- Table View
- List View
Ruk Jana Nahi: रुक जाना नहीं
by Atul Prabha'रुक जाना नहीं।' यह कहानी है बड़े होते हुए तीन स्कूली छात्रों की। उनके सपनों की और उनके संघर्षों की। उनकी बदलती हुई दुनिया की। असल में यह कहानी भारत के पिछले पाँच दशकों की सच्ची दास्ताँ भी है। समर, वीना और अनुज एक ही साल में पैदा हुए, एक ही स्कूल में पढ़े पर फिर कई दशकों तक एक दूसरे से नहीं मिले। इतने अर्से के बाद जब वो मिले तो लगा जैसे ज़िन्दगी ने बूमरेंग किया हो। पचास साल के इस सफ़र में अलग-अलग पड़ाव तय करते-करते, वो फिर उसी मोड़ पर आ खड़े हुए जहाँ उन तीनों को ही ज़िन्दगी फिर से शुरु करनी थी। यह एक नई दुनिया थी और एक सर्वथा नई लड़ाई जो उन्हें लड़नी ही थी। पर वो न ही हिम्मत हारे और न ही घबराए। उन्होंने नई बदलती दुनिया से तालमेल फिर से बैठाया। ज़िन्दगी के लगभग अंतिम पड़ाव में उन्होंने जाना कि वो तीनों असल में एक फाइटर हैं।
Rumniya
by Rukmini Banerjiरुमनिमा आणि आजी ही मजेदार जोडी आहे, कारण त्यांना माहीत आहे शेवटी सगळं ठीकठाक होते. रुमनियाची ही सुंदर गोष्ट वाचा!
Rupa Haathi
by Micky Patelयह कहानी एक हाथी की है। वह अपने आप को बदसूरत महसूस करता है इसलिए वह अपने रंग को बदलना चाहता है। This story belongs to an elephant. She feels herself ugly so she wants to change her color.
Rusi Aur Pusi
by V. Suteyev“रूसी और पूसी”दो दोस्त एक छोटी लड़की (रूसी) और बिल्ली (पूसी) की कहानी है। एक दिन रूसी ने पूसी के लिए एक घर की तस्वीर बनाई। पूसी उसमें अपनी पसन्दीदा चीज़ें बनवाती गई। आखिर में उसके घर की रखवाली के लिए कुत्ते का चित्र देखकर पूसी नाराज हो जाती है और उस घर में रहने को मना कर देती है।‘Rusi and Pusi’ is the story of two friends girl (Rusi) and Cat (Pusi). One day the Rusi built the picture of a house for the Pusi. Pusi built its own favorite things. After seeing the picture of the dog to guard his house Pusi got angry and refused to live in that house.
Saadat Hasan Manto ki Char Kahaniyan
by Saadat Hasan MantoA classic collection of Saadat Hasan Manto stories.they combine the psychoanalysis and human behaviour.
Saahity Sujas Bhag 2 class 12 - RBSE Board: साहित्य सुजस भाग 2 कक्षा 12 - आरबीएसई बोर्ड
by Madhyamik Shiksha Board Rajasthan Ajmerसाहित्य सुजस भाग 2 कक्षा 12वी का यह पुस्तक माध्यमिक शिक्षा बोर्ड राजस्थान, अजमेर ने हिंदी भाषा में प्रकाशित किया है। इस पाठ्यपुस्तक में राजस्थानी साहित्य के बारे में विस्तार से बताया गया है। इस पुस्तक में गद्य, पद्य, व्याकरण, राजस्थानी भाषा, साहित्य और संस्कृति का दर्शन होता है।
Saalok - Devtao Ka Sabse Bada Dar: सालोक: देवताओं का सबसे बड़ा डर
by Saket Kumarसालोक-एक ऐसा अस्त्र जिसका रहस्य ब्रहमा, विष्णु तथा महादेव ने लाखों वर्षो से अपने अंदर छिपा कर रखा था किंतु ये राज अब कलियुग जान चुका है और इससे पहले की इन्द्र तथा बाकि देवताओं को ये बात पता चले उससे पहले ही विष्णु और महादेव को बचाना होगा 'सालोक' को कलियुग से। क्योंकि 'सालोक' मिलने का अर्थ है देवताओ का अंत और अगर देवताओ को ये बात पता चली तो वो खुद को बचाने के लिये पृथ्वी का सर्वनाश कर देंगे। पृथ्वी का सर्वनाश!! यानि इंसानो को सर्वनाश! किंतु जिस इंसानो से विष्णु तथा महादेव इतना प्रेम करते है वो भला ऐसा कैसे होने देंगे। विष्णु के सामने एक कठिन चुनौती है ना वो देवताओ को मरने दे सकते है और ना ही इंसानो का साथ छोड़ सकते है और साथ ही उन्हे खत्म करना है कलियुग को भी। और आज महादेव के सुझाव से लेने जा रहे है वो अपना दसंवा अवतार किंतु ऐसा करते ही वो कलियुग तथा ब्रहमा के बीच हुये समझौते को तोड़ देगें और जिसका अर्थ है इंसानो की मौत। कैसे तोड़ेगें इस चक्रव्युह को विष्णु? और कैसे जन्म लेगा उनका दसंवा अवतार? कैसे आयी पृथ्वी पर सालोक? कौन सी शक्तियां है सालोक में जिसने त्रिदेवों को भी चिंता मे डाल दिया है और कैसे पता चला कलियुग को सालोक के बारे मे? सालोक के इस पुस्तक में परत दर परत खुलते इन सभी रहस्यो के साथ ही जिक्र है किवदंती बन चुके उन देवों का तथा उन शापित इंसानो का जो हजारों सालो से छुप कर रह रहें है किंतु अब उन्हे भी बाहर आना ही होगा। और वे आयेंगे विष्णु के दसंवे अवतार के आवाहन पर। क्योंकि विष्णु भी ये समझ चुके है की उनके सभी अवतार ने अपने अपने युगो मे पैदा हुये दुष्टों को खात्मा किया है किंतु इस बार उनका सामना हुआ है खुद एक युग से कलियुग से।
Saat Suraj Sattavan Tare
by Suryanath Singh Mishtuni ChaudhariThis book is written by Suryanath Singh and Mishtuni Chaudhari. In this book there are many characters and they are discussed about planet, Satrangi mountain, Aerostet cave and old photographs of the planet.
Saaye Me Dhoop TYBA Sixth Semester - SPPU: साये में धूप टी.वाय.बी.ए. सेमिस्टर ६ - सावित्रीबाई फुले पुणे यूनिवर्सिटी
by Dushyant Kumarजिंदगी में कभी-कभी ऐसा दौर आता है जब तकलीफ गुनगुनाहट के रास्ते बाहर आना चाहती है ! उसमे फंसकर गेम-जाना और गेम-दौरां तक एक हो जाते हैं ! ये गजलें दरअसल ऐसे ही एक दौर की देन हैं ! यहाँ मैं साफ़ कर दूँ कि गजल मुझ पर नाजिल नहीं हुई ! मैं पिछले पच्चीस वर्षों से इसे सुनता और पसंद करता आया हूँ और मैंने कभी चोरी-छिपे इसमें हाथ भी आजमाया है ! लेकिन गजल लिखने या कहने के पीछे एक जिज्ञासा अक्सर मुझे तंग करती रही है और वह है कि भारतीय कवियों में सबसे प्रखर अनुभूति के कवि मिर्जा ग़ालिब ने अपनी पीड़ा की अभिव्यक्ति के लिए गजल का माध्यम ही क्यों चुना ? और अगर गजल के माध्यम से ग़ालिब अपनी निजी तकलीफ को इतना सार्वजानिक बना सकते हैं तो मेरी दुहरी तकलीफ (जो व्यक्तिगत भी है और सामाजिक भी) इस माध्यम के सहारे एक अपेक्षाकृत व्यापक पाठक वर्ग तक क्यों नहीं पहुँच सकती ? मुझे अपने बारे में कभी मुगालते नहीं रहे ! मैं मानता हूँ, मैं ग़ालिब नहीं हूँ ! उस प्रतिभा का शतांश भी शायद मुझमें नहीं है ! लेकिन मैं यह नहीं मानता कि मेरी तकलीफ ग़ालिब से कम हैं या मैंने उसे कम शिद्दत से महसूस किया है ! हो सकता है, अपनी-अपनी पीड़ा को लेकर हर आदमी को यह वहम होता हो..लेकिन इतिहास मुझसे जुडी हुई मेरे समय की तकलीफ का गवाह खुद है ! बस..अनुभूति की इसी जरा-सी पूँजी के सहारे मैं उस्तादों और महारथियों के अखाड़े में उतर पड़ा !
Sabhi Ke Liye Yoga
by B. K. S. IyengarYoga, meditation and worship renowned Yogacharya. The first book on the subject published in Hindi by Iyengar yoga. It is no exaggeration to say that yoga is different from the traditions, the book written on the subject, such as wide. The yoga purely for their Suddhacrn, their bits, according to the body's deficiencies and disease-related issues, etc. In relation to the selection of yoga elaborated intuitive guidance, as is simple and understandable. Microscopic analysis of yoga and yoga, which is useful for readers of all age groups.
Sachin Tendulkar - Meri Atmakatha: सचिन तेंदुलकर - मेरी आत्मकथा
by Sachin Tendulkarक्रिकेट के इतिहास में सबसे ज़्यादा रन बनाने वाले सचिन तेंदुलकर शिखर पर 24 अद्भुत वर्ष बिताने के बाद 2013 में रिटायर हो गए। अब तक के सबसे मशहूर भारतीय क्रिकेटर सचिन को भारत रत्न पुरस्कार - भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान उनके रिटायरमेंट के दिन मिला। अब सचिन तेंदुलकर अपनी खुद की उल्लेखनीय कहानी बता रहे हैं- 16 साल की उम्र में पहले टेस्ट से लेकर उनके 100वें अंतरराष्ट्रीय शतक तक और उस भावनात्मक अंतिम विदाई तक, जिसने उनके देश को थाम सा दिया था। जब मुंबई के एक शरारती बच्चे की अतिरिक्त ऊर्जा को क्रिकेट की और मोड़ा गया, तो परिणाम स्कूली बल्लेबाज़ी के रिकॉर्डतोड़ कीर्तिमान के रूप में सामने आए, जिससे एक ऐतिहासिक क्रिकेट करियर शुरू हुआ। जल्द ही सचिन तेंदुलकर भारतीय बल्लेबाज़ी की बुनियाद बन गए और क्रिकेट को समर्पित देश के दीवाने लोग उनके खेल को ग़ौर से देखने लगे। किसी क्रिकेटर से कभी इतनी ज़्यादा उम्मीदें नहीं की गईं; किसी क्रिकेटर ने कभी इतने उच्च स्तर पर इतने लंबे समय तक और इतनी बढ़िया शैली में प्रदर्शन नहीं किया- उन्होंने किसी भी दूसरे खिलाड़ी से ज़्यादा रन और शतक बनाए हैं, टेस्ट मैचों में भी और एक दिवसीय मैचों में भी। उनकी मशहूर शख़्सियत के बावजूद, सचिन तेंदुलकर हमेशा बहुत निजी इंसान रहे हैं, अपने परिवार तथा देश के प्रति समर्पित। वे पहली बार अपने व्यक्तिगत जीवन के बारे में विस्तार से रोचक जानकारी दे रहे हैं और एक अनूठे खेल जीवन का सच्चा व सरस वर्णन पेश कर रहे हैं।
Sadguru: सद्गुरु
by Arundhathi Subramaniamयह पुस्तक सद्गुरु की प्रेरणागाथा है- वह असाधारण दिव्यपुरुष; जो युवावस्था में ही ईश्वर को जानने के लिए तत्पर हो उठे; मोटरसाइकिलों का शौकीन; जो जीवन के रहस्य खोजने के लिए उद्यत हो उठे; संशयवादी होने के बावजूद आध्यात्मिक सत्पुरुष बन गए। बाल्यकाल में जग्गी वासुदेव (जो अब सद्गुरु के नाम से वियात हैं) उच्छृंखल स्वभाव के थे; कक्षा छोड़कर भाग जाना; हुड़दंग करना; चुहलबाजी करना उनकी प्रकृति में था; बाद में उन्हें मोटरसाइकिल और रेसिंग गाडि़यों का शौक हो गया। उनकी आध्यात्मिक यात्रा में इस तेजी और तत्परता को सहज ही अनुभव किया जा सकता है। ऐतिहासिक ‘ध्यानलिंग’ की स्थापना किसी जिद्दी; हठधर्मी व्यति के द्वारा ही किया जाना संभव था; और सद्गुरु ने वह कर दिखाया। सद्गुरु का विश्वास है कि आस्था; आध्यात्मिकता और विज्ञान एक-दूसरे से जुडे़ हैं। इनके समन्वय मात्र से ही मानव का कल्याण होगा; सद्गुणों के विकास के लिए प्रत्येक व्यति को सतत सक्रिय होना होगा। सद्गुरु के साथ लंबी बातचीत और उनके अनुयायियों तथा शिष्यों के साथ साक्षात्कारों के आधार पर अरुंधती सुब्रह्मण्यम द्वारा तैयार की गई यह पुस्तक एक जीवंत किंवदंती ‘सद्गुरु’ का जीवनवृ प्रस्तुत करती है। सद्गुरु की त्वरित मेधा; अद्भुत वाक्पटुता और आधुनिक शद-संपदा से सज्जित यह पुस्तक आपके आध्यात्मिक उन्नयन का मार्ग प्रशस्त करेगी और आपके जीवन की दिशा बदल देगी।
Safalta Prapti Ke Swarnim Sutra: सफलता प्राप्ति के स्वर्णिम सूत्र
by Sudhir Dixitहम सभी को सदा प्रेरणा और प्रोत्साहन की ज़रुरत होती है। हमारे आस-पास ऐसे बहुत कम लोग होते हैं, जो यह काम नियमित रूप से कर सकें। यह पुस्तक आपको प्रेरित करने के लिए ही लिखी गई है, और वह भी तुरंत। सफलता के ये प्रेरणादायी कथन सभी महत्वाकांक्षी लोगों के लिए उपयोगी हैं, लेकिन ये उन क्षेत्रों से जुड़े लोगों के लिए ज़्यादा उपयोगी हैं, जहाँ प्रेरणा और प्रोत्साहन की ज़रुरत अधिक होती है- जैसे सेल्स, प्रबंधन, व्यवसाय, करियर, फ्रीलान्सिंग, नेतृत्व, नेटवर्क मार्केटिंग आदि। पुस्तक में शामिल कुछ प्रेरक कथन: सच्ची सफलता के लिए खुद को ये चार सवाल पूछें - क्या? क्यों नहीं? मैं क्यों नहीं? अभी क्यों नहीं? जीवन के दो नियम होते हैं - कभी कोशिश मत छोड़ो और हमेशा इस बात को याद रखो। आप किसी को सीढ़ी पर तब तक ऊपर नहीं चढ़ा सकते जब तक कि वह खुद न चढ़ना चाहे। लीडर के रूप में उत्साही बनें। आप गीली दिया- सिलाई से आग नहीं जला सकते। औसत सेल्समैन एक साल में एक पुस्तक भी नहीं पढ़ता है, इसलिए वह औसत सेल्समैन रहता है। अपने काम को बेहतर तरीके से करें, मलाई अपने आप ऊपर आ जाएगी। ग्राहक आपके नहीं, उनके कारणों से ख़रीदते हैं। आपकी पोशाक आपके बोलने से पहले ही बोल देती है।
Safed Ghora
by Amarendra Chakravortyइस कहानी में बिजू नाम का एक बालक है। वह अपने सफेद घोड़े से बहुत प्यार करता है। उसके घोड़े को मल्लिकापुर के राजा अपनी बेटी के लिए खरीदना चाहते है। लेकिन बिजू मना कर देता है। सुबह होने से राजमहल के सिपाही बिजू और उसके घोड़े पर आक्रमण करते है। बिजू किसी भी स्थिति में अपने घोड़े को छोड़ना नहीं चाहता है। इसलिए राजाबाबू के सिपाही और बिजू के बीच लंबे समय तक युद्ध होता है अंत में राजा बाबू बिजू को उसका घोड़ा वापस कर देता है और अपनी बेटी का बिजू से विवाह कर देता है। इस प्रकार यह बच्चों के लिए एक रोचक कहानी है।In this story, there is a child named Biju. She loves her white horse a lot. The king of Mallikapur wants to buy his horse for his daughter. But Biju refuses. Since morning, the soldiers of Rajmahal attack Biju and his horse. Biju does not want to leave his horse in any situation. Therefore, there is a long war between Rajababu's soldiers and Biju, finally King Babu returns his horse to Biju and marries his daughter with Biju. Thus it is an interesting story for children.
Sahajta: सहजता
by Dada Bhagwanमोक्ष किसे कहते हैं? खुद के शुद्धात्मा पद को प्राप्त करना | जो कुदरती रूप से स्वाभाविक हैं, जो सहज हैं| क्योंकि कि कर्मबंधन और अज्ञानता के कारण हमें अपने शुद्ध स्वरुप का ज्ञान नहीं हैं जो स्वाभाव से ही सहज हैं, शुद्धात्मा हैं | तो सहजता किस प्रकार प्राप्त करनी चाहिए ? ज्ञानीपुरुष के पास उसका उपाय हैं और ऐसे महान ज्ञानीपुरुष, दादाश्री ने हमें सहजता प्राप्त करने की चाबियाँ दी हैं | उन्होंने हमें अपने शुद्ध स्वरुप का परिचय कराया(आत्मज्ञान दिया) | मूल आत्मा तो सहज ही हैं, शुद्ध ही हैं | लोग इमोशनल (असहज) हो जाते हैं, क्योंकि उनके विचार, वाणी और वर्तन (मन-वचन-काया) के साथ तन्मयाकार हो जाते हैं | उसे अलग रखने से और उसका ज्ञाता-द्रष्टा रहने से आप सहजता प्राप्त कर सकेंगे | एक बार ज्ञान प्राप्त करने (ज्ञानविधि द्वारा) के बाद खुद का शुद्धात्मा (जो सहज हैं और रहेंगा) जागृत हो जाता हैं फिर, मन-बुद्धि-अहंकार शरीर की सहज स्थिती प्राप्त करने के लिए दादाश्री ने पाँच आज्ञाएँ दी हैं | प्रस्तुत संकलन में दादाश्रीने सहजता का अर्थ, सहज स्थिति में विक्षेप के कारणों, हम ज्ञाता-द्रष्टा रहकर सहजता किस प्रकार प्राप्त करें इन सभी का संपूर्ण विज्ञान दिया हैं | इस पुस्तक का पठन हमें अवश्य ही सहज स्वरुप बनाएगा और शांतिपूर्ण जीवन के तरफ ले जाएगा |
Sahas Ka Putla
by Mark TwainThe Adventures of Tom Sawyer का हिन्दी रूपातरंण अमेरिका के महान उपन्यासकार मार्क ट्वेन के प्रसिद्ध उपन्यास The Adventures of Tom Sawyer का ही यह नया रूप है ‘साहस का पुतला टाॅम’। इसमें बहादुर टाॅम की रोचक, मनोरंजक और साहसी से भरी चमत्कारी कहानी है। टाॅम अपनी धुन का धनी था और उसके मित्रों की टोली भी। वे ख़ज़ाने की खोज में निकल पड़े, फिर क्या हुआ, पढि़ए और मजस लीजिए टाॅम के जोखिम भरे कारनामों का। बच्चों और किशोरों के लिए दुनिया के महान लेखकों के क्लासिक उपन्यास छोटे रूप में। बहुत आसान और रोचक इतने कि एक बार पढ़ने बैठे, तो पूरा करके ही उठें। कहानी को जानदारबनाने वाले चित्रों की सुंदर सज्जा भी है।
Sahayak Vachan class 8 - SCERT Raipur - Chhattisgarh Board: सहायक वाचन ८वीं कक्षा - एस.सी.ई.आर.टी. रायपुर - छत्तीसगढ़
by Rajya Shaikshik Anusandhan Aur Prashikshan Parishad Raipur C. G.पाठ्य सामग्री का चुनाव छात्रों की मानसिक क्षमता व रूचि को ध्यान में रखकर किया गया है। केन्द्रित शिक्षाक्रम में सम्मिलित मूल्यों के समावेश का पाठों के चयन में विशेष ध्यान रखा गया है। कक्षा 8वीं में अध्ययनरत् विद्यार्थियों के लिए इस पुस्तक को विषय 'हिन्दी - छत्तीसगढ़ भारती' में सहायक पुस्तक के रूप में स्वीकृत किया गया है, इससे बच्चों में पठन, वाचन, तर्क एवं चिंतन क्षमता विकसित होगी। प्रत्येक पाठ के अन्त में विस्तृत प्रश्न और अभ्यास दिए गए है जिनसे छात्रों को पठित वस्तु को समझने, उस पर विचार करने की योग्यता और भाषा का प्रभावी प्रयोग करने में सहायता मिलेगी व क्रियात्मक अभ्यासों की गतिविधियाँ करने से भाषाई दक्षताओं का विकास हो सकेगा। पुस्तक के अन्त में शब्दार्थ भी दिए गए हैं। भाषा शिक्षण का मुख्य उद्देश्य छात्रों को ज्ञान और आनन्द की प्राप्ति हो। यह एक संकलित दस्तावेज है और दस्तावेजों (पुस्तक) में प्रयुक्त शब्दों में बदलाव नही किया जा सकता है, अतः माननीय न्यायालय के निर्णय का सम्मान करते हुए दस्तावेज में प्रयुक्त मूल शब्दों के साथ ही इसे मुद्रित कराया गया है।
Sahitya Mimansha
by Kishoridas BajpeyiIn this book of Sahitya Mimansha, the writer has described the Rasas of the Hindi Literature. He has also described the Alankaras in it.
Samaj Ka Bodh 1 class 11 - NCERT - 23: समाज का बोध ११वीं कक्षा - एनसीईआरटी - २३
by Rashtriy Shaikshik Anusandhan Aur Prashikshan Parishadसमाज का बोध कक्षा 11 वीं का राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद् ने पुस्तक हिंदी भाषा में प्रकाशित किया गया है, इस पुस्तक में हम सामाजिक संरचना, सामाजिक स्तरीकरण एवं सामाजिक प्रक्रियाओं की अवधारणाओं को जानकर इस संबंध को बेहतर तरीके से समझने का प्रयास करेंगे। हम यह समझने का प्रयास करेंगे कि व्यक्ति समूहों की सामाजिक संरचना में कहाँ स्थान पाते हैं और वे किस तरह कार्य करते और सामाजिक प्रक्रियाओें को प्रवर्तित करते हैं। वे किस प्रकार सहयोग, प्रतियोगिता और संघर्ष करते हैं? वे भिन्न प्रकार के समाज में सहयोग, प्रतियोगिता और संघर्ष भिन्न प्रकार से क्यों करते हैं? समाजशास्त्र के मूल प्रश्नों के उपागम को आगे बढ़ाते हुए पहली पाठ्यपुस्तक में हमने इन प्रक्रियाओं को उनके स्वाभाविक और अपरिवर्तनीय रूप में नहीं देखा पर उन्हें सामाजिक रूप में बनते हुए देखा। हम उदारवादियों की इस व्याख्या को स्वीकार नहीं करते कि मानव स्वभाव से ही प्रतियोगी और संघर्ष प्रवृत्ति का होता है।
Samaj Ka Bodh class 11 - NCERT: समाज का बोध 11वीं कक्षा - एनसीईआरटी
by Rashtriy Shaikshik Anusandhan Aur Prashikshan Parishadसमाज का बोध कक्षा 12 वीं का राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद् ने पुस्तक हिंदी भाषा में प्रकाशित किया गया है, इस पुस्तक में हम सामाजिक संरचना, सामाजिक स्तरीकरण एवं सामाजिक प्रक्रियाओं की अवधारणाओं को जानकर इस संबंध को बेहतर तरीके से समझने का प्रयास करेंगे। हम यह समझने का प्रयास करेंगे कि व्यक्ति समूहों की सामाजिक संरचना में कहाँ स्थान पाते हैं और वे किस तरह कार्य करते और सामाजिक प्रक्रियाओें को प्रवर्तित करते हैं। वे किस प्रकार सहयोग, प्रतियोगिता और संघर्ष करते हैं? वे भिन्न प्रकार के समाज में सहयोग, प्रतियोगिता और संघर्ष भिन्न प्रकार से क्यों करते हैं? समाजशास्त्र के मूल प्रश्नों के उपागम को आगे बढ़ाते हुए पहली पाठ्यपुस्तक में हमने इन प्रक्रियाओं को उनके स्वाभाविक और अपरिवर्तनीय रूप में नहीं देखा पर उन्हें सामाजिक रूप में बनते हुए देखा। हम उदारवादियों की इस व्याख्या को स्वीकार नहीं करते कि मानव स्वभाव से ही प्रतियोगी और संघर्ष प्रवृत्ति का होता है।
Samaj se prapat Brahmcharya (Purvardh): समझ से प्राप्त ब्रह्मचर्य (पूर्वार्ध)
by Dada Bhagwanप्रत्येक मनुष्य में आत्मा को पहचानकर अपना आत्यंतिक कल्याण (मोक्ष प्राप्ति) करने की शक्ति होती है| लेकिन, इस मार्ग में विषय सब से बड़ा बाधक कारण बन सकता है| सिर्फ प्रत्यक्ष ज्ञानीपुरुष ही विषय आकर्षण के पीछे रहे विज्ञान को समझाकर उसमें से निकलने में हमारी सहायता कर सकते हैं| प्रस्तुत पुस्तक में पूज्य दादाश्री ने विपरीत लिंग के प्रति होते आकर्षण के इफेक्ट और कॉज़ का वर्णन किया हैं | उन्होंने यह बताया है कि विषय–विकार किस प्रकार से जोखमी हैं - वे मन और शरीर पर किस तरह विपरित असर डालते हैं और कर्म बंधन करवाते हैं| प्रस्तुत पुस्तक के खंड-१ में मूल रूप से आकर्षण- विकर्षण के सिद्धांत का वर्णन किया गया है और साथ ही यह आत्मानुभव में किस प्रकार से बाधक है और ब्रम्हचर्य के माहात्मय के प्रति समर्पित है| प्रस्तुत पुस्तक खंड- २ में ब्रम्हचर्य पालन करनेवाले निश्चयी के लिए सत्संग संकलित हुआ है | ज्ञानीपुरुष के श्रीमुख से ब्रम्हचर्य का परिणाम जानने के बाद उसके प्रति आफरीन हुए साधक में उस तरफ कदम बढ़ाने की हिम्मत आती है। ज्ञानी के संयोग से, सत्संग व सानिध्य प्राप्त करके, मन-वचन-काया से अखंड ब्रम्हचर्य में रहने का दृढ़- निश्चयी बनता है| ब्रम्हचर्य पथ पर प्रयाण करने हेतु और विषय के वट-वृक्ष को जड़-मूल से उखाड़कर निर्मूल करने हेतु इस मार्ग में बिछे हुए पत्थरों से लेकर पहाड़ जैसे विघ्नों के सामने, डगमगाते हुए निश्चय से लेकर ब्रम्हचर्य व्रत से च्युत होने के बावजूद ज्ञानीपुरुष उसे जागृति की सर्वोत्कृत श्रेणियाँ पार करवाकर निर्ग्रंथाता की प्राप्ति करवाए, उस हद तक की विज्ञान- दृष्टी खोल देते हैं और विकसित करते हैं| तो यह पुस्तक पढ़कर शुद्ध ब्रम्हचर्य किस तरह उपकारी है, ऐसी समझ प्राप्त करें|
Samaj se prapat Brahmcharya (Uttaradh): समझ से प्राप्त ब्रह्मचर्य (उत्तरार्ध)
by Dada Bhagwanहर एक मनुष्य में अपने आत्मा को पहचानकर मोक्ष प्राप्त करने की शक्ति है। लेकिन मोक्ष मार्ग में विषय सबसे बड़ा बाधक बन जाता है। सिर्फ प्रत्यक्ष ज्ञानीपुरुष ही विषय आकर्षण के पीछे का विज्ञान समझाकर उसमें से बाहर निकलने में मदद कर सकते हैं। ज्ञानीपुरुष दादाश्री ने मोक्ष मार्ग में ब्रह्मचर्य की महत्वता और विवाहित लोग भी वह किस प्रकार प्राप्त कर सकते हैं, वह बताया है। विषय का वैराग्यमय स्वरुप, उसकी इस जन्म की और अगले जन्म की जोखिमदारियाँ बताई है| ब्रह्मचर्य से होनेवाले फायदे उसकी वैज्ञानिक एक्ज़ेक्टनेस के साथ बताए हैं। ब्रह्मचर्य की भूलरहित समझ, विषयबीज को निर्मूल कर के जड़-मूल से उखाड़ने का तरीका बताया है। खंड १ में पूज्य दादाश्री ने विवाहितों को बिना हक़ के विषय के सामने चेतावनी दी है वैसे ही उसकी जोखिमदारी और किस तरह से सूक्ष्मातिसूक्ष्म आकर्षण/ दृष्टिदोष भी हमें मोक्षमार्ग से भटका देंगे वह समझाया है। खंड २ में ज्ञानीपुरुष ने कैसा विज्ञान देखा! वह हमारे लिए खुल्ला किया है जगत के लोगों ने मीठी मान्यता से विषय में सुख का आनंद लिया, किस तरह उनकी दृष्टि विकसित करने से उनकी विषय संबंधित सभी उल्टी मान्याताएँ छूट जाएँ और महामुक्तदशा के मूल कारण रूप, ऐसे 'भाव ब्रह्मचर्य' का वास्तविक स्वरूप, विषय मुक्ति हेतु कर्तापन की सारी भ्रांति टूट जाए, और ज्ञानीपुरुष ने खुद जो देखा है, जाना है और अनुभव किया है, उस 'वैज्ञानिक अक्रम मार्ग' का ब्रह्मचर्य संबंधित अदभुत रहस्य खुल्ला किया है। ऐसे दुषमकाल में कि जहाँ समग्र जगत में वातावरण ही विषयाग्निवाला फैल गया है, ऐसे संयोगों में ब्रह्मचर्य संबंधित 'प्रकट विज्ञान' को स्पर्श करके निकली हुई 'ज्ञानीपुरुष' की अदभुत वाणी विषय-मोह में से छूटकर ब्रह्मचर्य की साधना में रहकर, सुज्ञ वाचक को अखंड शुद्ध ब्रह्मचर्य को समझ के साथ स्थिर करता है।
Samaj Se Prapt Brahmacharya (Sanxipt): समज से प्राप्त ब्रह्मचर्य (संक्षिप्त)
by Dada Bhagwanब्रम्हचर्य व्रत, भगवान महावीर द्वारा दिये हुए ५ महाव्रतो का हिस्सा है| मोक्ष प्राप्त करने ब्रम्हचर्य व्रत का पालन करना चाहिए, यह समझ बहुत सारे लोगो में है पर विषय करना क्यों गलत है या उसमें से हम छुटकारा कैसे पा सकते है, यह सब कोई नहीं जानता| विषय यह हमारी पाँचो इन्द्रियों में से किसी भी इन्द्रिय को पसंद नहीं आता| आँखों को देखना अच्छा नहीं लगता, नाक को सूंघना पसंद नहीं, जीभ से चख ही नहीं सकते और ना ही हाथ से छू सकते है| पर फिर भी सच्चा ज्ञान नहीं होने के कारण लोग विषय में निरंतर लीन होते है क्योंकि उन्हें इसके जोख्मों के बारे में कोई जानकारी ही नहीं है| अपने हक्क के साथी के साथ भी विषय करने में अनगिनत सूक्ष्म जीवों का नाश होता है और अनहक्क के विषय का नतीजा तो नरकगति है| इस पुस्तक द्वारा आपको ब्रम्हचर्य क्या है,इसके क्या फायदे है, ब्रम्हचर्य का पालन कैसे करे वगैरह प्रश्नों के जवाब मिलेंगे|
Samaj Shastra class 11 - MP Board: समाज शास्त्र कक्षा 11 - एमपी बोर्ड
by madhya pradesh rajya shiksha kendra bhopalSamaj Shastra text book for 11 th standard from Shiv lal and company for Madhya pradesh rajya shiksha kendra bhopal in Hindi.