- Table View
- List View
NES-104 Bachchon Ke Samajik-Sanvegatmak Vikas me Margadarshan-1 - IGNOU
by Indira Gandhi Rashtriya Mukta Vishvavidyalayaएन ई एस – 104 संवृद्धी एवं विकास को सुगम बनाना खंड 1 इस पाठ्यक्रम में बच्चों की विशेष समस्याओं, जैसे बच्चों को प्यार, दुलार, स्नेह, मान्यता की आवश्यकता होती है। इन आवश्कताओं की पूर्ति बच्चों में सुरक्षा एवं आत्मविश्वास की भावना विकसित करती है। जब इन आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं होती है तो बच्चों में असुरक्षा की भावना जागृत होती हैं एवं बच्चा परिवेश से समायोजन करने के कौशल नहीं सीख पाता है। इस खंड में हम बच्चों की सामान्य आवश्यकताओं एवं विभिन्न संवेगात्मक एवं आचरण संबंधी समस्याओं के बारे में अध्ययन करेंगे।
NES-104 Bachchon Ke Samajik-Sanvegatmak Vikas me Margadarshan-2 - IGNOU
by Indira Gandhi Rashtriya Mukta Vishvavidyalayaएन ई एस – 104 संवृद्धी एवं विकास को सुगम बनाना खंड 2 इस पाठ्यक्रम में ‘बच्चो के सामाजिक-संवेगात्मक विकास में मार्गदर्शन’ में बच्चों की विशेष समस्याओं, जैसे वाक् दोष, अनुसूचित जनजाति के बच्चे एवं लड़कियों की सामाजिक और संवेगात्मक समस्याएँ आदी के बारे में जानकारी दि गई है। बच्चों के सामाजिक एवं संवेगात्मक समस्याओं का विश्लेषण, उनकी आत्मधारणा, अभिभावकों की प्रवृत्ति और सामाजिक पूर्वाग्रह का अध्ययन भी किया गया है।
Neta Jisko Koi Upadhi Nahi: नेता जिसको कोई उपाधि नहीं
by Robin Sharmaजीवन के हर क्षेत्र के पुरुष और महिलाएं अब अपने जीवन को बदलने के तरीके पर रॉबिन शर्मा की सलाह का उपयोग कर सकते हैं। शर्मा ने इस पुस्तक में दुनिया भर के नेताओं को दी गई सभी सलाहों को साझा किया है और दुनिया भर में और अधिक नेताओं को बनाने में मदद करने का प्रयास किया है। उनके सुझाव और सलाह लें और अपने कार्यस्थल पर हर किसी के आपके बारे में सोचने और देखने के तरीके को बदलें। यह आपके आस-पास के लोगों पर अच्छा प्रभाव डालने में भी आपकी मदद करेगा, चाहे वह घर पर हो या काम पर। अच्छा नेतृत्व कौशल प्राप्त करने से आपको अपने जीवन में हर चीज पर नियंत्रण पाने में मदद मिलेगी।
Netaji Subhash Chandra Bose
by Parveen BhallaNetaji Subhash Chandra Bose was born on 23rd Jan 1897, in Cuttack in a famous family.His father was Jankinath Bose, reputed advocate. His mother was Prabhavati Devi, who was a cultured and learned lady. She had full faith in Rama Krishna Paramhansa. His family originally hailed from Bengal.
Nibandh Nilay Competitive Exam
by SatyendraThis collection of essays has been made for the high level classes of universities. On the one hand, the continuous stages of the development of Hindi essays will be highlighted, on the other hand, the basic consciousness of the craft and essay mode of the essay will be clear. The journey of the updated essay from the Bharatendu era is no less interesting. The importance of 'ass' in English literature today is the same importance in Hindi essays. Hindi essay of the whole splendor of prose development is the only criterion. Keeping this in view, such important essays have been placed in this compilation which are worth assigning in the essay group.
Nihar
by Mahadevi VermaA collection of poems by one of the great poetesses of Hindi literature, Mahadevi Verma.
Nijdosh Darshan se Nirdosh!: निजदोष दर्शन से... निर्दोष!
by Dada Bhagwanपरम पूज्य दादाश्री का ज्ञान लेने के बाद, आप अपने भीतर की सभी क्रियाओं को देख सकेंगे और विश्लेषण कर सकेंगे। यह समझ, पूर्ण ज्ञान अवस्था में पहुँचने की शुरूआत है। ज्ञान के प्रकाश में आप बिना राग द्वेष के, अपने अच्छे व बुरे विचारों के प्रवाह को देख पाएँगे। आपको अच्छा या बुरा देखने की ज़रूरत नहीं है क्योंकि विचार परसत्ता है। तो सवाल यह है कि ज्ञानी दुनिया को किस रूप में देखतें हैं ? ज्ञानी जगत् को निर्दोष देखते हैं। ज्ञानी यह जानते हैं कि जगत की सभी क्रियाएँ पहले के किए हुए चार्ज का डिस्चार्ज हैं। वे यह जानते हैं कि जगत निर्दोष है। नौकरी में सेठ के साथ कोई झगड़ा या अपमान, केवल आपके पूर्व चार्ज का डिस्चार्ज ही है। सेठ तो केवल निमित्त है। पूरा जगत् निर्दोष है। जो कुछ परेशानियाँ हमें होती हैं, वह मूलतः हमारी ही गलतियों के परिणाम स्वरूप होती हैं। वे हमारे ही ब्लंडर्स व मिस्टेक्स हैं। ज्ञानी की कृपा से सभी भूलें मिट जाती हैं। आत्म ज्ञान रहित मनुष्य को अपनी भूले न दिखकर केवल औरों की ही गलतियाँ दिखतीं हैं। निजदोष दर्शन पर परम पूज्य दादाश्री की समझ, तरीके, और उसे जीवन में उतारने की चाबियाँ इस किताब में संकलित की गई हैं। ज्ञान लेने के बाद आप अपनी मन, वचन, काया का पक्ष लेना बंद कर देते हैं और निष्पक्षता से अपनी गलतियाँ खुद को ही दिखने लगती हैं, तथा आंतरिक शांति की शुरूआत हो जाती है।
Nirbuddhi Ka Raaj Kaaj
by Gopal DasThis book is a collection of old and well-known Indian folk tales. Writer Gopal Das read these stories in Indian antiquities and always wanted to have these in Hindi. Stories like these have expanded constructive and imagination of scores of Indian mass.
Nirmala: निर्मला
by Premchandमहिला-केंद्रित साहित्य के इतिहास में इस उपन्यास का विशेष स्थान है । इस उपन्यास की मुख्य पात्र 35 वर्षीय सुन्दर और खुशाल लड़की है । निर्मला नाम की लड़की का विवाह एक अधेड़ उम के व्यक्ति से कर दिया जाता है जिसके पूर्व पत्नी से तीन बेटे है। 'निर्मला का प्रेमचन्द्र के उपन्यासों की कडी में महत्त्वपूर्ण स्थान है । इसकी कथा के केन्द्र में निर्मला है, जिसके चारों ओर कथा भवन का निर्माण करते हुए असम्बद्ध प्रसंगों का पूर्णत: बहिष्कार किया गया है । इससे यह उपन्यास सेवासदन से भी अधिक सुग्रंथित एवं सुसंगठित बन गया है। इसे प्रेमचन्द का प्रथम 'यथार्थवादी' तथा हिन्दी का प्रथम 'मनोवैज्ञानिक उपन्यास' कहा जा सकता है। निर्मलाका एक वैशिष्ट्य यह भी है कि इसमें 'प्रचारक प्रेमचन्द' के लोप ने इसे न केवल कलात्मक बना दिया है।
Nirmala
by Munshi PremchandNirmala a novel by Premchand is based on the background of pre-independence. It narrates the tragic story of a young and vulnerable girl, named Nirmala. Severly torn by poverty, parents of Nirmala could not afford to pay the amount of dowry and she was married to an elderly widower, who had sons of Nirmala`s age. The nature as well as the circumstances bring the step son of widower closer. But the old man gets to know of the affair before anything could happen. The young man dies and brings a lot of inconveniences to Nirmala. The novel deals about the life and activities of Nirmala. Nirmala as a protagonist and as a victim conveys a sensitive issue, which communicates a sense of tragedy rather than moral disapproval. In a sense we can say that with Nirmala we can see a feminist inclination of Indian writing
Niyati Ko Chunauti: नियति को चुनौती
by Medha Deshmukh Bhaskaranजब नियति शिवाजी और उनकी मंज़िल के बीच आ कड़ी हुई भारतीय उपमहाद्वीप अंधकार से घिरा था। सत्रहवीं सदी निर्दयी युद्धों, निरंतर शोषण तथा धर्म के नाम पर आध्यात्मिक और शारीरिक प्रतारणा का युग रही। शिवाजी अपने समय से कहीं आगे की सोच रखने वाले योद्धा और विचारक थे। उनके उदय के साथ ही सवप्न ने भी जन्म लिया - मनुष्य के जीवन के लिए सम्मान और मर्यादा का स्वप्न, आर्थिक समानता और सशक्तिकरण का स्वपन। लेकिन नियति ने उनका साथ नहीं दिया, उनके लिए परिस्तिथियाँ प्रतिकूल थीं - उनके पास एक पतन की और बढ़ रही पराजित प्रजा के शिव कुछ न था। उन्हें मुग़ल साम्राज्य की शक्ति और पश्चिमी शक्तियों की नौसैनिक श्रेष्ठता से जूझना था। इस तरह, संघर्षरत विचारधाराओं और आपस में पूरी तरह से विपरीत नज़रियों का युद्ध छिड़ गया। सबसे प्राचीन सभ्यता का भविष्य दांव पर लगा था। आप उन महत्वपूर्ण घटनाओं के आरम्भ के साक्षी बनेंगे जिन्होंने सदियों को दहधा कर रख दिया, जिनकी गूँज आज भी इस उपमहाद्वीप को आक्रांत करती है।
One Indian Girl: वन इंडियन गर्ल
by Chetan Bhagatहाय, मैं राधिका मेहता हूँ और इसी हफ्ते मेरी शादी होने जा रही है। मैं एक इंवेस्टमेंट बैंक गोल्डमान साक्स के लिए काम करती हूँ। मेरी कहानी पढ़ने के लिए शुक्रिया। बहरहाल, मैं आपको एक बात बता देना चाहती हूँ। शायद आप मुझे बहुत ज़्यादा पसंद ना करें। क्योंकि: एक, मैं बहुत पैसा कमाती हूँ। दो, दुनिया की हर चीज़ को लेकर मेरे अपने विचार हैं। और तीन, इससे पहले मेरा एक बॉयफ्रेंड रह चुका है। ओके, एक नहीं शायद दो! अगर मैं लड़का होती तो आपको इन तमाम बातों से कोई तकलीफ नहीं होती। लेकिन चूँकि मैं लड़की हूँ, इसलिए ये तमाम बातें मुझे बहुत हरदिल अज़ीज़ तो नहीं ही बनाती होंगी, है ना? चेतन भगत लेखक की कलम से निकली एक शानदार कहानी, जो आधुनिक भारत की एक लड़की के नज़रिये से हमें बताती है कि आज प्यार, सपनों, कैरियर और फेमिनिज्म के क्या मायने हैं।
Operation Blue Star Ka Sach: ऑपरेशन ब्लू स्टार का सच
by Lieutenant General K. S. Brar"ऑपरेशन ब्लू स्टार का सच" पुस्तक लेफ्टिनेंट जनरल के. एस. बराड़ द्वारा लिखी गई है, जिन्होंने इस ऑपरेशन का नेतृत्व किया था। इस पुस्तक में उन्होंने 1984 में अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में चलाए गए ऑपरेशन ब्लू स्टार की घटनाओं, रणनीतियों, और इसके पीछे के सैन्य और राजनीतिक कारणों का विस्तृत विवरण दिया है। लेफ्टिनेंट जनरल के. एस. बराड़ ने अपनी इस पुस्तक में ऑपरेशन के दौरान के अनुभवों और चुनौतियों को स्पष्ट रूप से प्रस्तुत किया है, जिससे पाठकों को इस ऐतिहासिक घटना की गहन समझ प्राप्त होती है।
Operation Khukri: ऑपरेशन खुकरी
by Major General Rajpal Punia and Damini Puniaक्या आप जानते हैं कि अफ्रीका के जंगलों में भारतीय सेना के 233 जवान लगभग तीन महीने तक की घेराबंदी में फँस गए थे और उनके पास खाने को कुछ भी नहीं था? कैसे संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना का अभियान भारतीय तिरंगे के गौरव की रक्षा के लिए एक युद्ध में बदल गया? वर्ष 2000 की बात है। पश्चिम अफ्रीका का सिएरा लिओन बरसों के गृहयुद्ध से तबाह हो चुका था। संयुक्त राष्ट्र के हस्तक्षेप से भारतीय सेना की दो कंपनियों को संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना अभियान के अंतर्गत कैलाहुन में तैनात किया गया था। ‘ऑपरेशन खुकरी’ भारतीय सेना के सबसे सफल अंतरराष्ट्रीय अभियानों में से एक था। यह पुस्तक मेजर राजपाल पुनिया के प्रत्यक्ष अनुभवों की रोचक एवं सजीव प्रस्तुति है। मेजर पुनिया ने तीन महीने के गतिरोध और विफल कूटनीति के बाद इस अभियान को अंजाम दिया, और इस दौरान घात लगाकर बैठे आर.यू.एफ. से दो बार लंबा जंगल-युद्ध करने के बाद भी वे बिना नुकसान सभी 233 सैनिकों के साथ सुरक्षित लौट आए।
Othello
by William Shakespeare Divakar Prasad VidyarthiOne of the most horrific tragedies written by Shakespeare. The play grabs and holds us in hypnosis. Iago sets traps like an spider and Othello steadily becomes his prey. Othello kills his wife and then kills himself after finding that he was at fault.
Paanch Jasoos
by Shakuntala VermaIt is a story of five detective who are children and they all help the society to find the a child named Nikhil. I who has been kidnap.
Paap Punya: पाप पुण्य
by Dada Bhagwanपाप या पुण्य, जीवन में किये गए किसी भी कार्य का फल माना जाता है| इस पुस्तक में दादाश्री हमें बहुत ही गहराई से इन दोनों का मतलब समझाते हुए यह बताते है कि, कोई भी काम जिससे दूसरों को आनंद मिले और उनका भला हो, उससे पुण्य बंधता है और जिससे किसीको तकलीफ हो उससे पाप बंधता है| हमारे देश में बच्चा छोटा होता है तभीसे माता-पिता उसे पाप और पुण्य का भेद समझाने में जुट जाते है पर क्या वह खुद पाप-पुण्य से संबंधित सवालों के जवाब जानते है? आमतौर पर खड़े होने वाले प्रश्न जैसे- पाप और पुण्य का बंधन कैसे होता है? इसका फल क्या होता है?क्या इसमें से कभी भी मुक्ति मिल सकती है?यह मोक्ष के लिए हमें किस प्रकार बाधारूप हो सकता है? पाप बांधने से कैसे बचे और पुण्य किस तरह से बांधे?|||इत्यादि सवालों के जवाब हमें इस पुस्तक में मिलते है| इसके अलावा, दादाजी हमें प्रतिक्रमण द्वारा पाप बंधनों में से मुक्त होने का रास्ता भी बताते है| अगर हम अपनी भूलो का प्रतिक्रमण या पश्चाताप करते है, तो हम इससे छूट सकते है| अपनी पाप –पुण्य से संबंधित गलत मान्यताओं को दूर करने और आध्यात्मिक मार्ग में प्रगति करने हेतु, इस किताब को ज़रूर पढ़े और मोक्ष मार्ग में आगे बढ़े|
Paatdeyi
by Veenapani Mohanti Deepti PrakashStories in Paatdeyi are the result of the contemporary social conditions of the lower middle and middle classes in Odisha. Veenapani shows the deep understanding of the neglected sections of the society.
Padho To Aise Padho: पढ़ो तो ऐसे पढ़ो
by Vijay Agrawalसच्चे सुख की चाह में व्यक्ति को आत्म-साक्षात्कार की स्थिति प्राप्त करनी चाहिए। मानव मन अनंत संभावनाओं से भरा है। इन संभावनाओं को तभी महसूस किया जा सकता है जब हमारे पास पारंपरिक तरीकों से आगे बढ़ने की क्षमता है और अभी तक अप्रयुक्त, शायद हमारे मस्तिष्क की सुप्त क्षमता का लाभ उठा सकते हैं। यह पुस्तक अध्ययन करने के तरीके पर एक नया और वैकल्पिक दृष्टिकोण प्रदान करती है।One must attain a state of self-actualization in the pursuit of true happiness. The human mind is full of endless possibilities. These possibilities can only be actualized when we have the ability to step beyond conventional methods of thinking and leverage the yet untapped, perhaps even dormant potential of our brain. This book provides a new and alternative approach on how to study.
Padmini
by Pandit Damodar ShastriPandit Damodar has created this play based on the life of Queen Padmini who is a legend from Rajasthan.
Pahala Ghar(The First House)
by Jane Sahi'पहला घर' दो दोस्तों की कहानी है। वह अपने लिए एक घर बनाना चाहते थे। जो प्रत्येक मौसम में उन्हें सुरक्षित रखे। दोनों दोस्त हाथी,साँप, भैंस, मछली के बताये तरीकों से अपने लिए एक घर तैयार करते है। 'The first house' is the story of two friends. They wanted to make a home for themselves. Which should keep them safe in all seasons. They prepare their home with the help of elephants, snakes, buffalo, fish in their recommended ways.
Paiso Ka Vyavhaar (Granth): पैसों का व्यवहार (ग्रंथ)
by Dada Bhagwanहमारे जीवन में पैसों का अपना महत्व है। यह संसार पैसों और जायदाद को सबसे महत्वपूर्ण चीज मानता है। कुछ भी करने के लिए पैसा ज़रूरी है इसलिए लोगों को पैसों के प्रति अधिक प्रेम है। इसी कारण दुनिया में चारों और नैतिक या अनैतिक तरीके से अधिक से अधिक पैसा प्राप्त करने की लड़ाइयाँ हो रही हैं। पैसों और जायदाद के असमान बंटवारे को लेकर लोग परेशान हैं। इस भयंकर कलयुग में पैसों के बारे में नैतिक और ईमानदार रहना बहुत मुश्किल है ज्ञानी पुरुष परम पूज्य दादा भगवान ने पैसों की दुनिया को जैसा देखा है, वैसी दुनिया से संबंधित पैसे दान और पैसों के उपयोग से संबंधित खुद के विचार रखे हैं। उनके बताए अनुसार पैसे पिछले जन्मों के पुण्य का फल है जब आप औरों की मदद करते हैं तब आपके पास धन संपत्ति आती है, उसके बिना नहीं। जिन्हें दूसरों के साथ बांटने की इच्छा है उन्हें धन संपत्ति प्राप्त होती है। चार प्रकार के दान हैं - अन्न दान औषध दान, ज्ञान दान और अभय दान। पैसों के विज्ञान का विज्ञान नहीं समझने के कारण पैसों के लिए लोभ उत्पन्न हुआ है जिसके कारण जन्म के बाद जन्म होते रहते हैं। अतः इस पुस्तक को पढ़ें समझें और पैसों से संबंधित आध्यात्मिक विचार ग्रहण करें।
Paiso Ka Vyvahaar (Sanxipt): पैसों का व्यवहार (संक्षिप्त)
by Dada Bhagwanएक सुखी और अच्छा जीवन बिताने हेतु, पैसा हमारा जीवन का बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा है| पर क्या कभी आपने यह सोचा है कि, ‘ क्यों किसी के पास बहुत सारा पैसा होता है और किसी के पास बिल्कुल नहीं?’ परम पूज्य दादाजी का हमेशा से यही मानना था कि, पैसों के व्यवहार में नैतिकता बहुत ही ज़रूरी है| अपने अनुभवों के आधार पर और ज्ञान की मदद से वह पैसों के आवन-जावन, नफा-नुक्सान, लेन-देन आदि के बारे में बहुत ही विगतवार जानते थे| वह कहते थे कि मन की शान्ति और समाधान के लिए किसी भी व्यापार में सच्चाई और ईमानदारी के साथ नैतिक मूल्यों का होना भी बहुत ही ज़रूरी है| जिसके बिना भले ही आपके पास बुहत सारा धन हो पर अंदर से सदैव चिंता और व्याकुलता ही रहेगी| अपनी वाणी के द्वारा दादाजी ने हमें पैसों के मामले में खड़े होने वाले संघर्षों से कैसे मुक्त हो और किस प्रकार बिना किसी मनमुटाव के और ईमानदारी से, अपना पैसों से संबंधित व्यवहार पूरा करे इसका वर्णन किया है जो हम इस किताब में पढ़ सकते है|
Palasi se Vibhajan Tak: Adhunik bharat ka itihas
by Shekhar BandhyopadhyayThis is the history of India under British rule. It is more concerned with the people rather than the rulers. It gives a beautiful description as to how a nation was emerging even in the presence of lots of contradiction. The writer has adopted innovative way of writing history and most of the time he is on middle path. This is an authentic description of ups and down of Indian nationalism
Panchali: पाञ्चाली
by Shachi Mishraद्रौपदी, नारी की सशक्त गाथा है। हज़ारों वर्षों से स्त्री, टुकड़ों-टुकड़ों में द्रौपदी को जी रही है... कहीं वह अपमान और लांछना सहती है, तो कहीं पुरुष के भीतर की ऊर्जा बनती है। कहीं त्याग से उसके उत्थान की सीढ़ी बनती है, तो कहीं पुरुष के अहं के आगे विवश हो जाती है। पाँच पुरुषों को वरण करने वाली द्रौपदी, अपने पतियों के कारण कुरु-सभा में अपमानित हुई, उसके उपरांत भी उसने 'वरदान' शब्द में लिपटी दया के माध्यम से उनको दासता से मुक्त करवाया और उनके अस्तित्व, स्वाभिमान और शक्ति की रक्षा के लिए ऊर्जा प्रदान करती वन-वन भटकती रही। पंच-पतियों के प्रति सेवा, भाव, निष्ठा और कर्तव्य-निर्वाह के कारण जहाँ एक ओर सती के आसन पर विराजमान हुई... वहीं पंच-पति वरण के कारण एक युग के पश्चात् भी व्यंग्य, विद्रुप का पात्र बनी रही। विचित्र है उसका जीवन; किन्तु विचित्रता और अंतर्विरोध के बीच वह सदैव विशिष्ट रही। कृष्ण उस युग-पुरुष के लिए किस कन्या के हृदय में आकर्षण नहीं रहा होगा... फिर कृष्णा कैसे अपवाद रहती। नियति ने भी तो नाम को माध्यम बना दिया था। कृष्णा और कृष्ण के अलौकिक प्रेम और सख्यभाव को कुरु-सभा में अपमान के साथ उद्धृत किया गया, किन्तु उस प्रीति का निर्वाह भी उसी सभा में ही हुआ। जब सारा लौकिक जगत् बहरा हो गया था, तब सैकड़ों कोस दूर, उसी अलौकिक प्रीति ने उसकी पुकार को सुना और उसके सम्मान की रक्षा की। सख्यभाव और निकट हृदय-संबंध का दूसरा उदाहरण इस लौकिक जगत् में अन्यत्र नहीं दिखाई देता है और यही प्रीति पाज्चाली के हृदय की ऊर्जा का स्रोत भी रही।