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Sanyasi Ki Tarah Soche: संन्यासी की तरह सोचें

by Jay Shetty

इस प्रेरक और सक्षम पुस्तक में शेट्टी संन्यासी के रूप में अर्जित ज्ञान का लाभ लेकर हमें सिखाते हैं कि हम अपनी क्षमता और शक्ति की राह में आने वाले अवरोधों को कैसे हटा सकते हैं। प्राचीन बुद्धिमत्ता और आश्रम के समृद्ध अनुभवों को मिश्रित करने वाली यह पुस्तक यह उजागर करती है कि हम नकारात्मक विचारों व आदतों से कैसे उबर सकते हैं और उस शांति तथा उद्देश्य तक कैसे पहुँच सकते हैं, जो हम सभी के भीतर मौजूद है। वे अमूर्त सबक़ों को सलाह और अभ्यासों में बदल देते हैं, जिनका इस्तेमाल करके हम सभी अपना तनाव कम कर सकते हैं, अपने संबंधों को बेहतर बना सकते हैं और अपनी प्रतिभा से संसार को फ़ायदा पहुँचा सकते हैं। शेट्टी इस पुस्तक में यह साबित कर देते हैं कि हर व्यक्ति संन्यासी की तरह सोच सकता है - और उसे सोचना ही चाहिए।

Sanyasi Yoddha: संन्यासी योद्धा

by Kaustubh Anand Chandola

इस उपन्यास में गोलू आज उत्तराखण्ड में न्याय के देवता के रूप में स्थापित है। गोलू का चरित्र एक सामान्य निम्न कुल में बढ़े बालक के रूप में सम्मुख आता है। उसके पालक माता-पिता निम्न धीवर कुल के होने के कारण गोलू को गुरुकुल में शिक्षा प्राप्त करने से वंचित होना पड़ता है। जिस कारण भाना धीवर उसे गुरु गोरखनाथ के पास शिक्षार्थ भेजते हैं। गुरु गोरखनाथ उसे केवल शास्त्र सम्मत शिक्षा ही नहीं देते अपितु अस्त्र-शस्त्र की भी शिक्षा देते हैं। गोलू आगे चलकर इस शिक्षा का लाभ लेकर उसे सामाजिक भलाई के निमित्त प्रयुक्त करता है। वह हर ऐसे अहंकार, अंधशक्ति और बाहुबल के प्रतीक मसाणों, तात्रिकों को साधता है जो जन सामान्य की अंधभक्ति का फायदा उठाकर उन्हीं का शोषण करते हैं। अंतत: एक दलित सामान्य जन से उठकर अपने योगबल और बाहुबल से वह धूमाकोट का एक न्यायप्रिय, निष्पृह, साधु राजा के रूप में मान्यता प्राप्त करता है और सामाजिक विद्वेष तथा जाति मनोवृत्ति से ग्रस्त रूढ़िवादी समाज के सम्मुख समातावादी मनोवृत्ति एवं सामाजिकता की स्थापना का आदर्श प्रस्तुत करता है। लेखक ने एक दलित नायक के सिहांसनारूढ़ होने को गाथा से हटकर यथार्थ का जामा पहनाया है। साथ ही राजधर्म, साधुधर्म और वर्तमान विसंगतियों का उपन्यास में सटीक चित्रण किया है। राजतंत्र की विडम्बनाओं पर भी स्थान-स्थान पर कटु व्यंग्य किया गया है। वस्तुत: गोलू के चरित्र का नायकत्व समतावादी समाज के पोषक और गीता के कर्मवाक्य प्रस्थापक के रूप में हुआ है। कहीं जहाँ यथार्थ से हटकर चित्रण हुआ है वहाँ अतिमानवीय तत्वों का वर्णन आ गया है। गोलू के चरित्र को बल देने के लिए राजा गरूण और भागवती, गुरु गोरखनाथ, देवहरु, सैसज्यू, वीर कलुआ, सेनानायक उग्र भट्ट, महामंत्री नरोत्तम, चंपावत के राजा नागनाथ, धरमदास, सात रानियाँ हालूराय, सामण दैत्य आदि की कथाएं अवांतर के रूप में उपन्यास में आयी हैं।

Sapana Ek Machhali Ka

by Zabunnisa Haya

जैबुन्निसा हया दवारा रचित यह पुस्तक एक मछली की कहानी है जो अपनी बेटी से बिछड़ जाती है और उससे फिर से मिलने का सपना देखती है जो पूरा हो जाता है। This book written by Zabunnisa Haya, is the story of a fish in which it gets saparated from its daughter and dreams of meeting her again. This gets completed in the end.

Sapanon Ka Sarathi: सपनों का सारथी

by Dr Anand Choubey Aniruddha Rawat

रविंद्र कुमार बिहार के जिला बेगूसराय के एक छोटे से गाँव बसही में जनमे। उच्च शिक्षा के लिए राँची चले गए और आई.आई.टी. प्रवेश परीक्षा में चयनित हुए। उन्होंने मर्चेंट नेवी में प्रशिक्षण प्राप्त किया और शिपिंग क्षेत्र में सेवाएँ दीं। नौकरी छोडक़र कड़ी मेहनत से आई.ए.एस. अधिकारी बने। रविंद्र कुमार भारत के प्रथम व एकमात्र आई.ए.एस. अधिकारी हैं, जिन्होंने दो बार माउंट एवरेस्ट पर सफ लतम चढ़ाई की। रविंद्र कुमार ने सिक्किम, उत्तर प्रदेश तथा केंद्र सरकार में विभिन्न पदों पर सेवाएँ दीं। वर्तमान में जिलाधिकारी झाँसी के पद पर कार्यरत हैं। वे एक आशुकवि व लेखक हैं। अब तक उनकी सात कृतियाँ प्रकाशित हैं। अपनी कृति ‘एवरेस्ट : सपनों की उड़ान, सिफर से शिखर तक’ के लिए वर्ष 2020 में ‘अमृतलाल नागर पुरस्कार’ से सम्मानित। यह पुस्तक रविंद्र कुमार के जीवन के अनेक अनछुए पहलुओं का लेखा-जोखा है। यह एक व्यक्ति के संघर्ष, दृढ़ संकल्प व सकारात्मक सोच से उपलब्धियों की ओर बढऩे की ऐसी कहानी है, जो युवा पीढ़ी को कुछ कर-गुजरने की प्रेरणा देती है।

Sarangi class 1 - NCERT - 23: सारंगी १ली कक्षा - एनसीईआरटी - २३

by Rashtriy Shaikshik Anusandhan Aur Prashikshan Parishad

सारंगी भाग 1 किताब का निर्माण करते हुए मुख्य रूप से राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुसार भाषा राष्ट्रीय विकास को बढ़ावा देने और न्यायप्रिय समाज को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इस नीति में बच्चों की शिक्षा में भाषा और साक्षरता के विकास को बहुत महत्व दिया गया है। यह माना जाता है कि भाषा और साक्षरता की ठोस नींव बच्चों के लिए अन्य विषयों को सीखने में बहुत सहायक होती है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में बुनियादी स्तर (फाउंडेशनल स्टेज) पर बच्चों में भाषा के विकास के साथ-साथ सतत सीखने की कला, समस्या-समाधान, तार्किक और रचनात्मक सोच के विकास पर भी बहुत बल दिया गया है। इस स्तर पर भाषा के साथ-साथ अन्य विषयों और गतिविधियों में भारतीय परंपरा, सांस्कृतिक मूल्य, चरित्र निर्माण, नैतिकता, करुणा और पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता को समेकित रूप में सम्मिलित करने की भी अनुशंसा की गई है।

Sarangi class 2 - NCERT - 23: सारंगी २री कक्षा - एनसीईआरटी - २३

by Rashtriy Shaikshik Anusandhan Aur Prashikshan Parishad

सारंगी भाग 2 किताब का निर्माण करते हुए मुख्य रूप से राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के दिशा-निर्देशों को ध्यान में रखा गया है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के आलोक में विकसित बुनियादी स्तर की पाठ्यचर्या की अनुशंसाओं को भी इस पाठ्यपुस्तक में समाहित किया गया है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की अनुशंसाओं के अनुसार यह पाठ्यपुस्तक राष्ट्रीय विकास को बढ़ावा देने तथा न्यायपूर्ण समाज को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। इस नीति में बच्चों की शिक्षा में भाषा और साक्षरता विकास को बहुत महत्व दिया गया है। भाषा और साक्षरता की ठोस नींव अन्य विषयों को भी दक्षतापूर्वक सीखने में सहायक होती है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 बुनियादी स्तर (फाउंडेशनल स्टेज) पर बच्चों में भाषा के विकास के साथ-साथ सतत सीखने की कला, समस्या समाधान, तार्किक और रचनात्मक चिंतन के विकास पर भी बहुत बल देती है। इस स्तर पर भाषा के साथ-साथ अन्य विषयों और गतिविधियों में भारतीय परंपरा, सांस्कृतिक मूल्य, राष्ट्रप्रेम, चरित्र-निर्माण, नैतिकता, करुणा, जेंडर संवेदनशीलता और पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता को भी समेकित रूप में सम्मिलित करने की अनुशंसा करती है।

Sarkas: सर्कस

by Sanjeev

प्रतिपल कुछ टूट रहा है, मगर उसी तरह कुछ जुड़ भी रहा है क्या? अगर कुछ जुड़ रहा हो तो वह क्या और कितना है?

Sarojini Naidu

by Padmini Sengupta

Sarojini Naidu, the Nightingale of India, has created a specific place in English literature. She was a lady for whom English was a simple medium of expression. Although she was taught in English medium, she always condemned the blind mental slavery of the Western World. This is a book to introduce readers to Sarojini Naidu, not only as a politician but also as a poet.

Sarva Dukho Se Mukti: सर्व दु:खों से मुक़्ति

by Dada Bhagwan

सांसारिक दुःख किसे नहीं है? हर कोई उससे छूटना चाहता है| लेकिन वह छूट नहीं पाता| उससे छूटने का मार्ग क्या है? ज्ञानीपुरुष के मिलते ही सर्व दुखों से मुक्ति मिलती है| औरों को जो दुःख देता है, वह स्वयं दुखी हुए बिना नहीं रहता| सर्व दुखों से मुक्ति कैसे पाई जाये? सुख दुःख मिलने का कारण क्या है? औरों को सुख देने से सुख मिलता है और दुःख देने से दुःख मिलता है| यह सुख दुःख प्राप्ति का कुदरती सिद्दांत है| जिसे यह सिद्दांत संपूर्ण समझ में आ जाता है, वह किसी को बिलकुल दुःख न देने की जागृति में रह सकता है| फिर मन से भी वह किसी को दुःख नहीं दे सकता| इसके लिए ज्ञानीपुरुष ही यथार्थ क्रियाकारी उपाय बता सकते हैं| संपूज्य श्री दादाश्री, जो इस काल के ज्ञानी हुए, उन्होंने सुन्दर और संपूर्ण क्रियाकारी उपाय बताया है की हर रोज़ सुबह में हृयदपूर्वक पांच बार इतनी प्रार्थना करो कि ‘प्राप्त मन-वचन-काया से इस जगत में किसी भी जीव को किंचित मात्र भी दुःख न हो, न हो, न हो|’इसके बाद आपकी जिम्मेदारी नहीं रहेगी| किसी भी जीव को मारने का हमारा अधिकार बिलकुल ही नहीं है, क्योंकि हम उसे बना नहीं सकते| संसार में दुःख क्यों है? उसका रूट कॉज है अज्ञानता| मैं खुद कौन हूँ? मेरा असली स्वरुप क्या है? यह नहीं जानने से सारे दुःख सर पर आ गए हैं| वास्तव में ‘आत्मज्ञानियों’को इस संसार में एक भी दुःख स्पर्श नहीं होता| यदि आपको सुखी होना हो तो सदा वर्तमान में ही रहना! भूतकाल गया सो गया| वह वापिस कभी नहीं लौटता और भविष्य काल किसी के हाथ में नहीं है| उसे कोई नहीं जानता|तो ‘वर्तमान’में रहे सो सदा ज्ञानी|’गृहस्थ जीवन में बेटे बेटियाँ , पत्नी, माँ-बाप, की ओर से हमें जो दुःख मिलते हैं, वे हमारे ही मोह के रीएकशन्न से मिलते हैं| वीतराग को कुछ भोगना नहीं होता, जीवन में| संपूज्य श्री दादाश्री ने एक सुन्दर बात बताई है कि घर एक कम्पनी है| इस कम्पनी के घर के सारे मेम्बर्स शेयर होल्डर्स हैं| जिसका जितना शेयर, उतना उसके हिस्से में भुगतने का आएगा| फिर सुख हो या दुःख| मुनाफा हो या घाटा| भगवान् ने कहा है की अंतर सुख और बाह्य सुख का बैलेंस रखना चाहिये| बाह्य सुख बढेगा तो अंतर सुख कम हो जायेगा और अंतर सुख बढेगा तो बाह्य सुख कम हो जायेगा| चिंता होने का कारण क्या है? अहंकार, कर्तापन ! वह जाये तो चिंता जाये| कुदरत का न्याय क्या है? हम अपनी भूलों से किस तरह से छूट जाये? निज दोष क्षय किस तरह से किया जाये? इन सारे प्रश्नों को पुज्यश्री ने आसानी से हल करने का रास्ता प्रस्तुत पुस्तक में बताया है |

Saryu Hindi Saahity class 12 - RBSE Board: सरयू हिन्दी साहित्य कक्षा 12 - आरबीएसई बोर्ड

by Madhyamik Shiksha Board Rajasthan Ajmer

सरयू इस पाठ्यपुस्तक मे सामाजिक, नैतिक, बौद्धिक स्तर के अनुरूप साहित्य रचनाओं के माध्यम से उनके हिंदी भाषा ज्ञान, अर्थ ग्रहण एवं अभिव्यक्ति क्षमता के उत्कर्ष के सार्थक उद्देश्य तथा गद्य खण्ड में विभिन्न कालखंडों के हिंदी के प्रतिनिधि एवं स्तरीय गद्यकारों की सुबोध, रुचिकर एवं प्रेरणास्पद रचनाएँ संकलित हैं। पद्य खंड में हिंदी काव्य के कथ्यगत एवं अनुभूतिपरक परि प्रतिनिधि कवियों की सरस, सुबोध, प्रेरक एवं जीवन के विविध पहलुओं की अर्थ गंभीर अभिव्यंजना करने वाली विशिष्ट कविताओं को संगृहीत किया गया है।

Sat Yugoslav Kahaniyan

by Cedomir Minderovic

An anthology of seven short stories from Yugoslavia.

Satya Asatya ke rahshya: सत्य-असत्य के रहस्य

by Dada Bhagwan

बहुत सारे लोग, सत्य क्या है और असत्य क्या है, यह जानने के लिए जीवनभर संघर्ष करते रहते है| कुछ बाते, किसी के लिए सत्य मानी जाती है तो कुछ लोग उसे असत्य मानकर उसका तिरस्कार करते है| ऐसी दुविधाओं के बीच, लोग यह सोच में पड़ जाते है कि, आखिर सत्य किसे कहे और असत्य किसे माने| आत्मज्ञानी परम पूज्य दादा भगवान हमें, सत्, सत्य और असत्य, इन तीन शब्दों का भेद समझाते है| वह कहते है कि, सत् मतलब शास्वत तत्व, जैसे की हमारा आत्मा, जो एक परम सत्य है और जिसे बदलना संभव नहीं है| हम साक्षात् आत्मस्वरूप है और यही हमारी सही पहचान है, इसे दादाजी ने सत् कहा है| व्यवहार सत्य, मतलब, रिलेटिव में दिखने वाला सत्य लोगो की अपनी मान्याताओं के आधार पर खड़ा होता है| इसलिए यह लोगो के अपने दृष्टिकोण के आधार पर अलग-अलग होता है| सत्य और असत्य तो हमारी माया और मान्यता से ही खड़ा होता है, और वह एक सापेक्ष संकल्पना ही है, जिसका कोई आधार नहीं होता| सत्,सत्य और असत्य के गुढ़ रहस्यों को जानने, यह किताब ज़रूर पढ़े और अपनी भ्रामक मान्याताओं से छुटकारा पाइए|

Satya Ke Prayog Athava Atmakatha

by M. K. Gandhi

इस पुस्तक की प्रस्तावना में गांधीजी में गींधीजी ने लिखा हैः “मेरी बिनती है कि कोई मेरे लेखों को प्रमाणभूत न समझे। मैं सिर्फ इतना चाहता हुँ कि इनमें बताये गये प्रयोगों के दृष्टांतरुप मानकर सब अपने-अपने प्रयोग यथाशक्ति और यथामति करें। मेरा विश्वास है कि इस संकुचित क्षेत्र में आत्मकथा के मेरे लेखों से पाठको को बहुत कुछ मिल सकता है।” राष्ट्रपुता महात्मा गांधी के जीवन और कार्यपद्धति को समझने की अभिलाषा रखनेवाले प्रत्येक भारतीय को यह अमुल्य ग्रंथ अवश्य पढ़ना चाहिये।

Savadhan Rahen Jagaruk Bane!: सावधान रहें, जागरूक बने

by Reserve Bank of India

पिछले कुछ वर्षों में, पैसे के आदान-प्रदान के लिए डिजिटल मीडिया का उपयोग बढ़ा है। इससे न केवल उपभोक्ता सुविधा में वृद्धि हुई है, बल्कि वित्तीय समावेशन के राष्ट्रीय लक्ष्य को प्राप्त करने में भी योगदान मिला है। लेकिन वित्तीय लेनदेन के आगमन के साथ, धोखाधड़ी की घटनाएं बढ़ रही हैं। आम, भोले-भाले नागरिकों की मेहनत की कमाई को चुराने के लिए आर्थिक अपराधी नए-नए तरीके अपना रहे हैं. ये अपराधी मुख्य रूप से ऐसे व्यक्तियों को लक्षित करते हैं जो प्रौद्योगिकी-उन्मुख वित्तीय लेनदेन की दुनिया में नए हैं। पुस्तिका को ऐसे वित्तीय लेनदेन के लिए डिजिटल मीडिया का उपयोग करने वाले नए ग्राहकों का मार्गदर्शन करने और अधिक व्यावहारिक तरीके से मार्गदर्शन प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

Sawdhan Neeche Aag Hai: सावधान नीचे आग है

by Sanjeev

चन्दनपुर के नीचे आग धधक रही है । लोगों में आग है, उनकी नसों के बिलकुल करीब...आग ही आग...लाल-सुर्ख. ..तपती हुई... । यह आग हो सकता है कि कभी किसी बड़े परिवर्तन का सूत्रपात करे लेकिन अभी तो वह सिर्फ लोगों को जला रही है । तिल-तिल करके जल रहे हैं वे, अपनी छोटी-छोटी अपूर्ण इच्छाओं के साथ । जिन्दगी बीभत्सता की हद तक सड़ी हुई...नर्क. .. । दलालों, सूदखोरों और गुंडों के बीच पिसते, कोयले की गर्द फाँकते, चन्दनपुर के खदान मजूदूर यह अच्छी तरह जानते हैं कि उनके बजाय उनकी औरतों को ही पहले काम क्यों दिया जाता है । ' 'सच तो यह है कि जिनके हाथ में कानून और पावर है, सब चोर हैं । मेहनत, ईमानदारी की कोई कदर नहीं । जो लूट रहा है, लूट रहा है, जो बिला रहा है, बिला रहा है.. .यह समूचा इलाका ही बैठ जाएगा एक दिन जल-जल कर' ' -मेवा के इस कथन में आक्रोश के साथ लाचारी है, खीज है । संजीव की कहानियों में शुगरकोटेड यथार्थ नहीं होता और न ही मनोरंजन । समाज के जिस वर्ग की जिंदगी के बारे में वे लिखते हैं, उसकी पीड़ाओं की तह तक उतर जाते हैं । अब तक दर्जनों चर्चित कहानियों के लेखक संजीव के इस उपन्यास में विषय की गहराई, उसकी समझ और पकड़, शैली और शिल्प के अतिरिक्त जो प्रतिबद्धता है, हर पाठक को उसका कायल होना पड़ेगा ।

Science class 6 - RBSE Board: विज्ञान कक्षा 6 - आरबीएसई बोर्ड

by Rajasthan State Textbook Board

Science Textbook for Class 6, Education book

Science class 7 - RBSE Board: विज्ञान कक्षा 7 - आरबीएसई बोर्ड

by Rajasthan State Textbook Board

Science Textbook for Class 7, Education book

Science class 8 - RBSE Board: विज्ञान कक्षा 8 - आरबीएसई बोर्ड

by Rajasthan State Textbook Board

Science Textbook for Class 8, Education book

Secret 7 ka Romanchak Karnama

by Enid Blyton Dr Sudhir Dixit Rajni Dixit

When a priceless pearl necklace goes missing, the Secret Seven are first off the mark to catch the thief! Why? Because they saw him making his escape. Now all they have to do is find the necklace.

Secret Seven Picha karo

by Enid Blyton Dr Sudhir Dixit Rajni Dixit

Something mysterious is going on at Tigger's Barn and the Secret Seven are intrigued. Peter thinks it's all just gossip, but Jack isn't so sure when he overhears a strange conversation. Looks like the seven are on the trail of another exciting adventure.

Seedha Raasta

by Jyotiprakash

Seedha Raasta is written for the youth of today. The story tells us how a rich boy changes his views about poor in the society. It serves as an inspiration to the youth.

Seemayein Tootati Hain

by Srilal Shukla

Durgadas was convicted in a crime and after his imprisionment there started all the clashes of the ideologies in the family. The prisioning of Durgadas showed the different sides of human nature and the clashes within the human mind of people around him.

Seengawale Gadhe: सींगवाले गधे

by Prem Janmejay

प्रेम जनमेजय से मिलकर, बात कर, कभी नहीं लगता कि ये व्यंग्य विधा की राह के पहुँचे हुए मुसाफिर हैं। ऐसा ही श्रीलाल शुक्लजी के साथ था। वे कभी बातचीत में व्यंग्य नामक हथियार का इस्तेमाल नहीं करते थे। ये ऐसे व्यंग्य-गुरु हैं, जो अपनी तिरछी नजर पर मृदुता, मस्ती और मितभाषिता का चश्मा लगाए रहते हैं। कुछ लोगों का खयाल है कि व्यंग्य लेखक एक किस्म के कार्टूनकार होते हैं, जिन्हें सारी दुनिया आँकी-बाँकी दिखाई देती है। एकदम गलत धारणा है यह। जैसे कविता, कहानी, उपन्यास नाटक और निबंध, साहित्य की विधाएँ हैं, वैसे ही व्यंग्य तथा हास्य, व्यंग्य की विधाएँ हैं। कमजोर हाथों में पडक़र ये विद्रूप और फूहड़ हँसी-ठट्ठा का रूप लेती होंगी, लेकिन प्रेम जनमेजय उन इलाकों में जाते ही नहीं हैं। वे हरिशंकर परसाई, शरद जोशी और श्रीलाल शुक्ल की परंपरा में व्यंग्य विधा में संलग्न हैं। उनके लिए व्यंग्य एक गंभीर कार्य और चिंतन है, जिससे वे समाज की विसंगतियों और समय के अंतर्विरोधों पर रोशनी डाल सकें। परिवर्तन काल सुविधा के साथ-साथ सक्रांति काल भी लाता है। प्रेम जनमेजय ने बहुत समझदारी और गहन अध्ययन से अपनी साहित्य-विधा चुनी है। व्यंग्य विधा पर चाहे जितना हमला किया जाए, सब जानते हैं कि बिना व्यंग्य-विनोद के कोई भी रचना पठनीय नहीं हो सकती। प्रेमजी में एक कथातत्त्व समानांतर चलता है। इसी कथा-जाल में वे धीरे से अपना काम कर जाते हैं।

Seepiyan

by Sulekha Kumar Subhadra Malwi

The world of children is very colorful. A stubborn and unbending in their environment, so there is no polite way to show others new. With such characters episodically what takes new twist? Read us, tickler with, laugh with, inspiring, enchanting stories full of diverse entertainment.

Seva Paropkar: सेवा परोपकार

by Dada Bhagwan

सेवा का मुख्य उद्देश्य है कि मन-वचन-काया से दूसरों की मदद करना| जो व्यक्ति खुद के आराम और सुविधाओं के आगे औरो की ज़रूरतों को रखता है वह जीवन में कभी भी दुखी नहीं होता| मनुष्य जीवन का ध्येय, दूसरों की सेवा करना ही होना चाहिए| परम पूज्य दादाभगवान ने यह लक्ष्य हमेशा अपने जीवन में सबसे ऊपर रखा कि, जो कोई भी व्यक्ति उन्हें मिले, उसे कभी भी निराश होकर जाना ना पड़े| दादाजी निरंतर यही खोज में रहते थे कि, किस प्रकार लोग अपने दुखों से मुक्त हो और मोक्ष मार्ग में आगे बढे| उन्होंने अपनी सुख सुबिधाओं की परवाह किये बगैर ज़्यादा से ज़्यादा लोगो का भला हो ऐसी ही इच्छा जीवनभर रखी| पूज्य दादाश्री का मानना था कि आत्म-साक्षात्कार, मोक्ष प्राप्त करने का आसान तरीका था पर जिसे वह नहीं मिलता हैं, उसने सेवा का मार्ग ही अपनाना चाहिए| किस प्रकार लोगो की सेवा कर सुख की प्राप्ति करे, यह विस्तृत रूप से जानने के लिए यह किताब ज़रूर पढ़े|

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