा और वे तुरंत हरकत में आ गए। उन्होंने सामने आकर मोर्चा संभाला और दुखी-पीड़ित लोगों के पास पहुँचे। उन्होंने समर्पित लोगों की टीम बनाई और देश और विदेश से भी लोगों को उनके घर लौटाने का इंतज़ाम किया। ऐसा करके उन्होंने हज़ारों असहाय और ज़रूरतमंद श्रमिकों की मदद की। इस तरह एक मानवतावादी मिशन के तौर पर उनका घर “भेजो अभियान” शुरू हुआ। इसके लिए उन्होंने चार्टर्ड फ्लाइट, बसों और ट्रेनों को सेनिटाइज़ करवाया और उसका ख़र्च वहन किया। दुनिया भर के लोगों से आ रही दुख भरी फोन कॉल्स को सुनने और जवाब देने का उन्होंने इंतज़ाम करवाया। जल्द ही वह अभियान नौकरी दिलवाने, चिकित्सा सुविधा मुहैया करवाने और श्रमिकों को शैक्षणिक सहायता मुहैया करवाने में तब्दील हो गया। फिल्मी पर्दे का वह खलनायक वास्तविक जीवन में लोगों के सामने एक कद्दावर नायक की तरह प्रकट हुआ। अपने संस्मरण मैं मसीहा नहीं (आई एम नो मसीहा का हिंदी अनुवाद) में सोनू सूद मोगा से मुंबई तक की अपनी असाधारण यात्रा अनुभवों को वरिष्ठ पत्रकार और लेखिका मीना के. अय्यर के शानदार लेखकीय कौशल के साथ प्रस्तुत कर रहे हैं। यह ईमानदार, प्रेरक और दिल को छूने वाली कहानी सोनू सूद की है और उन लोगों की है जिनके जीवन को वह लगातार परिवर्तित करने के अभियान में जुटे हुए हैं।

Urban Dhaba: अर्बन ढाबा

by Shaurya Bakshi

2013 के एक वीकेंड, IT सिटी बैंगलोर में सॉफ्टवेयर इंजीनियर निरपेश अलग नाश्ता करने की तलब में अपने इंजीनियरिंग कॉलेज की करीबी दोस्त नेहा के बताए कैफ़े, अर्बन ढाबा जाता है जहाँ उसकी मुलाक़ात उसके वूदमत आकाश से होती है। यह मुलाक़ात एक दिलचस्प मोड़ लेती है जब निरपेश आकाश को अपनी कॉरपोरेट लाइफ और नेहा के प्यार में जूझती ज़िन्दगी से रूबरू कराता है। निरपेश मन ही मन नेहा से प्यार करता है पर उसे इज़हार करने और अपनी ज़िंदगी में अचानक खोने से डरता है। उसकी रोज़ाना एक जैसी चलने वाली ज़िन्दगी में एक दम से भूकंप आता है जब नेहा का colleague रोहित उसे एक शाम प्रोपोज़ कर देता है और फिर इन्ही हालातों में खूबसूरत लड़की वाणी उसकी लाइफ में एक एक्टिंग वर्कशॉप के दौरान एंट्री मारती है और मन ही मन उसे चाहने लगती है। आकाश जो एक शौकिया लेखक है और जिसे एक इंटरेस्टिंग कहानी की तालाश है, उसको वह कहानी इत्तेफ़ाक़ से निरपेश के लाइफ में चल रहे उतार चढ़ाव में मिलती है। रोहित और नेहा के पनपते रिश्ते और वाणी का उसके प्रति झुकाव की टेंशन को महसूस करते हुए निरपेश एक दिन वाणी को अर्बन ढाबा लेकर आता है ताकि उसके साथ वह एक्टिंग वर्कशॉप के अंत में होने वाले प्ले का प्लाट डिसकस कर सके। वहाँ वाणी की मुलाक़ात आकाश से होती है जिसके बाद आकाश वाणी की खूबसूरती से घायल हो जाता है। इस मुलाक़ात के बाद वह अपने गुज़रे हुए कल और निरपेश वाणी नेहा और रोहित के रोज़ाना बढ़ रहे आपसी रिश्तों के तनाव को और गहरा कर देता है। क्या आकाश की काबलियत वाणी को इम्प्रेस कर पाती है? क्या निरपेश रोहित की पर्सनालिटी के जादू से नेहा को वापस अपनी तरफ खींच पाता है? क्या अर्बन ढाबा की हवाएँ इन सभी के जीवन का सही रुख तय कर पाएंगी?

Chinta Chhodo Sukh Se Jiyo: चिंता छोड़ो सुख से जियो

by Del Carnegi

जीवन में प्रत्येक व्यक्ति किसी-न-किसी चिंता से ग्रस्त है। चिंता कई प्रकार की होती है। जीवन है तो चिंता है। प्रत्येक चिंता का कोई-ना-कोई समाधान भी अवश्य होता है, लेकिन हम अपनी समस्याओं में इतना घिरे रहते हैं कि चिंता कर-करके परेशान होते रहते हैं। चिंता के साथ बहुत बुरी बात यह है कि यह हमारी एकाग्रता की शक्ति को खत्म कर देती है और स्वस्थ आदमी को भी बीमार बना सकती है। डॉ. अलेक्सिस कैरेल ने कहा था - 'जो चिंता से लड़ना नहीं जानते, वे जवानी में ही मर जाते हैं।' अगर आप चिंता रूपी कैंसर से बचना चाहते हैं, तो इस पुस्तक को अवश्य पढ़ें। इस पुस्तक में चिंता की समस्याओं का विश्लेशण कैसे करें और उन्हें कैसे सुलझायें, के व्यावहारिक जवाब दिए गए हैं। इन पर अमल करके आप न सिर्फ अपनी चिंता पर विजय पा सकते हैं, बल्कि खुश व स्वस्थ्य रहकर शांतिपूर्वक अपना जीवन भी जी सकते हैं। इस पुस्तक को पढ़े और चिंता पर विजय प्राप्त कर सुख से जीने का मूलमंत्र जानें। इससे पहले कि चिंता आपको खत्म करे, आप चिंता को खत्म कर दें...।

Dilip Kumar - Wajood Aur Parchhaien: दिलीप कुमार - वजूद और परछाईं

by Udaytara Nayar

“इस अनूठी पुस्तक में दिलीप कुमार की जन्म से लेकर अब तक की जीवन-यात्रा का वर्णन किया गया है। इस प्रक्रिया में उन्होंने स्पष्ट रूप से अपनी बातचीत और सम्बन्धों जो व्यापक स्तर पर विविध लोगों से रहे हैं और इनमें केवल पारिवारिक ही नहीं, अपितु फ़िल्मी दुनिया से जुडे़ लोगों के साथ-साथ राजनीतिज्ञ भी शामिल हैं- का स्पष्ट रूप से विस्तारपूर्वक वर्णन किया गया है। वह अनुभव करते हैं कि उनके बारे में जो बहुत कुछ लिखा जा चुका है, वह मिथ्या और भ्रामक है। वह स्पष्ट रूप से बताते हैं कि उन्होंने कैसे सायरा बानो से शादी की, जो कि एक परीकथा की तरह है।”

Bada Soche, Bada Kare: बड़ा सोचें, बड़ा करें

by Ankur Warikoo

अंकुर वारिकू प्रख्यात उद्यमी और कंटेंट क्रिएटर हैं। सफलता और असफलता, धन तथा निवेश, स्व-जागरूकता तथा निजी संबंधों पर उनके गंभीर, विलक्षण और ईमानदारी से भरे विचारों ने उन्हें भारत के शीर्ष पर्सनल ब्रांड्स में से एक बना दिया है। अपनी पहली पुस्तक में अंकुर वे महत्वपूर्ण विचार बताते हैं, जिन्होंने उनकी यात्रा को आगे बढ़ाया है। वे बताते हैं कि किस तरह वे स्पेस इंजीनियर बनना चाहते थे, लेकिन फिर ऐसी सामग्री तैयार करने लगे, जिसे लाखों लोगों ने देखा और पढ़ा है। उनके विचार बहुत प्रभावशाली हैं, जो दीर्घकालीन सफलता के लिए आदतें डालने का महत्व, धन प्रबंधन की बुनियाद का महत्व, असफलता को स्वीकार तथा अंगीकार करने का महत्व और परानुभूति सीखने के बारे में सच्चाई बताते हैं। इस पुस्तक को बार-बार पढ़ना चाहिए, क्योंकि इसकी विषय वस्तु आपको बार-बार सोचने के लिए प्रेरित करेगी। यह ऐसी किताब है, जिसे आप अपने परिवार वालों, मित्रों और अन्य लोगों को पढ़ने के लिए देना चाहेंगे। लेखक की अभिलाषा है कि यह सबसे ज़्यादा भेंट की जाने वाली पुस्तक बन जाए!

Main Samay Hoon: मैं समय हूँ

by Deep Trivedi

‘मैं समय हूँ’ यह पुस्तक बेस्टसेलर्स ‘मैं मन हूँ’, ‘मैं कृष्ण हूँ’ और ‘101 सदाबहार कहानियां’ के लेखक तथा स्पीरिच्युअल सायको-डाइनैमिक्स के पायनियर दीप त्रिवेदी ने लिखी है। मनुष्यजीवन को गहराई से समझने और समझाने वाले दीप त्रिवेदी ने विश्व की अंतिम और निर्णायक सत्ता समय के रहस्यों का अपनी किताब ‘मैं समय हूँ’ में रहस्योद्घाटन किया है। इस किताब में दीप त्रिवेदी ने घड़ी की सूइयों से परे समय के कई स्वरूपों का खुलासा किया है। यही नहीं, उन्होंने न सिर्फ इन सभी स्वरूपों की विस्तार से चर्चा की है, बल्कि उनके प्रभावों को भी समझाया है। इस किताब की सबसे विशेष बात यह कि लेखक ने इसमें इतनी सरल भाषा का उपयोग किया है जिससे कि एक सामान्य मनुष्य भी समय जैसी महासत्ता की पूरी कार्यप्रणाली आसानी से समझ सके। इस किताब में यह स्पष्ट होता है कि एक समय ही है जिस कारण न सिर्फ मनुष्य बल्कि यह पूरा ब्रह्मांड भी चलायमान है तथा मनुष्य के जीवन में घटने वाली तमाम ऊंच-नीच भी समय के ही अधीन है। अतः चाहे मनुष्यजीवन सरल बनाना हो या फिर ब्रह्मांड के गहरे रहस्य समझने हों, समय के गहरे स्वरूपों को समझे बिना इनमें से कुछ भी शक्य नहीं है। इसीलिए इस बात पर विशेष ध्यान देते हुए लेखक ने मनुष्यों को उनका बिगड़ा समय संवारने के कई सरल उपाय भी दिये हैं। यह बात तय है कि जो भी समय की ताल-से-ताल मिला लेगा, एक सुखी और सफल जीवन गुजारना उसका भाग्य हो जाएगा।

Healing Is The New High: हीलिंग इज द न्यू हाई

by Vex King

यदि आपने मेरी पहली पुस्तक, 'Good Vibes, Good Life' पढ़ी है, तो आप उच्च स्तर पर कंपन के महत्त्व को जानते होंगे। ‘Healing Is The New High', जिस पर मैंने कई वर्षों तक काम किया है, मैं आपको एक कदम और आगे ले जाकर आपको पूरी तरह ठीक करने में मदद करना चाहता हूँ, जिसकी कमी आपको आगे बढ़ने से रोक रही है। इनर हीलिंग हमारे अतीत की कंडीशनिंग को छोड़ने, अपने लिए एक नई व सशक्त विश्वास प्रणाली बनाने और भविष्य की अज्ञात बातों को इस विश्वास के साथ गले लगाने का कार्य है कि हम मजबूत और सक्षम हैं, फिर चाहे हमारा सामना किसी भी परिस्थिति से हो। इस पुस्तक को आप पढ़ने से महसूस कर सकेंगे की आप में आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ने की क्षमता है, और अपनी शक्ति और सामर्थ्य में आपका विश्वास अटल है।

Gandhi Aur Ambedkar: गांधी और आंबेडकर

by Ganesh Mantri

गांधी और आंबेडकर पर अनेक छोटे-बडे़ अध्ययन हुए हैं; किंतु अस्पृश्यों की सामाजिक स्थिति में परिवर्तन की दृष्टि से उनके विचारों और कार्यों का अध्ययन आंशिक रूप से ही हुआ है। प्रस्तुत अध्ययन का उद्देश्य अस्पृश्यता के परिप्रेक्ष्य में गांधी और आंबेडकर का समग्र रूप से तुलनात्मक विवेचन करना है। इस पुस्तक में इन दोनों महान् व्यक्तियों के जीवन-संदर्भों; विचारधाराओं; स्वतंत्रता-संग्राम के समय की सामाजिक-राजनीतिक प्रक्रियाओं का विश्लेषण करते हुए; भारत की वर्तमान परिस्थितियों में दोनों के विचार और कर्म की भूमिका तथा दलितों की वर्तमान स्थिति में इनकी प्रासंगिकता की खोज की गई है।

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