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Andheron Ka Aadhar: अंधेरों का आधार

by Dr Ghanshyam Asudani

"अंधेरों का आधार" 15 हिंदी लघु कथाओं का संग्रह है। पुस्तक "विकलांगता प्रवचन" की उभरती हुई साहित्यिक शैली की आकाशगंगा में नवीनतम सितारा है। कहानियां पारिवारिक जीवन, प्रेम संबंध, रोजगार, समाज द्वारा उपेक्षा, आर्थिक समस्याओं आदि सहित जीवन के विभिन्न पहलुओं पर दृष्टिबाधित जीवन का गहराई से विश्लेषण करती हैं। लेखक ने वर्तमान परिदृश्य में दृष्टिबाधित व्यक्ति के जीवन का एक व्यापक चित्र प्रस्तुत किया है। उच्च साहित्यिक मूल्य होने के साथ-साथ यह पुस्तक "विकलांगता प्रवचन" शोध के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण और उपयोगी संसाधन है।

Andmaan ka ladka

by Zai Whitaker Purva Yagik Kushwaha

Become a part of the amazing Jarva tribal community residing in Andaman Island, and experience the spectacular sights and also the stereotypes attached to the community with little Aarif. A refreshing story that impels one to reflect: Who we are and where are we heading?

Anjora: अंजोरा

by Sanjay Sinha

"अंजोरा" एक भावनात्मक और जीवन दर्शन से जुड़ी कहानियों का संकलन है, जिसे संजय सिन्हा ने बेहद सरल भाषा में प्रस्तुत किया है। यह पुस्तक न केवल पारिवारिक और सामाजिक रिश्तों को गहराई से समझाती है, बल्कि जीवन के मूल्यों, परंपराओं और रोजमर्रा के संघर्षों से भी पाठकों को जोड़ती है। पुस्तक की शीर्षक कहानी "अंजोरा" में एक बच्चा अपनी दादी के साथ सुबह-सुबह उठने की रस्म को समझने की कोशिश करता है। दादी हर सुबह पूजा की शुरुआत करते हुए कहती हैं, "उठ जा बेटा, अंजोरा हो गया है।" इस शब्द का अर्थ बच्चा वर्षों बाद समझ पाता है कि ‘अंजोरा’ केवल भौतिक सूर्योदय नहीं, बल्कि वह क्षण है जब जीवन में रोशनी का आगमन होता है। यह कहानी जीवन को देखने के सकारात्मक दृष्टिकोण की ओर संकेत करती है। पुस्तक की अन्य कहानियाँ जैसे "मेहनत का पैसा", "रिश्तों का कुंदन", और "भरोसा" जीवन के विभिन्न पहलुओं—ईमानदारी, विश्वास, और परस्पर संबंधों—पर आधारित हैं। संजय सिन्हा ने सरल कथाओं के माध्यम से पाठकों को नैतिक और व्यावहारिक ज्ञान देने की कोशिश की है। उनकी शैली पुराने समय की दादी-नानी की कहानियों जैसी है, जो वर्तमान पीढ़ी को भावनात्मक रूप से जोड़ने का प्रयास करती है। यह पुस्तक उन पाठकों के लिए है जो जीवन के गहरे अर्थ को सरल कहानियों में तलाशना चाहते हैं और रोजमर्रा के अनुभवों से प्रेरणा लेना पसंद करते हैं।

Ankho Ki Chamak

by Arvind Gupta

Arvind Gupta, the author, is the winner of the National Award for Science Popularisation amongst children (1988) and the distinguished alumnus award from IIT Kanpur.(2000). Arvind has dedicated his life to teaching science to underprivileged children in rural ares by employing simple stories and toys. Here is one such treasure.

Anokha Mahayagya Aur Anya Kahaniyan

by Subhadra Malavi

The book Anokha Mahayagya is written by Subhadra Malavi. These stories will not only provide moral lessons to children, but also will be instrumental in making them good citizens.

Anokha Uphaar

by Kamla Chamola

अनोखा उपहार, भोजपत्र पर आधारित कहानी है जिसे सब बकुल से छीन लेना चाहते है। एक साधु दवारा बकुल को दिया यह एक अनोखा उपहार किस रहस्य को उजागर करता है जानने के लिए पढ़े...अनोखा उपहार...Anokha Uphaar, is a story, based on birch bark, which everybody wants to take away from Bakul. What secret does birch bark contains, which has given to Bakul by the old monk. Read to know...

Antahkaran Ka Swaroop: अंतकरण का स्वरूप

by Dada Bhagwan

अंत: करण के चार अंग हैं : मन, बुद्धि, चित्त और अहंकार| हरेक का कार्य अलग अलग है| एक समय में उनमे से एक ही कार्यन्विंत होता है| मन क्या है? मन ग्रंथिओं का बना हुआ है| पिछले जन्म में अज्ञानता से जिसमे राग द्वेष किये, उनके परमाणु खींचे और उनका संग्रह होकर ग्रंथि हो गयी| वह ग्रंथि इस जन्म में फूटती है तो उसे विचार कहा जाता है| विचार डिस्चार्ज मन है| विचार आता है उस समय अहंकार उसमे तन्मयाकार हो जाता है| यदि वह तन्मयाकार नहीं हुआ हो तो डिस्चार्ज होकर मन खाली हो जाता है| जिसके ज्यादा विचार उसकी मनोग्रंथि बड़ी होती है| अंत: करण का दूसरा अंग है, चित्त | चित्त का स्वभाव भटकना है| मन कभी नहीं भटकता| चित्त सुख खोजने के लिए भटकता रहता है| किन्तु वह सारे भौतिक सुख विनाशी होने की वजह से उसकी खोज का अंत ही नहीं आता| इसलिए वह भटकता रहता है| जब आत्मसुख मिलता है तभी उसके भटकन का अंत आता है| चित्त ज्ञान दर्शन का बना हुआ है| अशुद्ध ज्ञान+ दर्शन यानी अशुद्ध चित्त, संसारी चित्त और शुद्ध ज्ञान+ दर्शन यानी शुद्ध चित्त, यानी शुद्ध आत्मा| बुद्धि, आत्मा की इनडायरेक्ट लाइट है और प्रज्ञा डायरेक्ट लाइट है| बुद्धि हमेशा संसारी मुनाफा नुक्सान बताती है और प्रज्ञा हमेशा मोक्ष का ही रास्ता बताती है| इन्द्रियों के ऊपर मन, मन के ऊपर बुद्धि, बुद्धि के ऊपर अहंकार और इन सबके ऊपर आत्मा है| बुद्धि,वह मन और चित्त दोनों में से एक का सुनकर निर्णय करती है और अहंकार अँधा होने से बुद्धि के कहे अनुसार हस्ताक्षर कर देता है| उसके हस्ताक्षर होते ही वह कार्य बाह्यकरण में होता है| अहंकार करने वाला भोक्ता होता है, वह स्वयं कुछ नहीं करता, वह सिर्फ मानता है कि मैंने किया| और वह उसी समय कर्त्ता हो जाता है| फिर उसे भोक्ता होना ही होता है| संयोग करता हैं, मैं नहीं, यह ज्ञान होते ही अकर्ता होता है, फिर उसके कर्म चार्ज नहीं होते| अंत: करण की सारी क्रियाएँ मैकेनिकल हैं| इसमें आत्मा को कुछ करना नहीं होता| आत्मा तो सिर्फ ज्ञाता द्रष्टा और परमानंदी है| केवल ज्ञानीपुरुष ही अपने अंत: करण से अलग रहते हैं| आत्मा में ही रह कर उसका यथार्थ वर्णन कर सकते हैं| ज्ञानीपुरुष संपूज्य श्री दादाश्री ने अंत: करण का बहुत ही सुन्दर और स्पष्ट वर्णन किया है|

Antaral Bhag 1

by National Council Of Educational Research Training

This book prescribed by central board of secondary education, India for the stduents of class 11th subject Hindi, studying through hindi medium. This accessible version of the book doesn’t leave any part of the book. The book is handy companion of the school and university students desiring to read facts in interesting way. NCERT books are must read for aspirants of competitive and job related examinations in India.

ANTARAL Bhag 2

by National Council Of Educational Research Training

This book prescribed by central board of secondary education, India for the stduents of class 12th subject Hindi, studying through hindi medium. This accessible version of the book doesn’t leave any part of the book. The book is handy companion of the school and university students desiring to read facts in interesting way. NCERT books are must read for aspirants of competitive and job related examinations in India.

Antarrashtriya Sangthan

by Shashi Shukla

Most of the material available on international organisation is in English. This is one of the book written primarily for hindi medium students studying in indian university. To main international organisations, UNO and UN have been extensively discussed. Student will find this as a very useful reading material for studying various parts of these organisation.

Anterdaah

by Ramsagar Sharma

The poet sees a dream about changing earth and sky. Although it has no direct links with the real world, it makes a good attempt to let people know that they are always indebted to their motherland and this debt can't be ever paid.

Antim Aranya: अन्तिम अरण्य

by Nirmal Verma

अन्तिम अरण्य यह जानने के लिए भी पढ़ा जा सकता है कि बाहर से एक कालक्रम में बँधा होने पर भी उपन्यास की अन्दरूनी संरचना उस कालक्रम से निरूपित नहीं है। अन्तिम अरण्य का उपन्यास-रूप न केवल काल से निरूपित है, बल्कि वह स्वयं काल को दिक् में स्पेस में रूपान्तरित करता है। उनका फॉर्म स्मृति में से अपना आकार ग्रहण करता है– उस स्मृति से जो किसी कालक्रम से बँधी नहीं है, जिसमें सभी कुछ एक साथ है– अज्ञेय से शब्द उधार लेकर कहें तो जिसमें सभी चीज़ो का ‘क्रमहीन सहवर्तित्व’ है। यह ‘क्रमहीन सहवर्तित्व’ क्या काल को दिक् में बदल देना नहीं है?… यह प्राचीन भारतीय कथाशैली का एक नया रूपान्तर है। लगभग हर अध्याय अपने में एक स्वतन्त्र कहानी पढ़ने का अनुभव देता है और साथ ही उपन्यास की अन्दरूनी संरचना में वह अपने से पूर्व के अध्याय से निकलता और आगामी अध्याय को अपने में से निकालता दिखाई देता है। एक ऐसी संरचना जहाँ प्रत्येक स्मृति अपने में स्वायत्त भी है और एक स्मृतिलोक का हिस्सा भी। यह रूपान्तर औपचारिक नहीं है और सीधे पहचान में नहीं आता क्योंकि यहाँ किसी प्राचीन युक्ति का दोहराव नहीं है। भारतीय कालबोध-सभी कालों और भुवनों की समवर्तिता के बोध-के पीछे की भावदृष्टि यहाँ सक्रिय है।

Antima: अंतिमा

by Manav Kaul

कभी लगता था कि लंबी यात्राओं के लिए मेरे पैरों को अभी कई और साल का संयम चाहिए। वह एक उम्र होगी जिसमें किसी लंबी यात्रा पर निकला जाएगा। इसलिए अब तक मैं छोटी यात्राओँ ही करता रहा था। यूँ किन्हीं छोटी यात्राओं के बीच मैं भटक गया था और मुझे लगने लगा था कि यह छोटी यात्रा मेरे भटकने की वजह से एक लंबी यात्रा में तब्दील हो सकती है। पर इस उत्सुकता के आते ही अगले मोड़ पर ही मुझे उस यात्रा के अंत का रास्ता मिल जाता और मैं फिर उपन्यास के बजाय एक कहानी लेकर घर आ जाता। हर कहानी, उपन्यास हो जाने का सपना अपने भीतर पाले रहती है। तभी इस महामारी ने सारे बाहर को रोक दिया और सारा भीतर बिखरने लगा। हम तैयार नहीं थे और किसी भी तरह की तैयारी काम नहीं आ रही थी। जब हमारे, एक तरीक़े के इंतज़ार ने दम तोड़ दिया और इस महामारी को हमने जीने का हिस्सा मान लिया तब मैंने ख़ुद को संयम के दरवाज़े के सामने खड़ा पाया। इस बार भटकने के सारे रास्ते बंद थे। इस बार छोटी यात्रा में लंबी यात्रा का छलावा भी नहीं था। इस बार भीतर घने जंगल का विस्तार था और उस जंगल में हिरन के दिखते रहने का सुख था। मैंने बिना झिझके संयम का दरवाज़ा खटखटाया और ‘अंतिमा’ ने अपने खंडहर का दरवाज़ा मेरे लिए खोल दिया।

Antra Bhag 1 class 11 - NCERT: अंतरा भाग 1 कक्षा 11 - एनसीईआरटी

by Rashtriy Shaikshik Anusandhan Aur Prashikshan Parishad

अंतरा भाग 1 कक्षा 11 वीं का पुस्तक हिंदी भाषा में राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद् ने प्रकाशित किया गया है । यह पाठ्यपुस्तक 11वीं कक्षा में ऐच्छिक हिंदी पढ़नेवाले विद्यार्थियों के लिए तैयार की गई है । इसमें साहित्य की विविध विधाओं संबंधी नौ गद्य रचनाएँ तथा दस कवियों की कविताएँ संकलित हैं । पाठों का चयन इस प्रकार किया गया है कि रचनाओं के माध्यम से हिंदी गद्य और कविता का विकास-क्रम रेखांकित किया जा सके। साथ ही बदलते हुए सामाजिक भावबोध को भी इन रचनाओं के माध्यम से देखा जा सकता है ।

Antra Bhag-1 class 11 - NCERT - 23: अंतरा भाग-१ ११वीं कक्षा - एनसीईआरटी - २३

by Rashtriy Shaikshik Anusandhan Aur Prashikshan Parishad

अंतरा भाग 1 कक्षा 11 वीं का पुस्तक हिंदी भाषा में राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद् ने प्रकाशित किया गया है। यह पाठ्यपुस्तक 11वीं कक्षा में ऐच्छिक हिंदी पढ़नेवाले विद्यार्थियों के लिए तैयार की गई है। इसमें साहित्य की विविध विधाओं संबंधी नौ गद्य रचनाएँ तथा दस कवियों की कविताएँ संकलित हैं। पाठों का चयन इस प्रकार किया गया है कि रचनाओं के माध्यम से हिंदी गद्य और कविता का विकास-क्रम रेखांकित किया जा सके। साथ ही बदलते हुए सामाजिक भावबोध को भी इन रचनाओं के माध्यम से देखा जा सकता है।

Antra Bhag 2 class 12 - NCERT: अंतरा भाग 2 12वीं कक्षा

by Rashtriy Shaikshik Anusandhan Aur Prashikshan Parishad

अंतरा भाग 2 12वीं कक्षा का राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद् ने पुस्तक हिंदी भाषा में प्रकाशित किया गया है, इस पाठ्यपुस्तक में दो खंडों में विभक्त है (काव्य और गद्य) । कविता खंड में ग्यारह कवियों की रचनाओं को शामिल किया गया है। पाठ्यपुस्तक में कविता खंड विद्यार्थियों में साहित्यिक अभिरुचि, सौंदर्य बोध और सराहना का भाव विकसित हो। पाठ्यपुस्तक में पाठों का क्रम भाषा, शिल्प और शैली के आधार पर सरल से कठिन की ओर निर्धारित किया गया है। गद्यखंड में हिंदी की विभिन्न गद्य विधाओं का प्रतिनिधित्व है, जिनमें निबंध, कहानी तथा आलोचनात्मक निबंध है और प्रमुख गद्य विधाओं के अंतर्गत आत्मकथा, संस्मरण और यात्रावृत्तांत हैं गद्यखंड में कुल दस पाठ रखे गए हैं, जिन्हें हिंदी के मूर्धन्य गद्यकारों ने रचा है। गद्य पाठों का क्रम भी सरल से कठिन की ओर ही रखा गया है।

Antra Bhag-2 class 12 - NCERT - 23: अंतरा भाग-२ १२वीं कक्षा - एनसीईआरटी - २३

by Rashtriy Shaikshik Anusandhan Aur Prashikshan Parishad

अंतरा भाग 2 12वीं कक्षा के लिए हिंदी (ऐच्छिक) की पाठ्यपुस्तक राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद् ने हिंदी भाषा में प्रकाशित किया गया है, इस पाठ्यपुस्तक में दो खंडों में विभक्त है (काव्य और गद्य)। कविता खंड में ग्यारह कवियों की रचनाओं को शामिल किया गया है। पाठ्यपुस्तक में कविता खंड विद्यार्थियों में साहित्यिक अभिरुचि, सौंदर्य बोध और सराहना का भाव विकसित हो। पाठ्यपुस्तक में पाठों का क्रम भाषा, शिल्प और शैली के आधार पर सरल से कठिन की ओर निर्धारित किया गया है। गद्यखंड में हिंदी की विभिन्न गद्य विधाओं का प्रतिनिधित्व है, जिनमें निबंध, कहानी तथा आलोचनात्मक निबंध है और प्रमुख गद्य विधाओं के अंतर्गत आत्मकथा, संस्मरण और यात्रावृत्तांत हैं गद्यखंड में कुल दस पाठ रखे गए हैं, जिन्हें हिंदी के मूर्धन्य गद्यकारों ने रचा है। गद्य पाठों का क्रम भी सरल से कठिन की ओर ही रखा गया है।

Antral Bhag 1 class 11 - NCERT: अंतराल भाग 1 कक्षा 11 - एनसीईआरटी

by Rashtriy Shaikshik Anusandhan Aur Prashikshan Parishad

अंतराल भाग 1 11वीं कक्षा का राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद् ने पुस्तक हिंदी भाषा में प्रकाशित किया गया है, इस पुस्तक में कुल तीन पाठ हैं - मोहन राकेश द्वारा रचित एकांकी ‘अंडे के छिलके’, सुविख्यात चित्रकार मकबूल फ़ि‌दा हुसैन की आत्मकथा ‘हुसैन की कहानी अपनी ज़बानी’ के दो छोटे अंश तथा विष्णु प्रभाकर द्वारा रचित शरतचंद्र के जीवन पर आधारित जीवनी ‘आवारा मसीहा’ का प्रथम पर्व ‘दिशाहारा’। पुस्तक में पाठ के साथ प्रश्न-अभ्यास दिए गए हैं, जो पाठ को रोचक बनाने, उसे स्पष्ट करने में मदद करेंगे। पुस्तक के अंत में रचनाकारों का संक्षिप्त परिचय भी दिया गया है।

Antral Bhag 1 class 11 - NCERT - 23: अंतराल भाग-१ ११वीं कक्षा - एनसीईआरटी - २३

by Rashtriy Shaikshik Anusandhan Aur Prashikshan Parishad

अंतराल भाग 1 11वीं कक्षा का राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद् ने पुस्तक हिंदी भाषा में प्रकाशित किया गया है, इस पुस्तक में कुल दो पाठ हैं - सुविख्यात चित्रकार मकबूल फ़ि‌दा हुसैन की आत्मकथा ‘हुसैन की कहानी अपनी ज़बानी’ के दो छोटे अंश तथा विष्णु प्रभाकर द्वारा रचित शरतचंद्र के जीवन पर आधारित जीवनी ‘आवारा मसीहा’ का प्रथम पर्व ‘दिशाहारा’। पुस्तक में पाठ के साथ प्रश्न-अभ्यास दिए गए हैं, जो पाठ को रोचक बनाने, उसे स्पष्ट करने में मदद करेंगे। पुस्तक के अंत में रचनाकारों का संक्षिप्त परिचय भी दिया गया है।

Antral Bhag 2 class 12 - NCERT: अंतराल भाग 2 12वीं कक्षा

by Rashtriy Shaikshik Anusandhan Aur Prashikshan Parishad

अंतराल भाग 2 12वीं कक्षा का राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद् ने पुस्तक हिंदी भाषा में प्रकाशित किया गया है, इस पुस्तक में जो चार पाठ संकलित हैं उन चारों के चयन के पीछे उनकी साहित्यिकता का स्तर तो निर्णायक है ही, यह बात भी महत्त्वपूर्ण है कि इन सब से भारत के अलग-अलग अंचलों की जीवन पद्धति और संबंधित भौगोलिक क्षेत्र की समस्याओं तथा जनजीवन की विशिष्टताओं पर प्रचुर प्रकाश पड़ता है। पाठों के अंत में शब्दार्थ और टिप्पणी के साथ-साथ प्रश्न-अभ्यास एवं योग्यता-विस्तार दिए गए हैं। पुस्तक के अंत में रचनाकारों का संक्षिप्त परिचय भी दिया गया है।

Antral Bhag 2 class 12 - NCERT - 23: अंतराल भाग-२ १२वीं कक्षा - एनसीईआरटी - २३

by Rashtriy Shaikshik Anusandhan Aur Prashikshan Parishad

अंतराल भाग 2 कक्षा 12 के लिए हिंदी (ऐच्छिक) की पूरक पाठ्यपुस्तक राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद् ने हिंदी भाषा में प्रकाशित किया गया है, इस पुस्तक में चार पाठ संकलित हैं उन चारों के चयन के पीछे उनकी साहित्यिकता का स्तर तो निर्णायक है ही, यह बात भी महत्त्वपूर्ण है कि इन सब से भारत के अलग-अलग अंचलों की जीवन पद्धति और संबंधित भौगोलिक क्षेत्र की समस्याओं तथा जनजीवन की विशिष्टताओं पर प्रचुर प्रकाश पड़ता है। पाठों के अंत में शब्दार्थ और टिप्पणी के साथ-साथ प्रश्न-अभ्यास एवं योग्यता-विस्तार दिए गए हैं। पुस्तक के अंत में रचनाकारों का संक्षिप्त परिचय भी दिया गया है।

Antrang: अंतरंग

by Dr Ramavtar Sharma

प्रस्तुत “अंतरंग” कविता संग्रह दाम्पत्य प्रेम पर आधारित है। संग्रह के खण्ड तीन की कवितायें सर्वनिवेदित है। ‘कुछ भी गलत नहीं है’ कविता में कवि का सामाजिक दृष्टिकोण स्पष्ट हुआ है। यह संग्रह पुरुष निष्ठा का द्योतक है। अपनी प्रिया, अपनी पत्नी पर कविताएं लिखना कोई नया प्रचलन नहीं किंतु, दाम्पत्य संबंध की जीवंतता एवं गरिमा को आज के दौर में बनाये रखने में ये कवितायें एक सीख देती हैं। कविताओं की भाषा सहज है, शिल्प सरल है। लिविंग रिलेशनशीप के आज के दौर में संबंधों की संस्कृति के प्राणतत्व को ये कवितायें स्थापित करती हैं।

Anugoonj Class 11 - JK Board: अनुगूँज 11वीं कक्षा - जम्मू कश्मीर बोर्ड

by Jammu and Kashmir State Board of School Education

‘अनुगूँज’ एक साहित्यिक पुस्तक है। इस पाठ्यपुस्तक से हमारे विद्यार्थी उदात्त जीवन मूल्यों और परम्पराओं को जानेंगे। ‘अनुगूँज’ दो भागों में विभाजित है पहले भाग में पद्य दूसरे में गद्य संकलित है। ‘अनुगूँज’ के काव्य खण्ड में हिन्दी साहित्य के भक्तिकाल और रीतिकाल से विभिन्न कवियों को संकलित किया गया है । भक्तिकाल को 'स्वर्ण युग' कहा जाता है। यह एक सांस्कृतिक आन्दोलन था, इसमें भारतीयता के उदात्त जीवन मूल्यों को देखा जा सकता है। कबीर, जायसी, तुलसी, सूर, मीरा और बिहारी की कविताएं हिन्दी भाषा, साहित्य और संस्कृति की व्यापकता दर्शाती हैं। इन्हें पढ़ते हुए भारत के मध्य और उत्तर मध्यकाल के परिवेश को भी समझा जा सकता है। ‘अनुगूँज’ के द्वितीय भाग में गद्य के अंतर्गत छह कहानियाँ, एक निबन्ध और एक व्यंग्य शामिल किया गया है। यह खण्ड जीवन और व्यवस्था का प्रामाणिक चरित्र अंकन करता है।

Apani Aatmashakti Ko Pahchanen: अपनी आत्मशक्ति को पहचानें

by Robin Sharma

यह पुस्तक आपको अपने जीवन के पुनर्सृजन और अपने सर्वोत्तम आत्म से संपर्क स्थापित करने की सशक्त व व्यावहारिक प्रक्रिया से परिचित कराएगी। इसके व्यावहारिक जीवन के सबक अपने भाग्य का निर्धारण करने और अभिलषित चिर-आनंद की खोज में आपके सहायक होंगे।

Apara Class 11 - RBSE Board: अपरा 11वीं कक्षा - आरबीएसई बोर्ड

by Madhyamik Shiksha Board Rajasthan Ajmer

प्रस्तुत संकलन ‘अपरा’ माध्यमिक शिक्षा बोर्ड राजस्थान की कक्षा ग्यारहवीं की हिंदी साहित्य विषय के अध्ययन अध्यापन के लिए तैयार की गई है। संकलनकर्ताओं का यह प्रयास रहा है कि पुस्तक छात्रों के स्तरानुकूल रहे; बोर्ड की अपेक्षाओं के अनुसार बने और परिवर्तित परिस्थितियों के अनुरूप यथासंभव सभी विषय, विधाएँ, साहित्यकार आदि को संजोया जा सके। विधाओं के वैविध्य के साथ भाषा-शैली की विविधता, साहित्य में कालगत क्रम विकास का साहित्यिक कृतियों के माध्यम से परिचय, विभिन्न रसों का स्तर व आवश्यकतानुसार प्रस्तुतीकरण का प्रयास इस संकलन में किया गया है।

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