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Vyavsay Adhyayan class 11 - S.C.E.R.T Raipur Chhattisgarh Board: व्यवसाय अध्ययन कक्षा 11 - एस.सी.ई.आर.टी. रायपुर - छत्तीसगढ़ बोर्ड
by Rajya Shaikshik Anusandhan Aur Prashikshan Parishad Raipur C. G.व्यवसाय अध्ययन 11 वीं कक्षा का राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद् छत्तीसगढ़ रायपुर ने पुस्तक हिंदी भाषा में प्रकाशित किया गया है। यह पाठ्यपुस्तक व्यावसायिक वातावरण की एक अच्छी जानकारी देने की अपेक्षा करती है। एक प्रबन्धक को व्यवसाय की जटिल, गतिशील स्थितियों का विश्लेषण करना पड़ता है। विषय-वस्तु को अधिक समृद्ध बनाने के लिए व्यावसायिक पत्र-पत्रिकाओं और लेखों के उद्धरणों को अतिरिक्त रूप से कोष्ठकों में जोड़ा गया है। इससे विद्यार्थियों को प्रोत्साहन मिलता है कि वें व्यवसाय की प्रतिक्रियाओं का अवलोकन करें एवं स्वयं खोज करने का प्रयास करें कि व्यावसायिक संगठनों में क्या हो रहा है। यह भी अपेक्षा की जाती है कि इस दौरान वे पुस्तकालय, समाचार-पत्रों, व्यवसायोन्मुख दूरदर्शन कार्यक्रमों और इन्टरनेट के द्वारा आधुनिक जानकारी प्राप्त करेंगे। विभिन्न प्रकार के प्रश्न एवं केस समस्याएँ प्रस्तावित की गई हैं जिससे वे विषय के ज्ञान प्रयोग द्वारा वास्तविक व्यावसायिक स्थितियों को जान सकें।
Vyavsay Adhyayan class 12 - RBSE Board: व्यवसाय अध्ययन कक्षा 12 - आरबीएसई बोर्ड
by Madhyamik Shiksha Board Rajasthan Ajmerव्यवसाय अध्ययन कक्षा-12 के विद्यार्थियों के लिए लिखी गयी पाठ्य पुस्तक प्रस्तुत करते हुए प्रसन्नता है। पुस्तक लेखन के समय हमारे केन्द्र में मुख्य रूप से वे विद्यार्थी रहे हैं जो वाणिज्यिक दृष्टिकोण से व्यावसायिक घटनाओं के संबंध में अवधारणात्मक समझ विकसित करने हेतु अध्ययन कर रहे हैं।
Vyavsay Ke Tatva class 10 - JCERT: व्यवसाय के तत्व १०वीं कक्षा - जेसीईआरटी
by Sanjay Gupta"व्यवसाय के तत्व" पुस्तक में व्यापारिक कार्यालय और उसके विभिन्न विभागों की भूमिका, पत्राचार, बैंकिंग प्रक्रियाएँ, और विज्ञापन की महत्ता पर प्रकाश डाला गया है। यह छात्रों को सिखाती है कि व्यापारिक कार्यालय कैसे प्रशासनिक और प्रबंधकीय केंद्र के रूप में कार्य करता है, जहाँ से पत्र-व्यवहार, लेखा प्रबंधन, और योजना निर्माण होता है। कुशल पत्राचार से ग्राहकों और व्यापारियों के साथ मजबूत संबंध बनाए जाते हैं, जबकि बैंकिंग सेवाओं, जैसे चालू और बचत खाते, चेक और विनिमय प्रलेख, व्यापारिक लेन-देन को सुगम बनाते हैं। पुस्तक आधुनिक व्यापार में विज्ञापन और प्रभावी योजना की आवश्यकता पर जोर देती है, जिससे व्यापार को विकसित करने और प्रतियोगिता में टिके रहने में मदद मिलती है। यह पाठ्यक्रम विद्यार्थियों को व्यापारिक संचालन का व्यावहारिक ज्ञान और संगठनात्मक कौशल प्रदान करता है।
Vyavsay Ke Tatva class 9 - JCERT: व्यवसाय के तत्व ९वीं कक्षा - जेसीईआरटी
by Sanjay Gupta"व्यवसाय के तत्व" पुस्तक झारखंड एकेडेमिक काउंसिल के नवीनतम पाठ्यक्रम और परीक्षा पैटर्न के अनुसार तैयार की गई है। इसमें व्यवसाय के विभिन्न पहलुओं को सरल, सुलभ और रोचक भाषा में प्रस्तुत किया गया है। व्यवसाय को मानव जीवन में आर्थिक गतिविधियों के रूप में परिभाषित किया गया है, जिसका उद्देश्य वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन और वितरण करके लाभ कमाना है। यह क्रिया नियमित और सतत रूप से की जाती है। व्यवसाय की प्रकृति को इसके लक्षणों से समझा जा सकता है, जैसे कि साहस, जोखिम, लाभ, उपभोक्ता संतोष, और समाज की आवश्यकताओं की पूर्ति। व्यवसाय केवल आर्थिक क्रिया नहीं, बल्कि सामाजिक और मानवता से जुड़ी गतिविधि भी है। यह उद्योग, वाणिज्य, और व्यापार के साथ-साथ परिवहन, बैंकिंग और बीमा जैसी सेवाओं से भी जुड़ा है। व्यवसाय और पेशे में अंतर करते हुए, पुस्तक यह बताती है कि पेशा विशेष ज्ञान और कौशल पर आधारित होता है, जबकि व्यवसाय लाभ प्रेरित आर्थिक क्रियाओं का समूह है। रोजगार के अंतर्गत लोग दूसरों के लिए काम करते हैं और बदले में पारिश्रमिक प्राप्त करते हैं। व्यवसाय, पेशा और रोजगार के बीच अंतर समझाते हुए, पुस्तक मानवीय गतिविधियों के व्यावसायिक, सामाजिक और आर्थिक आयामों को उजागर करती है। इसके अतिरिक्त, पाठ्यक्रम में थोक और फुटकर व्यापार, व्यावसायिक लेन-देन, गोदाम और भंडारण, परिवहन और बीमा जैसे विषयों को विस्तार से समझाया गया है, जो छात्रों को वास्तविक व्यावसायिक दुनिया के लिए तैयार करते हैं।
Vyavsayik Arthashastra class 11 - MP Board: व्यवासायिक अर्थशास्त्र कक्षा 11 - एमपी बोर्ड
by Madhyamik Shiksha Mandal Madhya Pradesh BhopalVyavshik Arthshastra text book for 11th standard from Madhyamik Shiksha Mandal Madhya Pradesh Bhopal in Hindi.
Vyavsayik Arthashastra class 11 - MP Board: व्यवासायिक अर्थशास्त्र कक्षा 11 - एमपी बोर्ड
by Madhyamik Shiksha Mandal Madhya Pradesh BhopalBusiness Economics (MPTBC) text book for 11 th standard from Madhyamik Shiksha Mandal Madhya Pradesh Bhopal in Hindi.
Vyavsayik Arthashastra class 12 - MP Board: व्यवासायिक अर्थशास्त्र कक्षा 12 - एमपी बोर्ड
by Madhya Pradesh Rajya Shiksha MandalVyavsayik Arthashastra text book for 12th standard from Madhya pradesh rajya shikha mandal in Hindi.
Vyavshay Adhyan class 12 - MP Board: वयवसय अदयन कक्षा 12 - एमपी बोर्ड
by Madhymik Shiksha Mandal Madhya Pradesh BhopalVyavshay Adhyan MPTBC text book for 12th standard from Madhymik Shiksha Mandal Madhya Pradesh Bhopal in Hindi.
Wah Lambi Khamoshi
by Shashi DeshpandeyWah Lambi Khamoshi is the Hindi translation of 1990 Sahitya Akademi Award-winning novel That Long Silence. This is in effect, a slow, cruel self-revelation. The novel traces the life of narrator Jaya Kulkarni who is married to Mohan and is mother of two children. The novel exposes threadbare, the tense realities of the average Indian family’s architecture. Wah Lambi Khamoshi crawls in a very slow present while shuttling to span a long, complex past of multiple family ties, giving it an annoying sense of unmoving station – the narrative flow frozen. It is a personal redemption to a battle already lost.
Western Political Thinkers: पाश्चात्य राजनीति विचारक
by O. P. Gauba‘पाश्चात्य राजनीति-विचारक’ के अंतर्गत मुख्यतः पश्चिमी जगत् के प्राचीन, मध्ययुगीन और आधुनिक राजनीति-दार्शनिकों के चिंतन का तुलनात्मक और आलोचनात्मक विवेचन प्रस्तुत किया गया है। इसके आरंभ में गौरव-ग्रंथों के सामान्य लक्षणों का विवरण देते हुए उनकी उपयोगिता और सार्थकता पर प्रकाश डाला गया है; उनकी व्याख्या की सामान्य समस्याओं की चर्चा करते हुए इस व्याख्या के विभिन्न उपागमों की जांच की गई है। फिर पश्चिमी राजनीति चिंतन के इतिहास से जुड़े प्रत्येक युग की सामान्य विशेषताओं का विवरण देते हुए उनके प्रतिनिधि दार्शनिकों की देन को परखा गया है।
When i was in class 10th
by RuchikaRuchika, an introvert who finds solace in writing, began expressing her innermost thoughts through poetry at the age of fourteen. Her diary, once her sanctuary, now unfolds its secrets to the world in this captivating collection. A dedicated educator since 2003, Ruchika holds a Master's degree in Child Care and Education from Alagappa University and a Bachelor's in Elementary Education from JMC, Delhi. Her passion for teaching brings joy to her students, and she feels blessed to nurture young minds. With heartfelt gratitude to Shrija Publishers for bringing her youthful musings to life, Ruchika invites readers to explore the intimate realm of her poetic journey.
The Winning Manager: Corporate Safalta Ke Liye Samay Ki Kasauti Par Khare Siddhant
by Walter VieiraThis is not a standard book on management. It does not attempt to take the reader through the process of planning, forecasting, organising, delegating, motivating, monitoring, controlling and communicating in a sequential order, as in Fayol′s wheel of managerial functions. Instead, it goes ′beneath the skin′ of management as it were, to discuss issues that are not normally dealt with either in speech or in writing.
Yaami: यामी
by Alok Singh Khalauriमहत्वाकांक्षा जब एक सीमा से आगे बढ़ जाती है, तो वो एक जिद, एक जुनून का रूप ले लेती है। ऐसी ही एक महत्वाकांक्षा की कहानी है- ईसा से 500 वर्ष पूर्व एक तांत्रिक तुफैल और उसकी शिष्या कूटनी माया की, जिन्होंने ईश्वरीय सृष्टि के समांतर एक सृष्टि निर्मित करने की महत्वाकांक्षा पाल ली थी। उनकी इस महत्वाकांक्षा में जाने अंजाने ही सहायक बन गई भोली भाली गंधर्व कन्या यामी। यामी-जो अपने प्रेम की तलाश में गंधर्व लोक से पृथ्वी पर आई थी। विधि के विधान ने माया, तुफैल और यामी को समय से 2500 साल आगे सन 2022 में ला फेंका। सन 2022 – जहाँ चाहे अनचाहे दो अन्य व्यक्ति भी माया, तुफैल और यामी के इस द्वंद का मोहरा बन गए- एक युवा आई. पी. एस. और दूसरे इस किताब के लेखक आलोक सिंह खुद। फिर क्या हुआ 2022 में? कौन जीता ये जंग? माया या यामी? क्या यामी अपनी मोहब्बत की तलाश कर पाई? तुफैल और माया समांतर सृष्टि की स्थापना के अपने उद्देश्य में कहाँ तक सफल हुए? ऐसे ही अनेक प्रश्नों का उत्तर है यामी।
Yayati: ययाति
by Vishnu Sakharam Khandekarययाति एक उपन्यास है, इस उपन्यास में राजा ययाति की कहानी बताई गई है, जो चंद्रवंशी राजा नहुष के छह पुत्रों में से एक थे। जब ययाति अचानक बूढ़े हो जाते हैं, तो उनकी अधूरी इच्छाएं उन्हें परेशान करती हैं। वह अपने बेटों से अपनी जवानी उधार मांगते हैं और उनका बेटा पुरु उनकी मदद के लिए आता है। पुरु की जवानी स्वीकार करने के कुछ ही मिनटों के भीतर ययाति उसे लौटाने का संकल्प लेते हैं। इस घटना से ययाति को अपनी गलतियों का एहसास होता है और देवयानी का भी हृदय परिवर्तन होता है। उपन्यास के अंत में ययाति आशीर्वाद के साथ शासन की ज़िम्मेदारी पुरु को सौंप देते हैं और देवयानी और शर्मिष्ठा के साथ वन में जीवन व्यतीत करना चाहते हैं। इस तरह ययाति की आसक्ति से वैराग्य की यात्रा पूरी होती है।
Yo Bhi To Dekhiye
by ViyogihariSri Viyogihar writes in a particular fashion and forces the reader and different sections of the society to act in the way they are expected to.
Yoddha Sannyasi Vivekanand: योद्धा संन्यासी विवेकानन्द
by Hansraj Rahbarविवेकानंद कहते है : "मेरे मत में बाह्य जगत की एक सत्ता -हमारे मन के विचार के बाहर भी उसका एक अस्तित्व है । चैतन्य के क्रम विकास रूपी महान विधान का अनुवर्ती होकर यह समग्र विश्व उन्नति के पथ क्रम विकास रूपी महान विधान का अनुवर्ती होकर यह समग्र विश्व उन्नति के पथ पर अग्रसर हो रहा है । चैतन्य का यह क्रम विकास जड़ के क्रमविकास से पृथक है । विवेकानंद ने पहली बार क्रमविकास का सिद्धान्त भारतीय दर्शन पर लागू किया और अद्वैत की धर्म शास्त्र की चरम सीमा बताया । हमारे देश के उभरते हुए पूंजीपति वर्ग को इस विदेशी आक्रमण से अपनी सांस्कृतिक परम्पराओ की रक्षा करनी थी , क्योकि राष्ट्रीयता का विकास उन्हीं के आधार पर संभव था और राजनितिक लड़ाई भी उन्हीं के आधार पड़ लड़ी जा सकती थी । विवेकानंद ने धर्म- सभा में आक्रामक रुख अपनाकर मिशनरियों के इस दावे को झुठलाया कि ईसाई धर्म चूँकि विजेताओं का और समृद्धि का धर्म है, इसलिए यह सच्चा धर्म है और इसी को विश्व धर्म बनना है । विवेकानंद जी ने 1905 में स्वदेशी आंदोलन का राजनितिक रूप धारण किया । इसमें जो राष्ट्रीय एकता का जो प्रदर्शन हुआ उसके कारण ब्रिटिश सरकार को बंग- भंग की योजना रद्द करनी पड़ी । और इसी आंदोलन से स्वदेशी, बहिष्कार, राष्ट्रीय शिक्षा तथा स्वराज्य का चारसूत्री कार्यक्रम निर्धारित हुआ । इसके अलावा 1908 से क्रांति के जो गुप्त संगठन बने उनकी मुख्य प्रेणना भी विवेकानंद जी की शिक्षाए थी ।
Yog Vashishtha: योग वासिष्ठ
by Badrinath Kapoorभारतीय मनीषा के प्रतीक ग्रंथों में एक ‘योग वासिष्ठ’ की तुलना विद्वत्जन ‘भगवद् गीता’ से करते हैं। गीता में स्वयं भगवान मनुष्य को उपदेश देते हैं जबकि ‘योग वासिष्ठ’ में नर (गुरु वशिष्ठ) नारायण (श्रीराम) को उपदेश देते हैं। विद्वत्जनों के अनुसार सुख और दुख, जरा और मृत्यु, जीवन और जगत, जड़ और चेतन, लोक और परलोक, बंधन और मोक्ष, ब्रह्म और जीव, आत्मा और परमात्मा, आत्मज्ञान और अज्ञान, सत् और असत्, मन और इंद्रियाँ, धारणा और वासना आदि विषयों पर कदाचित् ही कोई ग्रंथ हो जिसमें ‘योग वासिष्ठ’ की अपेक्षा अधिक गंभीर चिंतन तथा सूक्ष्म विश्लेषण हुआ हो। अनेक ऋषि-मुनियों के अनुभवों के साथ-साथ अनगिनत मनोहारी कथाओं के संयोजन से इस ग्रंथ का महत्त्व और भी बढ़ जाता है। स्वामी वेंकटेसानन्द जी का मत है कि इस ग्रंथ का थोड़ा-थोड़ा नियमित रूप से पाठ करना चाहिए। उन्होंने पाठकों के लिए 365 पाठों की माला बनाई है। प्रतिदिन एक पाठ पढ़ा जाए। पाँच मिनट से अधिक समय नहीं लगेगा। व्यस्तता तथा आपाधापी में उलझा व्यक्ति भी प्रतिदिन पाँच मिनट का समय इसके लिए निकाल सकता है। स्वामी जी का तो यहाँ तक कहना है कि बिना इस ग्रंथ के अभी या कभी कोई आत्मज्ञान प्राप्त नहीं कर सकता। स्वामी जी ने इस ग्रंथ का सार प्रस्तुत करते हुए कहा है कि बिना अपने को जाने मोक्ष प्राप्त नहीं हो सकता। मोक्ष प्राप्त करने का एक ही मार्ग है आत्मानुसंधान। आत्मानुसंधान में लगे अनेक संतों तथा महापुरुषों के क्रियाकलापों का विलक्षण वर्णन आपको इस ग्रंथ में मिलेगा। प्रस्तुत अनुवाद स्वामी वेंकटेसानन्द द्वारा किए गए ‘योग वासिष्ठ’ के अंग्रेजी अनुवाद ‘सुप्रीम योग’ का हिन्दी रूपांतरण है जिसे विख्यात भाषाविद् और विद्वान बदरीनाथ कपूर ने किया है। स्वामी जी का अंग्रेजी अनुवाद 1972 में पहली बार छपा था जो निश्चय ही चिंतन, अभिव्यक्ति और प्रस्तुति की दृष्टि से अनुपम है। लेकिन विदेश में छपने के कारण यह भारतीय पाठकों के समीप कम ही पहुँच पाया। आशा है, यह अनुवाद उस दूरी को कम करेगा, और हिन्दी पाठक इस महत्त्वपूर्ण पुस्तक का लाभ उठा पाएँगे।
Yogayog
by Rabindranath TagoreThe novel was published in three parts in Vichitra magazine. In first two parts it was called Teen Peedhiyan (Three Generations) and in the third it was named as Yogayog. One more jewel from one of the greatest writer from India.
Yogiraj Shri Krishna: योगिराज श्रीकृष्ण
by Lala Lajpat Raiपरवर्ती काल में कृष्ण के उदात्त तथा महनीय आर्योचित चरित्र को समझने में चाहे लोगों ने अनेक भूलें ही क्यों न की हो, उनके समकालीन तथा अत्यन्त आत्मीय जनों ने उस महाप्राण व्यक्तित्व का सहीं मूल्यांकन किया था । सम्राट युधिष्ठिर उनका सम्मान कस्ते थे तथा उनके परामर्श को सर्वोपरि महत्व देते थे । पितामह भीष्म, आचार्य द्रोण तथा कृपाचार्य जैसे प्रतिपक्ष के लोग भी उन्हें भरपूर आदर देते थे । जिस प्रकार वे नवीन सामाज-निर्माता तथा स्वराज्यस्रष्ठा युगपुरुष के रूप में प्रतिष्ठित हुए, उसी प्रकार अध्यात्म तथा तत्त्व-चिन्तन के क्षेत्र में भी उनकी प्रवृतियाँ चरपोत्कर्ष पर पहुँच चुकी थीं । सुख-दु:ख को समान समझने वाले, लाभ और ह हानि, जय और पराजय जैसे द्वंद्वो को एक-सा मानने वाले, अनुद्विग्न, वीतराग तथा जल में रहने वाले कमल पत्र के समान सर्वथा निर्लेप, स्थितप्रज्ञ व्यक्ति को यदि हम साकार रूप में देखना चाहें तो वह कृष्ण से भिन्न अन्य कौन-सा होगा ? प्रवृत्ति और निवृत्ति, श्रेय और प्रेय, ज्ञान और कर्म, ऐहिक और पारलौकिक जैसी आपातत: विरोधी दीखने वाली प्रवृत्तियों में अपूर्व सामंजस्य स्थापित का उन्हें स्वजीवन में चरितार्थ करना कृष्ण जैसे महामानव के लिए ही सम्भव था । उन्होंने धर्म के दोनों लक्ष्यों अभ्युदय और नि:श्रेयस के उपलब्धि की । अत: यह निरपवाद रूप से कहा जा सकता है कि कृष्ण का जीवन आर्य आदर्शों की चरम परिणति है ।
Yogyata Sanvardhan Pathyacharya B.A., B.COM., B.SC. (Hons) Sem-I Ranchi University, N.P.U
by Niti Sonu PapnejaaYogyata Sanvardhan Pathyacharya text book for B.A., B.COM., B.SC. (Hons) Sem-I from Ranchi University, Nilambar Pitambar University in hindi.
Yogyata Sanvardhan Pathyacharya Ranchi University, N.P.U
by Niti Sonu PapnejaaYogyata Sanvardhan Pathyacharya text book for B.A., B.COM., B.SC. (Hons) Sem-I from Ranchi University, Nilambar Pitambar University in hindi.
Yojana April 2022: योजना अप्रैल 2022
by Yojanaजना मैगज़ीन अप्रेल 2022 एक मासिक पत्रिका है, जिसमे केंद्र सरकार की योजनाओ के बारे में बताया गया है यह मैगज़ीन हर महीने जारी की जाती है, यह पत्रिका सिविल सर्विस परीक्षा की तैयारी के लिए अत्यंत जरूरी है।
Yojana April 2023: योजना अप्रैल २०२३
by Yojanaयोजना अप्रैल 2023 पत्रिका का संस्करण स्टार्टअप इंडिया पर केंद्रित है। पत्रिका में स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र में युवाओं के लिए अवसर, स्टार्टअप इंडिया कार्य योजना भारतीय स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र की नींव और भारत की जी20 अध्यक्षता में ग्लोबल स्टार्टअप इकोसिस्टम का नया सवेरा जैसे विषयों पर चर्चा की गई है।
Yojana April 2024: योजना अप्रैल २०२४
by Yojanaविकास मासिक पत्रिका "योजना" के अप्रैल 2024 संस्करण का विषय "हमारा पारिस्थितिकी तंत्र" है। यह संस्करण पारिस्थितिकी तंत्र के विभिन्न पहलुओं पर केंद्रित है, जिसमें जैव विविधता और संरक्षण प्रयासों के महत्व पर जोर दिया गया है। कवर में पारिस्थितिकी तंत्र के विभिन्न तत्वों की जीवंत कल्पना शामिल है, जिनमें शामिल हैं: वन्यजीव, वनस्पति, पक्षी प्रवास।
Yojana August 2022: योजना अगस्त २०२२
by Yojanaयोजना अगस्त 2022 पत्रिका का संस्करण साहित्य और आजादी पर केंद्रित है। पत्रिका में प्रमुख आलेख विभाजन साहित्य, विशेष आलेख प्रतिबंधित प्रकाशन, पूर्वोत्तर से आज़ादी के तराने और काज़ी नजरूल इस्लाम: एक युवा विप्लव जैसे विषयों पर चर्चा की गई है।